लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि निजी संपत्ति पर मंदिर बनाने से किसी अन्य समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंच सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रस्तावित मंदिर के पास मस्जिद मौजूद होने से यह आशंका पैदा नहीं होती कि सांप्रदायिक शांति या सार्वजनिक व्यवस्था खराब हो जाएगी। कोर्ट ने जिला पंचायत संभल को याची आचार्य प्रमोद कृष्णन के नक्शे के आवेदन पर उचित निर्णय लेने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की खंडपीठ ने आचार्य प्रमोद कृष्णन की ओर से दाखिल याचिका को निस्तारित हुए यह आदेश दिया। आचार्य प्रमोद कृष्णन के अचोरा कंबो गांव में निजी संपत्ति पर कल्कि धाम मंदिर की नींव रखने के खिलाफ मुस्लिम किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने डीएम संभल से शिकायत की थी। डीएम ने निर्माण पर रोक लगा दी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
हाईकोर्ट में याची ने कहा कि डीएम का आदेश अनुमानों पर आधारित है। आदेश में तथ्यों और कारणों के समर्थन में कोई सबूत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जिस भूखंड में मंदिर बनाया जाना प्रस्तावित है, उसके मालिकाना हक को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं है। रिकॉर्ड पर कुछ ऐसा नहीं है कि मुस्लिम समुदाय का बड़ा वर्ग मंदिर निर्माण के विरोध में था। यदि ऐसा है भी तो यह किसी अन्य समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकता। धर्मस्थल निर्माण का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत संरक्षित है।
साभार : अमर उजाला
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