वाशिंगटन. खालिस्तानी आतंकी हरदीप निज्जर की हत्या से भारत और कनाडा के रिश्तों में आए तनाव का असर संयुक्त राष्ट्र संघ यानी UN में दिखाई दे रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को UN की जनरल असेंबली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कनाडा का नाम लिए बिना कहा- राजनीति के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देना गलत है। हम ये मानते हैं कि संप्रभुता का सम्मान जरूरी है, पर ये सम्मान चुनिंदा नहीं होना चाहिए।
जयशंकर ने कहा- आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन राजनीतिक सहूलियत के हिसाब से नहीं लेना चाहिए। अपनी सहूलियत के हिसाब से क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता। जब वास्तविकता, बयानबाजी से कोसों दूर हो जाए तो हमारे भीतर इसके खिलाफ आवाज उठाने का साहस होना चाहिए। दरअसल, कनाडा की संसद के बाद 22 सितंबर को प्रधानमंत्री ट्रूडो ने UN में भी खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि कनाडा की धरती पर उसके नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के एजेंट शामिल हैं। ट्रूडो ने मांग की थी कि सच्चाई तक पहुंचने के लिए भारत सरकार उनका साथ दे। हालांकि भारत ने कनाडा के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
चंद देशों का एजेंडा दुनिया पर नहीं थोप सकते
जयशंकर ने UN में कहा कि दुनिया चुनौतीपूर्ण वक्त से गुजर रही है। उन्होंने भारत की G20 अध्यक्षता की तारीफ की और कहा- हमारी पहल से अफ्रीकन यूनियन संगठन का हिस्सा बना। ऐसा करके हमने पूरे महाद्वीप को एक आवाज दी, जो काफी समय से इसका हकदार रहा है।न्यूयॉर्क में 13 सितंबर से चल रही UN जनरल असेंबली यानी UNGA की बैठक में सभी सदस्य देश अपनी बात रखते हैं। UNGA की 77वीं बैठक में PM मोदी की जगह एस जयशंकर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने UNSC में बदलावों की भारत की मांग को दुनिया के सामने दोहराया है। जयशंकर ने कहा- समय बदल रहा है, अब दूसरे देशों की बात सुननी होगी। उन्होंने कहा कि चंद देशों का एजेंडा दुनिया पर नहीं थोपा जा सकता है। इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मुद्दे को लेकर UN चीफ एंटोनियो गुटेरेस से भी मुलाकात की थी।
जयशंकर के भाषण की अहम बातें…
- विश्व उथल-पुथल का असाधारण दौर देख रहा है। भारत के वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर विजन में केवल कुछ लोगों के छोटे फायदे नहीं बल्कि अनेक लोगों की चिंताएं शामिल हैं।
- वे दिन खत्म हो गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनके साथ आ जाएंगे। नियम तभी कारगर साबित होते हैं जब वो सभी पर बराबरी से लागू हों।
- गुटनिरपेक्षता के युग से, अब हम विश्व मित्र के युग में पहुंच गए हैं। जब हम लीडिंग पावर बनने की आकांक्षा रखते हैं, तो हम बड़ी जिम्मेदारी लेने और अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं।
- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने UN में भारत की संसद से पास हुए महिला आरक्षण बिल का भी जिक्र किया।
- जयशंकर ने कहा- मैं एक ऐसे समाज के लिए बोलता हूं जहां प्राचीन परम्पराओं में लोकतंत्र की आधुनिक जड़ें गहराई तक हैं। हमारी सोच, नजरिया और काम ज्यादा जमीनी और कारगर हैं।
साभार : दैनिक भास्कर
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