नई दिल्ली (मा.स.स.). रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के कोयला क्षेत्र से हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। कोयला मंत्रालय द्वारा आज आयोजित एक समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए, राजनाथ सिंह ने देश में कोयला ब्लॉकों की पूरी तरह से पारदर्शी ऑनलाइन नीलामी के लिए कोयला मंत्रालय के सफल प्रयासों की सराहना की। यह समारोह वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी के 7वें चरण की शुरुआत और नीलामी के छठे चरण के सफल बोलीदाताओं के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों ने भारत को विश्व स्तर पर निवेश के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बना दिया है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि 14% वृद्धि के साथ, उम्मीद है कि कोयला उत्पादन इस वित्त वर्ष में 880 मिलियन टन के रिकॉर्ड आंकड़े को छूने में सफल होगा और कोयला उठान 900 मिलियन टन तक पहुंच जाने की संभावना है। कोयला मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए विभिन्न सुधारों के बारे में जोशी ने कहा कि विशेष रूप से, आरक्षित/वाणिज्यिक खदानों से कोयले का उत्पादन पहली बार 100 मिलियन टन को पार कर गया है। मंत्री ने कहा कि कोयला क्षेत्र, बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025-2026 तक तापीय कोयले के उत्पादन और निर्यात में और वृद्धि करने के लिए सभी प्रयास जारी हैं। निजी क्षेत्र से कोयला खदानों की नीलामी में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान करते हुए, जोशी ने कोयला खान से शीघ्र उत्पादन शुरू करने के लिए मंत्रालय द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहनों को रेखांकित किया।
केन्द्रीय कोयला, खान और रेल राज्य मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने कहा कि बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है और आर्थिक विकास को और बढ़ावा देने के लिए कोयला क्षेत्र का प्रदर्शन महत्वपूर्ण है। समारोह को संबोधित करते हुए कोयला सचिव अमृत लाल मीणा और अपर सचिव एवं नामित प्राधिकारी एम. नागराजू ने सतत कोयला उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। वाणिज्यिक नीलामी का ध्यान प्रतिस्पर्धा, पूंजी निवेश, नवीनतम तकनीक के उपयोग और अधिक भागीदारी पर केंद्रित है।
कोयला मंत्रालय ने आज कुल 106 कोयला ब्लॉकों के प्रस्ताव के साथ कोयला खानों की वाणिज्यिक नीलामी के 7वें चरण की प्रक्रिया शुरू की है। प्रस्तावित खान, सीएमएसपी अधिनियम और एमएमडीआर अधिनियम के तहत कोयला खानों का मिश्रण हैं। 106 कोयला खानों में से 101 खानों को सीएमएसपी/एमएमडीआर अधिनियम के तहत 17वें/7वें चरण के तहत नीलामी के लिए रखा जा रहा है और 5 कोयला खदानों को सीएमएसपी/एमएमडीआर अधिनियम के तहत 16वें/छठे चरण के दूसरे प्रयास के तहत पेश किया जा रहा है। 17वें/7वें चरण के तहत पेश किये जा रहे 101 कोयला खानों में से 32 नए कोयला खान हैं और पहले के चरणों के 69 खानों को फिर से पेश किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, सीएमएसपी/एमएमडीआर अधिनियम के तहत 16वें/छठे चरण के दूसरे प्रयास के तहत पांच कोयला खानों को भी फिर से पेश किया जा रहा है, जहां पहले प्रयास में एकल बोलियां प्राप्त हुई थीं।
नीलाम की जा रही खानें, कोयला/लिग्नाइट खनिज से युक्त राज्यों में फैली हुई हैं, जिनमें झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, तमिलनाडु और बिहार शामिल हैं। मंत्रालय ने 29 कोयला खानों के लिए समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिनकी नीलामी कोयला खानों की वाणिज्यिक नीलामी के छठे चरण के तहत पूरी की गई थी। 29 कोयला खानों का संचयी पीआरसी 74 एमटीपीए है। चालू होने पर ये खान 14,497 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व अर्जित करेंगे। यह गणना इन कोयला खानों के पीआरसी के आधार पर की गई है और इनसे करीब एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
निविदा दस्तावेज की बिक्री आज, 29 मार्च, 2023 से शुरू हो रही है। खानों, नीलामी की शर्तों, समय-सीमा आदि का विवरण एमएसटीसी नीलामी प्लेटफॉर्म पर देखा जा सकता है। यह नीलामी; प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर एक पारदर्शी दो चरण वाली प्रक्रिया के माध्यम से ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड, जो कोयला खान की वाणिज्यिक नीलामी के लिए कोयला मंत्रालय का एकमात्र लेन-देन सलाहकार है, नीलामी प्रक्रिया के संचालन में मंत्रालय की सहायता कर रहा है।
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