नई दिल्ली. 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की कार्यवाही मंगलवार को 7वें दिन भी जारी है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सभापति जगदीप धनखड़ के बीच एक बार फिर जमकर बहस हो गई। मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोनिया गांधी के संदर्भ में कहा कि मेरे को बनाने वाले यहां बैठे हैं। न रमेश बना सकता है, न आप बना सकते हैं। मुझे इस देश की जनता ने बनाया है।
इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने उनको बीच में टोकते हुए कहा कि मैं उस स्तर पर नहीं जाना चाहता। मेरी बात को ध्यान से सुनिए। आप अचानक खड़े होते हैं और कुछ भी कह देते हैं, मेरी बात को समझते भी नहीं है। इस देश और संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में कभी भी इतनी अध्यक्ष की अवमानना नहीं हुई। आपकी गरिमा पर कई बार हमला बोला है। मैंने आपकी गरिमा की रक्षा करने की कोशिश की है।
मेरे अंदर बहुत सहन शक्ति है
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि आप हर बार चेयर को नीचा नहीं दिखा सकते। अब यह आपके आत्मचिंतन करने का का समय है। मेरे अंदर बहुत सहनशक्ति है। मैं खून की घूंट पी सकता हूं। मैंने क्या-क्या बर्दाश्त किया है, कितना बर्दाश्त किया है। खड़गे जी, आपको किसने बनाया है ये आप अपने आप जानें। मैंने एक मुद्दा उठाया, कैसे आपने ट्विस्ट किया। ये आप खुद सोचिए। मेरे को भी पीड़ा होती है।
कल का दिन कितना भयानक था
कुछ सदस्यों के एक बार फिर बीच में बोलने पर सभापति ने कहा कि ऐसा नहीं है खड़गे जी, कितने मौके आए हैं? जब आपकी प्रतिष्ठा को धक्का लगा है, मैंने देखा है। मैंने तो आपको बचाने की कोशिश की है और आप ये लांछन कर रहे हैं। कल का दिन कितना भयानक था। ऐसा मत कीजिए। मैं साधारण आदमी हूं। मैं जितना झुक सकता हूं, झुका हूं। कोई कहता है मैं ज्यादा झुकता हूं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।
साभार : न्यूज24
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं