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टाइटैनिक देखने गई पनडुब्बी में ऑक्सीजन समाप्त होने की संभावना, अभी भी रोबोट से आस

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पेरिस. टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने के लिए लोगों को ले जाने वाली टाइटन पनडुब्बी का चौथे दिन भी कुछ पता नहीं चला। अशंका है कि गुरुवार शाम 5:30 बजे इसकी ऑक्सीजन खत्म हो गई होगी। इसमें 5 लोग सवार थे। रेस्क्यू टीम में शामिल ऑफिसर्स ने बताया कि पनडुब्बी का सर्च ऑपरेशन जारी रहेगा। ऑपरेशन में 10 और जहाज और कुछ सबमरीन्स भी उतारी गई हैं। इनके अलावा फ्रांस अपना अंडर वाटर रोबोट भी समुद्र में उतारेगा।

ऑपरेशन को लीड कर रहे कैप्टन ने कहा- हमें नहीं पता है कि वो लोग कहां हैं। बुधवार को टाइटैनिक के मलबे के पास से रिकॉर्ड हुई आवाजों के आधार पर सर्च का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब अमेरिकी स्टेट कनेक्टिकट से दुगने बड़े क्षेत्र में इसे ढूंढा जा रहा है। कनेक्टिकट का क्षेत्रफल 13,023 स्क्वायर किमी है। रॉयटर्स के मुताबिक, यह पनडुब्बी भारतीय समयानुसार रविवार शाम 5:30 बजे अटलांटिक महासागर में छोड़ी गई थी। इसमें 96 घंटे की ऑक्सीजन रहती है।

बिजली सप्लाई रुकी तो ऑक्सीजन-CO2 का बैलेंस बिगड़ जाएगा
पनडुब्बी में ऑक्सीजन खत्म होना ही इकलौती दिक्कत नहीं है। पानी में रहने के दौरान मुमकिन है कि उसमें बिजली की सप्लाई ठप हो गई हो। अगर ऐसा हुआ तो ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बीच बैलेंस बनाना नामुमकिन हो जाएगा। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक टाइटन पनडुब्बी सिर्फ 22 फीट लंबी है, जिसमें बैठने के लिए सीट नहीं है।

बुधवार को मलबे के पास से आई थीं कुछ आवाजें
इससे पहले बुधवार को कनाडा की तरफ से सर्च ऑपरेशन में शामिल एक एयरक्राफ्ट को सोनार-बॉय की मदद से कुछ आवाजें सुनाई दी थीं। NN के मुताबिक, ये उसी जगह के पास से रिकॉर्ड की गईं जहां टाइटैनिक का मलबा मौजूद है। आवाजें करीब 30 मिनट के इंटरवल पर रिकॉर्ड हुई थीं। फिर 4 घंटे बाद सोनार ने दोबारा इन्हें डिटेक्ट किया था।

भारत में चीते लाने वाले ब्रिटिश अरबपति भी पनडुब्बी में मौजूद
पनडुब्बी को ढूंढने के लिए अंडरवाटर रोबोट सहित अमेरिका और कनाडा के 3 C-130 हरक्यूलस एयरक्राफ्ट भेजे गए हैं। इसके अलावा एक P-8 एयरक्राफ्ट और 2 कनाडाई सर्फेस शिप्स भी सर्च ऑपरेशन में शामिल हैं। इस पनडुब्बी में ब्रिटेन के अरबपति हैमिश हार्डिंग मौजूद हैं, जिन्होंने भारत में चीता लाने में सहयोग किया था।

इसके अलावा पनडुब्बी में फ्रांस के डाइवर पॉल-हेनरी, पाकिस्तानी-ब्रिटिश कारोबारी शहजादा दाऊद, उनका बेटा सुलेमान और ओशनगेट कंपनी के CEO स्टॉकटॉन रश मौजूद हैं। ओशनगेट कंपनी ही इस टाइटन सबमरीन की मालिक है। दरअसल, रविवार को एक टूरिस्ट पनडुब्बी ‘टाइटन’ अटलांटिक महासागर में लापता हो गई थी। इसमें एक पायलट और 4 पैसेंजर्स सवार थे। द गार्जियन के मुताबिक, 18 जून की दोपहर को सबमरीन पानी में उतरने के 1 घंटे 45 मिनट बाद रडार से गायब हो गई थी। इसमें सिर्फ 96 घंटे का लाइफ सपोर्ट ही रहता है। इस बात की जानकारी भी नहीं मिली है कि सबमरीन अभी भी पानी में ही है या सतह पर आ चुकी है।

टाइटैनिक जहाज का मलबा अटलांटिक ओशन में मौजूद है। ये कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के सेंट जोन्स से 700 किलोमीटर दूर है। मलबा महासागर में 3800 मीटर की गहराई में है। पनडुब्बी का ये सफर भी कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से ही शुरू होता है। ये 2 घंटे में मलबे के पास पहुंच जाती है। अमेरिका-कनाडा की रेस्क्यू टीम समुद्र में 7,600 स्क्वायर मील के एरिया में सर्चिंग कर चुकी हैं। मंगलवार को बताया गया था कि केप कॉड से करीब 900 मील (1,450 किमी) पूर्व में पनडुब्बी की तलाश चल रही है। इसके अलावा पानी में सोनार-बॉय भी छोड़े गए हैं, जो 13 हजार फीट की गहराई तक मॉनिटर कर सकते हैं। इसके अलावा कमर्शियल जहाजों की भी मदद ली जा रही है।

पनडुब्बी ओशन गेट कंपनी की टाइटन सबमर्सिबल है। इसका साइज एक ट्रक के बराबर है। ये 22 फीट लंबी और 9.2 फीट चौड़ी है। पनडुब्बी कार्बन फाइबर से बनी है​​​​​​। टाइटैनिक का मलबा देखने जाने के लिए प्रति व्यक्ति 2 करोड़ रुपए फीस है। ये सबमरीन समुद्र में रिसर्च और सर्वे के भी काम आती है। इस सबमरीन को पानी में उतारने और ऑपरेट करने के लिए पोलर प्रिंस वेसल का इस्तेमाल किया जाता है। इस साल फरवरी में टाइटैनिक का मलबा देखने जाने की पिछली यात्राओं में से एक का वीडियो यूट्यूब पर जारी किया गया था। इसमें 80 मिनट के अनकट फुटेज थे। फिर मई में जहाज के मलबे का पहला फुल साइज 3-D स्कैन भी प्रकाशित किया गया था। हाई रेजोल्यूशन फोटोज में मलबे को री-कंस्ट्रक्ट किया गया। इसके लिए डीप सी मैपिंग तकनीक का उपयोग किया गया था।

2022 में डीप-सी मैपिंग कंपनी मैगलन लिमिटेड और अटलांटिक प्रोडक्शंस ने एक बार फिर री-कंस्ट्रक्शन किया। अटलांटिक के तल पर जहाज के मलबे का सर्वेक्षण करने में विशेषज्ञों ने 200 घंटे से ज्यादा का समय बिताया। उन्होंने रिमोटली कंट्रोल्ड पनडुब्बी से स्कैन बनाने के लिए 7 लाख से ज्यादा फोटोज लिए थे। डीप-सी मैपिंग कंपनी मैगलन लिमिटेड और अटलांटिक प्रोडक्शंस इस प्रोजेक्ट पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बना रही हैं।

साभार : दैनिक भास्कर

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