लखनऊ. फिल्म अभिनेत्री एवं पूर्व सांसद जयाप्रदा को चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के एक अन्य मामले में राहत मिल गई है। न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया है। जयाप्रदा के विरुद्ध चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के दो मामले वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में दर्ज हुए थे। इनमें एक मामला केमरी थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें जयाप्रदा पहले ही बरी हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त एक मामला स्वार कोतवाली का है, जिसमें बुधवार को न्यायालय ने फैसला सुनाया। इसमें उन पर आचार संहिता के बावजूद नूरपुर गांव में सड़क के उद्घाटन का आरोप था। इसका वीडियो प्रसारित होने पर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट में हुआ फैसला
पुलिस ने विवेचना कर उनके विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिए थे। इसकी सुनवाई एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) में चल रही थी। बुधवार को इसमें निर्णय हुआ। जयाप्रदा न्यायालय में हाजिर हुईं। जयाप्रदा के अधिवक्ता अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताया कि अभियोजन केस को साबित नहीं कर सका। अभियाेजन की ओर से जितने भी गवाह पेश किए गए थे, उनमें कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं था। जिस वीडियो के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी, उसकी फारेंसिंक जांच नहीं कराई गई थी।
चुनाव लड़ने से रोकने के लिए रंजिशन किया था झूठा मुकदमा
न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में जयाप्रदा को बरी कर दिया है। कोर्ट से बाहर आने के बाद जयाप्रदा ने न्यायालय का धन्यवाद दिया। कहा कि हमें इंसाफ मिला है। उनका कहना था कि उन्हें रामपुर से चुनाव लड़ने से रोकने के लिए रंजिशन झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए थे। उनकी फर्जी वीडियो बनाकर प्रसारित की गई थी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोई साक्ष्य नहीं मिलने पर न्यायालय ने हमें बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि वह रामपुर की अवाम से बहुत प्यार करती हैं। वह यहां हमेशा आती रहेंगी और जनता की सेवा करती रहेंगी। जो लोग हमें यहां से चुनाव लड़ने से रोकना चाहते हैं, उन्हें समय आने पर जवाब देंगे। कुंदरकी से उप चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि शीर्ष नेतृत्व जो तय करेगा, वही करेंगे।
साभार : दैनिक जागरण
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं