शुक्रवार, नवंबर 22 2024 | 01:40:22 AM
Breaking News
Home / राज्य / उत्तरप्रदेश / कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को लिखने होंगे अपने नाम

कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को लिखने होंगे अपने नाम

Follow us on:

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 22 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा पर प्रशासन विवादों में घिरता दिख रहा है। मुजफ्फरनगर पुलिस ने 3 दिन पहले (15 जुलाई को) जारी एक आदेश में कहा था कि कांवड़ रास्ते की दुकानों में मालिक अपना नाम लिखवाएं, ताकि कांवड़ियों में कंफ्यूजन न हो। इस आदेश के बाद अब राजनीति शुरू हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर सवाल उठाए हैं।

ओवैसी ने मुजफ्फरनगर पुलिस की तुलना हिटलर से की है। वहीं, अखिलेश ने कहा- जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान ले। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं। जवाब में एसएसपी ने कहा- यह परंपरा रही है और भ्रम की स्थिति से बचने के लिए ऐसा किया गया। वहीं, TMC के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने मुजफ्फरनगर पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में केस दर्ज कराया है। गोखले के मुताबिक, आदेश भेदभाव करने वाला है। साथ ही उन्होंने SSP मुजफ्फरनगर के तर्क को मूर्खतापूर्ण बताया।

अब जानिए, मुजफ्फरनगर पुलिस को ये आदेश क्यों देना पड़ा

बघरा के योग साधना केंद्र के संस्थापक स्वामी यशवीर आश्रम महाराज ने चेतावनी दी थी कि कांवड़ रास्ते पर पड़ने वाले मुस्लिम होटल संचालक अपना नाम नहीं लिखेंगे तो आंदोलन छेड़ देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों ने हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर होटल खोले हैं। इससे श्रद्धालु भ्रमित हो जाते हैं। पुलिस जांच में ऐसे 8 होटल मिले, जो मुसलमानों के थे, लेकिन होटलों के नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखे गए थे। इसके बाद SSP अभिषेक सिंह ने अपील की कि अपने होटल का नाम बदल लें और वहां काम करने वालों के नाम बोर्ड पर लिखवा दें।

SSP अभिषेक सिंह ने कहा- कांवड़ यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखनी होती है। ऐसे में किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति पैदा न हो, इसलिए होटल संचालकों से उनके नाम की पट्टिका लगवाई गई। कांवड़िए खानपान में कुछ खाद्य सामग्री से परहेज करते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां कांवड़ मार्ग पर दुकानदार अपनी दुकानों के नाम इस तरह रखते हैं, जिससे कांवड़िए भ्रमित हो जाते हैं। इसके चलते कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा हो जाती है।

ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए होटल मालिकों और अन्य दुकानदारों से अनुरोध किया कि स्वेच्छा से मालिक दुकान पर अपना और वहां काम करने वालों का नाम लिखवा दें। हमारा इरादा किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं है। DIG अजय कुमार साहनी ने कहा- पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जब कांवड़ियों के बीच होटल और ढाबों पर खाने की रेट लिस्ट को लेकर बहस हुई। इसके अलावा, ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां किसी होटल, ढाबे पर नॉनवेज मिलता है या किसी दूसरे समुदाय के व्यक्ति ने किसी और नाम से होटल, ढाबा खोला तो इससे विवाद हुआ।

इसके मद्देनजर निर्णय लिया गया कि दुकानों, होटल, ढाबों के मालिक का नाम बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा जाए। रेट लिस्ट स्पष्ट रूप से लिखी जाएगी। कर्मियों के नाम भी स्पष्ट रूप से लिखे जाएंगे, ताकि किसी भी तरह की कोई समस्या न हो। सभी से बातचीत की गई है और सभी होटल, ढाबे इस पर सहमत हैं। मुजफ्फनगर जिले से होते हुए कांवड़िए हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यूपी के अलग-अलग जिलों में जाते हैं। हरिद्वार से हर साल 4 करोड़ कांवड़िए कांवड़ उठाते हैं। ढाई करोड़ से ज्यादा कांवड़िए मुजफ्फरनगर से होकर जाते हैं। स्वामी यशवीर आश्रम महाराज की चेतावनी के बाद पुलिस ने जांच की। इसमें 8 होटल ऐसे मिले, जिनके मालिक मुसलमान थे, लेकिन होटलों के नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखे थे। इसके बाद SSP अभिषेक सिंह ने सभी होटल मालिकों से अपील की कि अपने होटल का नाम बदल लें।

ऐसे आदेश शांतिपूर्ण वातावरण बिगाड़ते हैं- अखिलेश

अखिलेश यादव ने X पर लिखा- कोर्ट को इस मामले पर खुद एक्शन लेना चाहिए। ऐसे आदेश की जांच कराई जाए। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।

जर्मनी में इसका नाम जुडेनबॉयकॉट था-ओवैसी

असदुद्दीन ओवैसी ने X पर लिखा- अब हर खाने वाली दुकान या ठेले मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से किसी मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद लें। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथेड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम जुडेनबॉयकॉट था। अपारथेड (रंगभेद) को मानवता के खिलाफ अपराध माना जाता है। इसे ‘नस्लीय अलगाव की कानूनी रूप से स्वीकृत प्रणाली’ के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत एक नस्लीय समूह को राजनीतिक और नागरिक अधिकारों से वंचित किया जाता है। इसके विपरीत, ‘जुडेनबॉयकॉट’ अप्रैल 1933 में शुरू हुआ। इसमें यहूदी व्यवसायियों का नाजियों ने बहिष्कार किया था।

जर्मनी में नाजियों ने ऐसा किया था- जावेद अख्तर

गीतकार जावेद अख्तर ने X पर लिखा- मुजफ्फरनगर पुलिस ने आदेश दिया है कि कांवड़ यात्रा के रूट पर सभी दुकानदार, रेस्टोरेंट संचालक, वाहनों के मालिक अपना नाम स्पष्ट लिखवाएं। क्यों? नाजी जर्मनी में केवल विशेष दुकानों और घरों पर निशान बनाए जाते थे।

यह मुसलमानों का आर्थिक बॉयकॉट- पवन खेड़ा

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा- यह कदम मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट के लिए उठाया गया है। जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वो यह भी तय करेंगे कि कौन किससे क्या खरीदेगा? जब इस बात का विरोध किया गया तो कहते हैं कि जब ढाबों के बोर्ड पर हलाल लिखा जाता है तब तो आप विरोध नहीं करते।

साभार : दैनिक भास्कर

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://www.amazon.in/dp/9392581181/

https://www.flipkart.com/bharat-1857-se-1957-itihas-par-ek-drishti/p/itmcae8defbfefaf?pid=9789392581182

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

ओवैसी के उ.प्र. प्रमुख शौकत अली ने कांवड़ियों को बताया नशेड़ी और हुड़दंगी

लखनऊ. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के यूपी चीफ ने कांवड़ियों को ‘हुड़दंगी’ करार दिया …