नई दिल्ली (मा.स.स.). रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युवाओं से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश को सशक्त बनाने के लिए नए विचारों के साथ आगे आने की अपील की है। उन्होंने आग्रह किया कि युवा भारत को सुरक्षित, मजबूत तथा आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के प्रयासों में मदद करें। रक्षा मंत्री 15 अप्रैल, 2023 को उदयपुर में जनार्दन राय नगर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी) के 16वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि आने वाले समय में सभी क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ेगा और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने जरूरत है। उन्होंने देश को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए युवाओं से कुछ नया करने, अनुसंधान करने और मेहनत कर क्षेत्र में आगे बढ़ने का आह्वान किया।
राजनाथ सिंह ने माना कि युवाओं के पास सृजन, शिक्षण और बदलाव लाने की एक अद्वितीय शक्ति है और सरकार उन्हें समान अवसर प्रदान कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘न्यू इंडिया’ का सपना जल्द ही साकार हो सके। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सहित युवाओं के लिए उठाए गए कई कदमों का जिक्र किया, जो समग्र शिक्षा पर केंद्रित है और ज्ञान तथा कौशल पर समान जोर देते हैं। उन्होंने आयुष्मान भारत, फिट इंडिया आंदोलन जैसे अभियानों का जिक्र किया, जिनका उद्देश्य स्वस्थ, शिक्षित और कुशल कार्यबल तैयार करना है। रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा में युवाओं द्वारा योगदान देने के बारे में रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स) पहल के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें सशस्त्र बल, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, भारतीय तट रक्षक और अर्धसैनिक बल आम जनता से अपनी समस्या का समाधान पूछते हैं।
सिंह ने कहा, “समस्या को हल करने के दो तरीके हैं। एक है टेंडर जारी करना और किसी विदेशी कंपनी के जरिए उसका समाधान करवाना। दूसरा, ऊर्जावान युवाओं के सामने समस्याओं को रखना हैं, जो देश की आबादी का 65% से अधिक हैं। यही आईडीईएक्स के पीछे का विजन है। इसके लॉन्च होने के बाद से केवल पांच वर्षों में, हमें उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। हम पहले ही नौ डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज लॉन्च कर चुके हैं। युवाओं ने कई समस्या को सुलझाने में मदद की है। हम न केवल युवाओं के विचारों को अपनाते हैं, बल्कि उन्हें निवेशकों से जोड़कर और अनुदान देकर आगे बढ़ाते हैं।” रक्षा मंत्री ने युवाओं में उद्यमशीलता की मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप्स के लिए वेंचर कैपिटल फंडिंग की संस्कृति विकसित की गई है, जो शुरुआती स्तर पर उनकी मदद के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “देश में यूनिकॉर्न की संख्या आठ-नौ साल में चार या पांच से बढ़कर 100 को पार कर गई है। पिछले कुछ वर्षों में लगभग, एक लाख स्टार्ट-अप्स तैयार हुए हैं। यह स्टार्ट-अप्स-आधारित इनोवेशन इकोसिस्टम की सफलता का एक बड़ा प्रमाण है।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चाहे वह अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी हो या फिर स्वास्थ्य या रक्षा, भारत – जो पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वह हाल के वर्षों में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभरा है और 2027 तक खुद को शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करने की राह पर अग्रसर है। राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत अपने युवाओं के बल पर नए सपने देख रहा है और नए लक्ष्य निर्धारित कर रहा है। हम भारत को सबसे मजबूत देशों में से एक बनाने का प्रयास कर रहे हैं और हमारे ऊर्जावान युवा उस संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे”। रक्षा मंत्री ने छात्रों को भारतीय परंपराओं, मूल्यों और संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त करने और समान ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने इसे चारित्रिक विकास का एक अनिवार्य पहलू बताया। उन्होंने उनसे स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान शख्सियतों से प्रेरणा लेने का आग्रह किया, जिन्होंने समाज के मूल्यों को आगे रखा। उन्होंने कहा, ये मूल्य भारत को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका अदा करेंगे।
रक्षा मंत्री ने किसी भी कार्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के महत्व को रेखांकित किया, इस बात पर जोर दिया कि सफलता और असफलता दोनों ही जीवन का हिस्सा हैं और किसी को भी उतार-चढ़ाव से विचलित नहीं होना चाहिए। कोटा में आईआईटी और एनईईटी के उम्मीदवारों द्वारा आत्महत्या की खबरों का जिक्र करते हुए उन्होंने छात्रों से कहा कि याद रखें, कोई भी लक्ष्य या सपना जीवन से बड़ा नहीं है।उन्होंने कहा कि अगर कोई बच्चा ऐसा कठोर कदम उठाता है तो यह समाज की सामूहिक विफलता है। उन्होंने सभी अभिभावकों, रिश्तेदारों, शिक्षकों और दोस्तों से आग्रह किया कि वे कभी भी बच्चों को उनके परीक्षा परिणामों के आधार पर नहीं आंकें, बल्कि उनकी मेहनत के आधार पर उनका आकलन करें।
उन्होंने बदलते समय के अनुरूप नवीनतम तकनीकों को अपनाने के अलावा शिक्षा, साहित्य, संस्कृति और इतिहास के क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं को लागू करके राष्ट्र की सर्वांगीण प्रगति में योगदान देने के लिए विद्यापीठ की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में प्रसिद्ध राजपूत योद्धा और मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण भी किया। उन्होंने कहा कि एक शैक्षणिक संस्थान में स्थापित प्रतिमा न केवल भावी पीढ़ियों को शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करेगी, बल्कि उनके दिलों में देशभक्ति और राष्ट्रीय भावना भी पैदा करेगी।
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