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आरपीएफ कर्मियों द्वारा 17,756 बच्चों को बचाया गया

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नई दिल्ली (मा.स.स.). रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) का गठन आरपीएफ अधिनियम, 1957 के अंतर्गत भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारा रेलवे संपत्ति की बेहतर रक्षा और सुरक्षा के साथ –साथ रेलवे संपत्ति की आवाजाही में किसी भी बाधा को दूर करने तथा कोई अन्य कार्य करने के लिए अनुकूल रेलवे संपत्ति की बेहतर सुरक्षा और सुरक्षा के लिए किया गया था। आरपीएफ को रेलवे संपत्ति (अवैध अतिक्रम) अधिनियम, 1966 के प्रावधानों के अंतर्गत रेलवे संपत्ति के खिलाफ अपराध के मामलों से निपटने का अधिकार है। आरपीएफ को 2004 से रेलवे यात्री क्षेत्र और रेल यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है और वह रेल यात्रियों, यात्री क्षेत्र और रेल संपत्ति की रक्षा करने, रेल यात्रा और सुरक्षा को सुविधाजनक बनाने में अपराधियों के खिलाफ निरंतर लड़ाई, महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने के लिए सतर्क रहती है और रेलवे क्षेत्रों में पाए जाने वाले निराश्रित बच्चों के पुनर्वास के लिए उचित कार्रवाई भी करती है। बल को अपने पदानुक्रम (रैंकों ) में महिलाओं की सबसे बड़ी हिस्सेदारी (9% वाले केंद्रीय सुरक्षा बल होने का गौरव प्राप्त है।

वर्ष 2022 के दौरान आरपीएफ की उपलब्धियां

ऑपरेशन “रेल सुरक्षा” – इस ऑपरेशन के अंतर्गत, रेलवे संपत्ति की सुरक्षा के लिए मिले जनादेश के अनुसार आरपीएफ ने रेलवे संपत्ति से जुड़े अपराधों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। वर्ष के दौरान रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने रेलवे संपत्ति की चोरी के 6492 मामले दर्ज किए, जिसमें रेलवे संपत्ति की चोरी हुई रुपये की वसूली की गई। 11268 अपराधियों की गिरफ्तारी से 7.37 करोड़ रूपये प्राप्त हुए।

ऑपरेशन “उपलब्ध” के अंतर्गत दलालों के खिलाफ कार्रवाई – आरक्षित शायिका (बर्थ) के लिए रेलवे टिकट की खरीद आम आदमी के लिए एक बहुत ही कठिन काम है क्योंकि दलालों द्वारा टिकटों को थोक में लिया जा रहा था और इससे सुनिश्चित (कन्फर्म) रेलवे आरक्षण को ऑनलाइन कॉर्नर करने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर के उपयोग ने आम आदमी को कन्फर्म टिकट की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। आरपीएफ दलाली (अनधिकृत रूप से रेलवे टिकटों की खरीद और आपूर्ति का कारोबार करने) में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ गहन और निरंतर कार्रवाई कर रहा है। इस अभियान के अंतर्गत 5179 दलालों को गिरफ्तार किया गया और उनके विरुद्ध 4884 मामले दर्ज किए गए। इनमें आईआरसीटीसी के ऐसे 1021 अधिकृत एजेंट भी शामिल हैं जो आरक्षित टिकटों को हड़पने में अवैध तरीकों का इस्तेमाल करते हैं । 140 से अधिक अवैध सॉफ्टवेयरों को उनके डेवलपर्स, सुपर सेलर्स, विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं द्वारा इस तरह के अवैध सॉफ्टवेयर्स का उपयोग करते हुए गिरफ्तार किया गया ।

ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के अंतर्गत बच्चों का बचाव – आरपीएफ देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाले उन बच्चों की पहचान करने और उन्हें बचाने का पावन कार्य करता है जो विभिन्न कारणों से अपने परिवार से बिछड़ गए हैं। रेल मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में रेलवे के संपर्क में संकटग्रस्त बच्चों की बेहतर देखभाल और सुरक्षा के लिए एक संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की थी, जिसे 2022 में चालू किया गया था। इस एसओपी के अनुसार, वर्तमान में 143 रेलवे स्टेशनों पर सीएचडी चालू हैं। आरपीएफ ने कई कारणों से खोए/अलग हुए बच्चों को उनके परिवार से मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भारतीय रेलवे के संपर्क में आए देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों को बचाया है। इस संबंध में एक सघन अभियान अर्थात रेलगाड़ियों / रेलवे स्टेशनों पर देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों को बचाने के लिए भारतीय रेलवे पर ‘नन्हे फरिश्ते’ शुरू किया गया है और इसके उल्लेखनीय परिणाम सामने आ रहे हैं। विवेचनाधीन वर्ष के दौरान, आरपीएफ कर्मियों द्वारा ऐसे 17,756 बच्चों को बचाया गया।

मानव तस्करी के विरुद्ध कार्यवाही (ऑपरेशन एएएचटी) -आरपीएफ द्वारा मानव तस्करी के खिलाफ कार्रवाई, इस बल की पूरे भारत में पहुंच के साथ राष्ट्रीय वाहक के प्रहरी होने के नाते मानव तस्करी के खिलाफ देश की लड़ाई में इसका यह कार्य भी निर्धारित है। बल ने “ऑपरेशन एएएचटी” नाम से मानव तस्करी के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है। मानव तस्करों के प्रयासों को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र बनाने के लिए, 2022 में जारी मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार आरपीएफ की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स को पूरे भारत में 740 से अधिक स्थानों पर पोस्ट स्तर (थाना स्तर) पर सक्रिय किया गया था। वर्ष के दौरान, 194 तस्करों को गिरफ्तार कर 559 व्यक्तियों को उनके चंगुल से छुड़ाया गया। रेलवे सुरक्षा बल ने एसोसिएशन ऑफ़ वॉलंटरी एक्शन (नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की संस्था) जिसे बचपन बचाओ आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है, के साथ बल और रेलवे कर्मियों की छापा मारने की क्षमता निर्माण में सहयोग, बचाव और मानव तस्करी पर जानकारी साझा करने के उद्देश्य से 06.05.2022 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैंI

मिशन “जीवन रक्षा” – बहुधा ऐसी घटनाएं होती हैं जिनमें यात्री जल्दबाजी में चलती ट्रेन में चढ़ने / या उससे उतरने की कोशिश करते हैं और ट्रेन के पहियों के नीचे आने के जोखिम के साथ फिसल कर गिर जाते हैं। ऐसे और भी उदाहरण हैं जहां संकट में फंसे लोग जानबूझकर चलती ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं। इस ऑपरेशन के अंतर्गत आरपीएफ के जवान अपने जीवन को जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाने की कोशिश करते हैं। वर्ष के दौरान, आरपीएफ कर्मियों द्वारा इस प्रकार 852 बहुमूल्य जीवनों की रक्षा की गई।

ऑपरेशन “नारकोस (एनएआरसीओएस)” – नशीले पदार्थ न केवल युवाओं के स्वास्थ्य को नष्ट करते हैं, बल्कि वे अर्थव्यवस्था और राष्ट्र कल्याण को भी क्षति पहुंचाते हैं। आरपीएफ को 2019 में स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अवैध व्यापार निवारण अधिनयम (एनडीपीएस एक्ट), 1988 के अंतर्गत तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार दिया गया है। रेल के माध्यम से नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ अभियान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, आरपीएफ ने ऑपरेशन ऑपरेशन” नारकोस (एनएआरसीओएस) शुरू किया है और1081 अपराधियों को गिरफ्तार किया है और इसके आगे की कानूनी कार्रवाई की और लगभग 80 करोड़ रुपये के नशीले / स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थों (एनडीपीएस) की वसूली के लिए अधिकार प्राप्त एजेंसियों को सौंप दिया है।

ऑपरेशन “अमानत” के अंतर्गत छूटे हुए सामान की पुनर्प्राप्ति और सौंपना – कई बार यात्री ट्रेन में चढ़ने या ट्रेन / स्टेशन छोड़ने की हड़बड़ी में अपना सारा सामान ले जाना भूल जाते हैं। इस ऑपरेशन के तहत आरपीएफ कर्मी ऐसे सामान को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं और उन्हें उसके सही स्वामी को लौटाते हैं। इस ऑपरेशन के अंतर्गत, आरपीएफ ने लगभग 46.5 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के लगभग 25500 सामानों को बरामद किया।

ऑपरेशन ‘विलेप (डब्ल्यूआईएलईपी)’ – वन्यजीवों, पशुओं के अंगों और वन उत्पाद की तस्करी प्रकृति के खिलाफ अपराध है। रेलवे के माध्यम से वन्यजीवों के अवैध व्यापार में शामिल तस्करों के खिलाफ इस अभियान के तहत आरपीएफ ने कड़ी कार्रवाई की है। वर्ष के दौरान प्रतिबंधित वन्य जीवों के अवैध व्यापार के 129 मामलों का पता चला और 75 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। आरपीएफ इस क्षेत्र में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो – डब्ल्यूसीसीबी) और अन्य हितधारकों के साथ लगातार काम कर रहा है।

ऑपरेशन ‘यात्री सुरक्षा’ – आरपीएफ यात्रियों और उनके सामान की सुरक्षा के लिए अथक मिशन पर है। इस दिशा में आरपीएफ के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने और तात्कालिकता लाने के लिए 2022 में ऑपरेशन यात्री सुरक्षा शुरू किया गया था। यह न केवल आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुधार करके वास्तविक समय में यात्रियों की सुरक्षा संबंधी शिकायतों का समाधान कर रहा है, बल्कि यात्रियों से संबंधित अपराधों की रोकथाम और पता लगाने के लिए जीआरपी के साथ मिलकर काम भी कर रहा है।

आपातकालीन प्रतिक्रिया (इमरजेंसी रिस्पांस) – इस पहल के अंतर्गत आरपीएफ रेलवे के माध्यम से यात्रियों की सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा पर विशेष ध्यान देता है। आरपीएफ का टोल फ्री नंबर 139 (इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम नंबर 112 के साथ एकीकृत) और अन्य सोशल मीडिया मंचों यानी ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, कू आदि के माध्यम से चौबीसों घंटे यात्री सुरक्षा और अन्य शिकायतों को प्राप्त करने और हल करने के लिए उपलब्ध है। वर्ष के दौरान आरपीएफ ने अपनी यात्रा के दौरान वास्तविक समय सुरक्षा संबंधी सहायता की आवश्यकता वाले व्यक्तियों की 2 लाख से अधिक कॉलों पर ध्यान दिया।

यात्री अपराध की रोकथाम और जांच– इस कार्यवाही के अंतर्गत आरपीएफ रेलवे के माध्यम से यात्रियों की सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा पर विशेष ध्यान देता है। आरपीएफ द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अंतर्गत यात्री संबंधी अपराध के मामलों में पाए गए मामलों और गिरफ्तार व्यक्तियों को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए रेल सुरक्षा पुलिस (जीआरपी)/ पुलिस को सौंप दिया जाता है। वर्ष के दौरान आरपीएफ ने आईपीसी के तहत विभिन्न प्रकार के यात्री संबंधी अपराधों में शामिल 5749 अपराधियों को गिरफ्तार कर उन्हें जीआरपी/पुलिस को सौंप दिया। इनमें 82 नशाखोर, 30 डकैत, 380 लुटेरे, 2628 चोर, 1016 चेन स्नेचर और 93 महिला अपराध में शामिल व्यक्ति शामिल हैं।

ऑपरेशन महिला सुरक्षा के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा – अक्टूबर 2020 से भारतीय रेलवे नेटवर्क पर शुरू की गई ‘ मेरी सहेली पहल ‘ को और बेहतर बनाया गया। इस पहल का उद्देश्य लंबी दूरी की ट्रेनों में अकेले या नाबालिगों के साथ यात्रा करने वाली महिला यात्रियों को प्रारंभिक स्टेशन से अंतिम स्टेशन तक की पूरी यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रदान करना है। इसके कार्यान्वयन के लिए सभी क्षेत्रीय रेलवे में महिला आरपीएफ कर्मियों की समर्पित टीमों का गठन किया गया है। वर्तमान में, भारतीय रेलवे में प्रतिदिन औसतन 640 से अधिक ट्रेनों को समाहित करते हुए इस उद्देश्य के लिए औसतन 243 टीमों को तैनात किया जा रहा है। इन मेरी सहेली टीमों को सशक्त बनाने के लिए, मेरी सहेली आईटी मॉड्यूल को 2022 में संचालित किया गया था ताकि इन टीमों को सुरक्षा और आश्वासन की आवश्यकता वाली महिला यात्रियों के लक्षित समूह की पहचान करने में सहायता मिल सके।

महिला यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा भारतीय रेलवे की एक महत्वपूर्ण चिंता रही है। महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य निवारक उपाय भी लागू किए गए हैं – जैसे पुरुष और महिला आरपीएफ कर्मचारियों के मिश्रित चालक दल द्वारा ट्रेन का मार्गरक्षण, 861 स्टेशनों पर सीसीटीवी प्रणाली और लगभग 6368 कोच, महिला विशेष उपनगरीय ट्रेनों में महिला एस्कॉर्ट, अनधिकृत यात्रियों के खिलाफ नियमित अभियान एवं महिला कोच आदिI

ऑपरेशन “मातृशक्ति” के अंतर्गत प्रसवक्रिया में गर्भवती महिलाओं को सहायता प्रदान करना – आरपीएफ कर्मी, विशेष रूप से महिला आरपीएफ कर्मी, ऑपरेशन मातृशक्ति के तहत प्रसवक्रिया में गर्भवती महिलाओं की सहायता करने के लिए बाहर जाते हैं। वर्ष के दौरान आरपीएफ की महिला कर्मियों ने इस प्रक्रिया में 209 बच्चों के जन्म में मदद की।

ऑपरेशन “सेवा” के अंतर्गत रोगी, घायल, दिव्यांग व्यक्तियों की सहायता – इस ऑपरेशन के तहत आरपीएफ कर्मी बरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, शारीरिक रूप से अक्षम और रोगी/ घायल व्यक्तियों को ट्रेनों और उससे जुड़ी सेवाओं के माध्यम से उनकी यात्रा में सहायता करते हैं अर्थात व्हील चेयर, स्ट्रेचर, चिकित्सा सहायता, एंबुलेंस उपलब्ध कराना, दवाइयां और शिशु आहार इत्यादि जैसी अन्य सुविधाएं प्रदान करते हैं। वर्ष के दौरान आरपीएफ द्वारा ऐसे 37000 से अधिक व्यक्तियों की सहायता की गई।

ऑपरेशन “सतर्क” के अंतर्गत वर्जित/अवैध माल की ढुलाई के खिलाफ कार्रवाई : कर अपवंचकों/कानून तोड़ने वालों के लिए रेलगाड़ियां वर्जित वस्तुओं के परिवहन एक प्रमुख माध्यम बन गई हैं। इस ऑपरेशन का उद्देश्य अन्य कानून प्रवर्तन निकायों (एलईएएस) को उनके काम में सहायता करना है, जिसके अंतर्गत आरपीएफ स्वयं कार्य करता है/अन्य कानून प्रवर्तन निकायों (एलईएएस) को तम्बाकू उत्पाद, शराब, एफआईसीएन /बेहिसाब सोना/बेहिसाब नकदी/ बेहिसाब अन्य कीमती धातु /तस्करी किए गए सामान/ अस्त्र-शस्त्र गोला बारूद/विस्फोटक और प्रतिबंधित दवाएं आदि वर्जित वस्तुओं की बरामदगी में सहायता करता है। वर्ष के दौरान, आरपीएफ ने इन गतिविधियों में 2331 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया और उन्हें आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए संबंधित कानून प्रवर्तन निकायों (एलईएएस) को सौंप दिया। इस कार्यवाही में 7.47 करोड़ रूपये मूल्य के तम्बाकू उत्पाद ; 3.32 करोड़ रूपये मूल्य की शराब और नीचे उल्लिखित अन्य सामान जब्त किए गए –

मद जब्त किए गए सामान का मूल्य ( करोड़ रू. में )
बेहिसाब सोना 48.8
बेहिसाब चांदी 8.21
बेहिसाब अन्य मूल्यवान धातुएं 0.35
तस्करी किए हुए विदेश में बने अन्य उत्पाद 2.77
बेहिसाब नकदी 25.37
अस्त्र-शस्त्र / गोलाबारूद / विस्फोटक पदार्थ 0.82
प्रतिबंधित इंजेक्शन जैसी अन्य बरामद सामग्री 1.7

ऑपरेशन ‘ संरक्षा ‘ के अंतर्गत रेल परिचालन की सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास: यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है। चलती रेलगाड़ी पर पथराव करने, ट्रेन में ज्वलनशील पदार्थ या पटाखे ले जाने इत्यादि में शामिल अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। वर्ष के दौरान आरपीएफ द्वारा चलती ट्रेनों में पथराव के 1503 मामले दर्ज किए गए और 488 लोगों को गिरफ्तार किया गया। रेलवे पटरियों के पास रहने वाले व्यक्तियों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग करते हुए आरपीएफ द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इस अभियान में ट्रेनों में ज्वलनशील / पटाखे ले जा रहे 100 से अधिक व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया गया।

ऑपरेशन ‘जनादेश’ के अंतर्गत विधानसभा चुनावों के दौरान तैनाती- हिमाचल प्रदेश, गुजरात, गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में तैनात आरपीएफ की टुकड़ियों ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने और विधानसभा / संसदीय चुनावों के दौरान किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोकने में सहायता की है।

ऑपरेशन ‘साथी’ के अंतर्गत नागरिक कार्यवाही कार्यक्रम (सिविक एक्शन प्रोग्राम) – इस अभियान के अंतर्गत युवाओं को उनके कौशल विकास के लिए अपने साथ जोड़ने और उनके लाभकारी रोजगार को सुविधाजनक बनाने के लिए, विशेष रूप से रेलवे पटरियों से सटे क्षेत्रों में कई सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम लागू किए गए। कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कोष (सीएसआर फंड) के माध्यम से सार्वजनिक उपक्रमों को जोड़ने के लिए उनके लिए उचित प्रशिक्षण की अवधारणा की गई है। इसका उद्देश्य समुदाय के साथ विश्वास का बंधन विकसित करना, कमजोर (वल्नरेबल) युवाओं को अपराध के मार्ग से हटाना और रेलवे एवं उसके यात्रियों के खिलाफ अपराध के नियंत्रण और सुरक्षा के लिए समाज / समुदाय की सहायता प्राप्त करना है।

ऑपरेशन सम्मान (डिग्निटी) के अंतर्गत देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले वयस्कों का बचाव- इस ऑपरेशन के अंतर्गत रेलवे के संपर्क में आने वाली की देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाली महिलाओं सहित वयस्कों का बचाव, परित्यक्त, नशा करने वाले, निराश्रित, अपहृत, पीछे छूट गए, लापता, ऐसे व्यक्ति जिन्हें चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है, जो गिर गए थे और मानसिक रूप से विक्षिप्त की देखभाल और सुरक्षा की जाती है। 2022 के दौरान ऐसे लगभग 3400 लोगों का बचाव किया गया।

ऑपरेशन ‘ रेल प्रहरी‘ के अंतर्गत ट्रेनों से भागने वाले संदिग्धों को पकड़ने में राज्य पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सहायता प्रदान करना- प्रमुख स्टेशनों पर अपनी रणनीतिक स्थिति, अखिल भारतीय पहुंच, एक साथ कमान और निग़रानी तथा किसी भी आपात स्थिति के लिए त्वरित प्रतिक्रिया ही आरपीएफ कर्मियों का यूएसपी है। यह तब काम आता है जब किसी विशेष राज्य की राज्य पुलिस अपने संदिग्धों को वर्तमान में किसी अन्य राज्य से होकर जाने वाली ट्रेनों से भागते हुए पाती है। इसके अलावा, कानून के लंबे हाथ से बचने वाले कई संदिग्ध इस बल की नियमित जांच प्रक्रिया के दौरान आरपीएफ के जाल में फंस जाते हैं। ऑपरेशन रेल प्रहरी के अंतर्गत आरपीएफ अपनी इस यूएसपी का उपयोग अन्य पुलिस बलों / कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ट्रेनों से भाग रहे संदिग्धों को पकड़ने में सहायता देने के लिए करता है। 2022 के दौरान 151 ऐसे संदिग्धों को आरपीएफ द्वारा पकड़ा गया और रेलवे क्षेत्र के बाहर उनके द्वारा किए गए अपराधों के लिए संबंधित एजेंसियों को सौंप दिया गया।

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