नई दिल्ली. संसद का बजट सत्र जारी है। एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के दौरान कहा था कि मोदी सरकार यूपीए सरकार की नाकामियों पर श्वेत पत्र लेकर आएगी। वित्त मंत्री के एलान के बाद आज संसद में श्वेत पत्र पेश कर दिया गया। श्वेत पत्र को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
वित्त मंत्री ने क्या कहा था?
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा था कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले देश आर्थिक संकट में था। निर्मला ने इसके लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुत मेहनत की है।
श्वेत पत्र क्या होता है?
श्वेत पत्र के जरिए यूपीए और एनडीए सरकार के कार्यकाल में हुए कार्यों की तुलना की जाएगी। साथ ही सरकार अपने कार्यकाल में उठाए गए सकारात्मक कदमों के बारे में भी बताएगी। श्वेत पत्र एक रिपोर्ट होती है, जिसके जरिए सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताया जाता है। श्वेत पत्र में शामिल दस्तावेज कई रंगों में होते हैं। इन्हीं रंगों के हिसाब से दस्तावेजों का वितरण किया जाता है।
कौन जारी करता है श्वेत पत्र?
सरकार के अलावा कोई भी कंपनी, या संस्था श्वेत पत्र ला सकती है। आमतौर पर कंपनियां इसके जरिए अपनी स्थिति के बारे में बताती हैं। इससे कंपनी के ग्राहकों और उत्पादों के बारे में विस्तृत जानकारी भी मिलती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 1922 में ब्रिटेन में पहली बार श्वेत पत्र लाया गया था।
कांग्रेस लाई ब्लैक पेपर
उधर, श्वेत पत्र के जवाब में कांग्रेस ब्लैक पेपर लेकर आई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुरुवार को ब्लैक पेपर जारी किया। खरगे ने कहा कि बीजेपी लोकतंत्र को खत्म कर रही है। इसके अलावा इसमें रोजगार, बेरोजगारी, महंगाई का मुद्या उठाया गया।
साभार : दैनिक जागरण
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