नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने अवैध बेटिंग और लोन ऐप्स पर शिकंसा करना शुरू कर दिया है. केंद्र सरकार की ओर से यह निर्देश जारी किया गया है कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन मंचों पर कर्ज देने वाले धोखाधड़ी वाले ऐप के विज्ञापन नहीं लगाएं. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बुधवार को यह जानकारी दी है. केंद्र सकार के इस निर्देश से साफ है कि सोशल मीडिया सेलिब्रिटी अब अवैध बेटिंग और लोन ऐप्स के विज्ञापन नहीं कर सकेंगे. सरकार इंटरमीडिएटरी नियमों के तहत कदम उठाएगी.
चंद्रशेखर ने मीडिया को बताया कि आईटी मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंचों साफ बता दिया है कि वे धोखाधड़ी वाले ऋण ऐप के विज्ञापन का इस्तेमाल नहीं करें. ये विज्ञापन लोगों को गुमराह करने वाले हैं. इस तरह के विज्ञापन से इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों को नुकसान पहुंच रहा है. केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया सहायक कंपनियों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों को मौजूदा आईटी नियमों के तहत अवैध ऋण और सट्टेबाजी ऐप्स को सक्रिय रूप से प्रतिबंधित करने और हटाने का निर्देश दिया है.
आईटी विभाग ने लोन ऐप्स को लेकर जारी किए निर्देश
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने सभी डिजिटल मध्यस्थों को मौजूदा आईटी नियमों का सक्रिय रूप से पालन करने के लिए एक सलाह जारी की. ये निर्देश विशेष रूप से गलत सूचना और डीपफेक के संदर्भ में दी गई है. आईटी मंत्रालय ने अवैध ऋण और सट्टेबाजी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के लिए मध्यस्थों के दायित्व को भी रेखांकित किया है.
आईटी मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “मध्यस्थों/प्लेटफार्मों को उपयोगकर्ताओं को घोटाला करने और गुमराह करने की क्षमता वाले अवैध ऋण और सट्टेबाजी ऐप्स के विज्ञापन जारी नहीं हो. इसके लिए विशेष उपाय करने की जरूरत है, यदि यह प्रकाशित होती है, तो इसके परिणामों की पूरी जिम्मेदारी बिचौलियों/प्लेटफार्मों की होगी.”
डीपफेक और सट्टेबाजी ऐप्स पर लगाम लगाने की पहल
यह सलाह डीपफेक, गलत सूचना और अवैध ऋण और सट्टेबाजी ऐप्स के प्रसार जैसे खतरों से निपटने के लिए सरकार के निर्णायक प्रयासों की पृष्ठभूमि में आई है. बता दें कि अक्टूबर में एक बैठक के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई पर चर्चा की थी.
बैठक के दौरान, आईटी मंत्रालय ने आरबीआई से बैंकों के लिए अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) प्रक्रिया को अधिक व्यापक बनाने का आग्रह किया था. इस प्रस्तावित केवाईसी प्रक्रिया, जिसे ‘नो योर डिजिटल फाइनेंस ऐप’ (केवाईडीएफए) कहा जाता है, की परिकल्पना ऋण ऐप्स का प्रभावी ढंग से पता लगाने के लिए की गई है.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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