लखनऊ. तालों की नगरी अलीगढ़ में सोमवार का नजारा आम दिनों से बिल्कुल अलग था। मौका था पूर्व सीएम कल्याण सिंह उर्फ बाबूजी को उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने का। इस मौके पर हुए कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गज मौजूद थे। सभी ने अपने-अपने अंदाज में बाबूजी को श्रद्धांजलि भी दी। लेकिन डिप्टी सीएम केशव मौर्य बाकी दिग्गजों से दो कदम आगे निकल गए।
जब केशव मौर्य के बोलने की बारी आई, तो उन्होंने सबसे पहले जय श्रीराम का नारा लगवाया। इतना ही नहीं, उन्होंने भारी भीड़ के बीच मंच से अलीगढ़ का नाम बदलने के भी संकेत दे दिए। केशव ने कहा, “हरिगढ़ वालों… बोलो जय श्रीराम। अयोध्या में बाबूजी का सपना पूरा हो रहा है। इससे बड़ी बात नहीं हो सकती है।” इसके साथ ही उन्होंने लोगों से कहा कि इस बार उत्तर प्रदेश की 80 की 80 सीटों पर भाजपा को लाना है और केंद्र में फिर पीएम मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है।
2021 में बना था अलीगढ़ का नाम बदलने का प्रस्ताव
हिंदूवादी अक्सर अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने की मांग करते रहे हैं। 2021 में जिला पंचायत के चुनाव होने के बाद जब सत्ता परिवर्तन हुआ था, तब जिला पंचायत में अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने का प्रस्ताव भी बनाया गया था। उस दौरान भी इसको लेकर राजनीति भी काफी गर्माई थी। लेकिन इसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
यह तो थी केशव मौर्य की बात, अब आपको गृहमंत्री अमित शाह ने जो कहा, वह बताते हैं
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “मैं दिल्ली से पिछड़ों के लिए काम करने वाले बाबूजी स्व. कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने आया हूं। वो वक्त था, जब राम भक्तों का सैलाब अयोध्या में उमड़ रहा था। लोगों ने दबाव बनाया कि गोलियां चलाकर कार सेवकों को रोका जाना चाहिए। उस वक्त बाबूजी ने बड़ा निर्णय लिया कि मैं गोली नहीं चलाऊंगा, मैं मुख्यमंत्री पद त्याग दूंगा। ये बड़ा बलिदान था।”
शाह ने कहा,” बाबूजी के अंदर गरीबों और पिछड़ों के लिए असीम संवेदना थी। जिस दिन पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया। मैंने बाबूजी को फोन करके बताया। उन्होंने जवाब दिया कि मेरा जीवन धन्य हो गया।” उन्होंने कहा,”पीएम मोदी ने पिछड़ी जाति के लिए सबसे ज्यादा काम किया। नीट परीक्षा में ओबीसी रिजर्वेशन देने की बात की। गरीबों को रिजर्वेशन दिया। ओबीसी वर्ग के उद्यमियों के लिए एक अलग फंड बनाया गया। अब बताइए क्या लोकसभा चुनाव में 80 सीटों पर बीजेपी को जीताएंगे। ऐसा हो गया नहीं…। विजय संकल्प लीजिए।”
”बाबूजी सोच रहे होंगे, जिस राममंदिर के लिए मैंने सत्ता छोड़ी, वह बन गया”
योगी ने कहा,”पहली बार जब भाजपा सरकार बनी, तब लोगों को पता चला कि सुशासन कैसा होता है। 1991 में अलीगढ़ को नई पहचान देने के लिए कल्याण सिंह ने एक अलग से तालानगरी स्थापना की थी। मुझे खुशी हो रही है कि 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद ये पहचान वैश्विक मंच पर पहुंच चुकी है।”
उन्होंने कहा,”स्व. कल्याण सिंह को आज संतोष हो रहा होगा। वो सोच रहे होंगे कि 1992 में जिस कार्य के लिए मैंने राज सत्ता को छोड़ा था, वो पूरा हुआ, राममंदिर बन गया। आज बाबूजी की पुण्यतिथि पर हम एकत्रित हुए हैं। डबल इंजन की सरकार ने पहली पुण्यतिथि पर सबसे पहले कैंसर इंस्टीट्यूट का नाम बाबूजी कल्याण सिंह के नाम पर रखा। मैं उनकी स्मृतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
फर्स्ट लेयर की सिक्योरिटी NSG कमांडो के हवाले रही
दरअसल, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हेलिकॉप्टर नुमाइश मैदान में 12 बजे उतरना था। लेकिन कार्यक्रम करीब सवाल घंटा देरी से शुरू हो सका। दोनों डिप्टी सीएम और अन्य मंत्रियों के हेलिकॉप्टर धनीपुर हवाई पट्टी पर उतरे। यहां सुरक्षा के खास इंतजाम रखे गए। अलीगढ़ के साथ बुलंदशहर की रिजर्व पुलिस फोर्स बुला ली गई है।
इसके अतिरिक्त PAC, केंद्रीय बल, CRPF के 3000 से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं। केंद्रीय मंत्रियों के साथ सुरक्षा एजेंसी और NSG कमांडो की टीम भी मौजूद रहेगी। जो फर्स्ट लेयर की सिक्योरिटी संभालेगी। फर्स्ट लेयर तक किसी को भी पहुंचने की अनुमति नहीं दी गई।मुरादाबाद मंडल की सभी 6 सीटें, जिसमें मुरादाबाद, नगीना, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा और संभल शामिल हैं, इनमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, सहारनपुर में भी भाजपा लोकसभा का चुनाव हार गई थी। हालांकि 2022 में रामपुर में हुए उपचुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में आ गई थी।
जाटलैंड को पहले साध चुकी है भाजपा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिले जाट बाहुल्य क्षेत्र में गिने जाते हैं। इसमें अलीगढ़ के साथ आगरा, मथुरा, बुलंदशहर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबार, सहारनपुर, बरेली और बदायूं में जाट वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में भाजपा ने जाट वोटरों को साधने के लिए भूपेंद्र सिंह चौधरी को पहले ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी।
जाटलैंड के साथ ही ओबीसी समाज का वोट बैंक भी इस क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण है। जिसमें लोधी राजपूत सबसे ज्यादा प्रभावी हैं। अलीगढ़, बुलंदशहर, कासगंज, एटा और आसपास के जिलों में लोधी राजपूतों का भी वर्चस्व है। जिसकी जिम्मेदारी कल्याण सिंह के पुत्र सांसद राजवीर सिंह राजूभैया और उनेक पौत्र मंत्री संदीप सिंह के ऊपर है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोटरों की संख्या पर नजर डाली जाए तो एक अनुमान है कि यहां लगभग 30% मुस्लिम, 26% दलित, 17% जाट, 16% ओबीसी वोटर हैं। इनमें से हिंदु मतदाताओं को साधने के लिए इस सभा में सभी वर्ग के दिग्गज मौजूद रहेंगे। जो बाबूजी को श्रद्धांजलि तो देंगे, इसके साथ ही वोटरों को रिझाने का काम भी करेंगे।
लोकसभा में यूपी की सीटें बनाती हैं सरकार
केंद्र की सत्ता के लिए होने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सबसे अहम भूमिका रहती है। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं और माना जाता है कि देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही जाता है। इसलिए दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए पार्टियां यूपी में सबसे ज्यादा जोर लगाती हैं।
हालांकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा का रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश में अच्छा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी की 80 सीटों में से 71 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हुआ था और पार्टी को सिर्फ 64 सीटें ही मिली थी। जबकि 16 सीटों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।
साभार : दैनिक भास्कर
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