नई दिल्ली. पश्चिमी और उत्तरी दिल्ली में रहने वाली 30 लाख आबादी को अगले कुछ दिन पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। इन इलाकों में अगले 2 से 3 दिन पानी का प्रेशर कम रहेगा क्योंकि मुनक नहर का सीएलसी (कैरियर लाइंड चैनल) हरियाणा के सोनीपत के पास टूट गया है। जानकारी के अनुसार नहर का हिस्सा टूटा है। बडवासनी गांव में इस चैनल का करीब 50 मीटर हिस्सा टूटने की वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है। चैनल के टूटने से राजधानी में जल संकट गहरा गया है। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अधिकारियों की टीम मौके पर है। मरम्मत करने में 48 से 72 घंटों का समय लग सकता है।
बता दें हरियाणा से दिल्ली यमुना का पानी लाने का मुख्य स्रोत्र है मुनक नहर और इससे दिल्ली के दो बड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बवाना और हैदरपुर को पानी मिलता है। इतना ही नहीं इस नहर से मिलने वाले पानी का कुछ हिस्सा नागलोई और द्वारका प्लांट को भी जाता है। सीएलसी के टूटने से दिल्ली को हरियाणा के रास्ते मिलने वाले कच्चे पानी की आपूर्ति पर असर पड़ा है। इस चैनल से दिल्ली को 750 क्यूसेक कच्चा पानी मिलता है। लेकिन चैनल के क्षतिग्रस्त होने से यह कम होकर सिर्फ 670 क्यूसेक रह गया है। पानी की इस कमी की वजह से पांच वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर असर पड़ सकता है। इनमें हैदरपुर-1, हैदरपुर-2, बवाना, नांगलोई और द्वारका वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट शामिल हैं। भीषण गर्मी में आई इस समस्या के दौरान डीजेबी ने कुछ वैकल्पिक कदम उठाकर लोगों को राहत देने की कोशिश की है। डीजेबी उपाध्यक्ष ने बताया कि टूटे हुए चैनल के असर को सिर्फ हैदरपुर प्लांट तक ही सीमित कर दिया गया है।
हैदरपुर प्लांट से पानी की सप्लाई वीवीआईपी इलाकों में होती है। डीजेबी के अनुसार, हैदरपुर प्लांट प्रभावित होने से दिल्ली के कई इलाकों जैसे सेंट्रल, साउथ, नई दिल्ली, राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट, विभिन्न देशों के दूतावास, अन्य महत्वपूर्ण भवन, उत्तरी और पश्चिमी दिल्ली के हिस्सों में जल संकट गहरा सकता है। इसके अलावा, पीतमपुरा, शालीमार बाग, पश्चिम विहार, राजा गार्डन, ज्वालाहेड़ी, रमेश नगर इलाके में रहने वाले लोगों को भी पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।
उठाए जा रहे हैं कदम
चैनल सोनीपत के बडवासनी गांव के पास टूटी है। इसकी जानकारी मिलते ही डीजेबी के अधिकारियों की एक टीम तत्काल मौके पर रवाना हो गई। इस टीम ने हरियाणा सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर चैनल की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है। संभावना जताई गई है कि यह काम 48 घंटे में पूरा हो जाएगा। इसके पास पानी की सप्लाई भी सामान्य हो जाएगी। डीजेबी की तरफ से हरियाणा सिंचाई विभाग को पत्र भी लिखा गया है जिसमें कहा गया है कि मौजूदा स्थिति को आपातकाल की तरह लिया जाए। डीजेबी उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि चौबीसों घंटे स्थिति पर नजर रखें। वहीं जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि सुबह सीएलसी के टूटने से राजधानी में पानी का संकट पैदा हुआ है। इस मामले को हरियाणा के साथ मिलकर सुलझाया जा रहा है। हरियाणा से करीब 20 प्रतिशत सप्लाई कम हो गई है। इसका असर 30 लाख लोगों को झेलना पड़ सकता है। डीजेबी पानी का रेशनलाइजेशन कर किसी तरह अधिक से अधिक लोगों को पानी देने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली को यहां से होती है पानी की सप्लाई
दिल्ली इकनॉमिक सर्वे के मुताबिक, दिल्ली को 40.8% पानी यमुना (रिवर चैन, सीएलसी और डीएसबी चैनल) से, 26.5% पानी गंगा से और 23.1% भाखड़ा स्टोरेज (रावी ब्यास) से मिलात है। बाकी 9.6% पानी की जरूरत ट्यूबवेल और रैनीवेल के जरिए ग्राउंड वाटर से पूरी की जाती है। दिल्ली जल बोर्ड से सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा से दिल्ली को मिलने वाले कच्चे पानी की 20 फीसदी आपूर्ति मुनक नहर का हिस्सा टूटने से प्रभावित हुई है।
दिल्ली की लाइफ लाइन मुनक नहर
मुनक नहर 102 किलोमीटर लंबी है पश्चिमी यमुना नहर का हिस्सा है जो हरियाणा और दिल्ली से होकर गुजरती है। यह नहर हरियाणा के करनाल जिले में मुनक रेगुलेटर में यमुना नदी से पानी लाती है और दक्षिण दिशा में खुबरू बैराज और मंडोरा बैराज से होते हुए गुजरती है और अंत में दिल्ली के हैदरपुर में आकर समाप्त होती है। मुनक नहर दिल्ली के लिए पीने के पानी के मुख्य सोर्स में से एक है। बता दें हरियाणा और दिल्ली सरकारों के बीच 1996 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। नहर का निर्माण 2003 और 2012 के बीच हरियाणा ने किया गया था और नहर के निर्माण के लिए भुगतान दिल्ली की ओर से किया गया था।
मूल रूप से नहर का हिस्सा झरझरा मिट्टी का है लेकिन अतिरिक्त रिसाव को रोकने के लिए नहर के किनारों को सीमेंट से पक्का कर दिया गया था और जिसकी वजह से प्रति दिन 80 मिलियन गैलन पानी की बचत हो रही थी। फिलहाल इस क्षतिग्रस्त हुए कैरियर लाइंड चैनल यानी सीएलसी को रिपेयर करने का काम किया जा रहा है और डीजेबी सूत्रों के अनुसार पानी की सप्लाई को रीस्टोर करने में 48-72 घंटे लग सकते हैं।
साभार : नवभारत टाइम्स
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