हल्द्वानी. जिला पंचायत मे ग्रामीण समाज तक योजनाए पहुंचाने मे शासन सरकार विफल हैं. ए एन एम पीएम एन जे एस वाय के अंतर्गत योजनाओ से वंचित प्रदेश के ग्रामीण समाज के परिवार स्वास्थ योजना से दूर हैं. प्रदेश की सरकार केंद्र सरकार को प्रदेश मे हो रहे करोड़ो के शिलान्यास की योजना की भूरी भूरी प्रशंसा कर बखान करते हैं. प्रदेश के मंत्री केंद्रीय मंत्रियो से मुलाकात कर अपने भविष्य को सावरने को लामबद्ध हैं. प्रदेश के अंतिम छोर तक के व्यक्ति को सशक्त बनाने की प्रदेश के मुखिया बात करते है. उत्तराखंड की सत्ता मे आये तीन चरणों के कार्यकाल मे ऐसा कुछ भी होता नहीं दिखा हैं. पिछढा समाज को शासन स्तर मे कोई स्थान नहीं दिया गया हैं. विभागों मे चतुर्थ वर्ग की नौकरियों मे पिछड़ा वर्ग अनुसूचित वर्ग को अनदेखा किया गया है.
पहाड़ के ज्यादातर इलाको के ग्रामीण रीढ़ का काम करती हैं. ग्रामीण स्थल मे फल उत्पादन कृषि उत्पादन मे कृषक ग्रामीण हतोत्साहित हैं. उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिलना ग्रामीणों की अहम समस्या हैं. प्रदेश के जिला पंचायत के सदस्य ग्रामीणों की समस्या का निराकरण करने करने मे पिछे हैं. जनपद नैनीताल के रामगढ़, मुक्ततेश्वर, भीमताल, भवाली एवं नैनीताल पर्वतीय स्थल मे जिला पंचायत के सदस्य ग्रामीण कृष्को को फल की उपज का मंडी मे उचित मूल्य नहीं दिला पाये. सेब आड़ू खुबानी पुलम अन्य राज्यों मे जाता हैं. सरकार शासन के आकड़ो मे विदेशो मे भी उत्तराखंड के उत्पाद पसंद किये जाने का ब्योरा हैं. जब मंडी तक मे फल का ग्रामीण को उचित मूल्य नहीं मिल पाया तो प्रदेश की सरकार प्रदेश के राजस्व मे वृद्धि पर केंद्र से वाह वही करती हैं.
सशक्त व्यक्ति की वात कहने वाले प्रदेश के मुखिया पर्वतीय इलाके के ग्रामीण पिछड़ा वर्ग उपेछीत हैं. वर्ष 2007 मे नैनीताल जिला पंचायत की नाक के नीचे पोस्ट ऑफिस के डाक बँगले मे चौकीदार ने खुदान करवा कर 12 से 15 दुकाने बनवा दी डाक बंगला धर्मशाला के अंतर्गत हैं. धर्मशाला का वाक्या वर्ष 1991 से 1994 तक विवादित मे रहा धर्मशाला के चौकीदार की षणयँत्र रच कर धर्मशाला मे रहने वालों ने धर्मशाला पर कब्ज़ा किया था. चौकीदार एक पिता पुत्र और आमा थी. डाक बँगले से सटे धर्मशालासे लगता बाल संसार नामक स्कुल हैं. स्कुल भी कब्जा कर बनाया गया था. डाक बँगले के दुकानदार नैनीताल ऑफिस मे तय महीना देते हैं. जिला पंचायत की नाक के नीचे भू माफिया सा षणयन्त्र रच कर कब्ज़ाने का मामला काबिले तारीफ हैं.
भाजपा का उत्तराखंड मे तीसरा कार्यकाल है. विधायकों के वेतन मे बढ़ोत्री मे राज्य सभा मे युद्ध चलता रहता हैं.भत्तो मे वाक युद्ध चलता रहता हैं.मंत्रियो के विदेश दौरो मे करोड़ो रूपये खर्च किये जाते हैं.उत्तराखंड एक धार्मिक नगरी है.जिसका देश मे एक अलग महत्त्व है.70 प्रतिशत इलाका पहाड़ी हैं. ग्रामीण शिक्षा लेकर रोजगार को दूसरे राज्यों मे जाते हैं.ग्रामीण समाज से अधिक रोजगार मे जाने पर गांव के गांव खाली ही गये हैं.एक अकड़ा बताता हैं 675 गांव कुमाऊ मण्डल से वीरान हो गए हैं. पीढ़ियों से रह रहे परिवार जिस इमारत मे रहते हैं, आपदा से प्रभावित हैं.आपदा प्रबंधन अकड़ा पेश कर परिवारों के पुनर्वास पर करोडो रुपयों के फण्ड पर राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजती हैं.अल्मोड़ा एवं नैनीताल मे अत्यधिक हानि हुयी है.अल्मोड़ा के दन्या मे 1.5 किलोमीटर की बस्ती नजूल होने से ब्लैक लिस्टेड हैं. सरकार आपदा प्रबंधन को को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देती हैं.सरकार केंद्र से पूनर्वास को फंड का इंतजार करती हैं,फण्ड कहा जाता हैं,कहा खर्च होता हैं, सम्बंधित व्यक्ति के पास कोई जवाब नहीं.
मा.स./विक्रम सिंह