इस्लामाबाद. दुनिया के कई देशों में बच्चों में रिपोर्ट किया जाने वाला पोलियो का संक्रमण स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण रहा है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में इसके कुछ नए मामले सामने आए हैं है। अधिकारियों ने रविवार जानकारी दी है कि सिंध प्रांत में हाल ही में पोलियो के चार नए मामलों की पुष्टि हुई है, इसके साथ पाकिस्तान में इस साल पोलियो के कुल मामले बढ़कर 39 हो गए हैं। स्थानीय अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पोलियो के नए मामलों को देखते हुए आसपास के शहरों को अलर्ट किया गया है।
पोलियो उन्मूलन के वैश्विक प्रयासों के बावजूद, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो वायरस संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। अधिकारी बताते हैं कि पाकिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों में पोलियो के केस ज्यादा रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। पिछले दस महीनों में पाकिस्तान में पोलियो वायरस के 20 मामले बलूचिस्तान से, 12 सिंध से, पांच खैबर पख्तूनख्वा से और एक-एक पंजाब और इस्लामाबाद से सामने आए हैं। पाकिस्तान में पोलियो के नए मामले सामने आने के बाद सभी लोगों को संक्रमण से बचाव को लेकर सावधानी बरतते रहने की सलाह दी गई है। गौरतलब है कि इस वायरस के तेजी से फैलने का खतरा रहता है। संक्रमितों में विकलांगता और कई प्रकार की शारीरिक जटिलताओं का जोखिम हो सकता है।
पोलियो का खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान दुनिया के दो देश हैं जहां पोलियो स्थानिक बीमारी बनी हुई है। इससे पहले जुलाई-अगस्त 2022 में भी पाकिस्तान में पोलियों के मामले सामने आ चुके हैं। पोलियो के मामलों ने वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। दुनिया के अधिकतर देश जब इस वायरस से मुक्ति की तरफ आगे बढ़ रहे हैं, इसी बीच इस आउटब्रेक ने पोलियो उन्मूलन अभियानों को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
पाकिस्तान में क्यों रिपोर्ट किए जाते रहे हैं पोलियो के मामले
पिछले कुछ वर्षों के डेटा देखें तो पता चलता है कि पाकिस्तान में पोलियो वायरस के मामले हर साल सामने आते रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि, बच्चों को पोलियो की खुराक न पिलवाने या पोलियो रोकथाम अभियानों के दौरान कई कारणों से बच्चों को खुराक के लिए सामने न लाने के कारण यह प्रकोप देखा जा रहा है। अशिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण माता-पिता बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने से बचते हैं। एक ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट में पाकिस्तान के पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान में पोलियो की खुराक पिलाने को लेकर अब भी अशिक्षा भारी पड़ रही है। यहां बच्चों की उंगली पर नकली निशान लगाकर बता दिया जाता है कि उनको खुराक मिल गई है। इस तरह से टीकाकरण में हुए चूक पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा देश को पोलियो मुक्त बनाने की दिशा में बड़ी बाधा बन रही है।
भारत हो चुका है पोलियो मुक्त
भारत ने अपने अथक प्रयासों और व्यापक वैक्सीनेशन कार्यक्रम के जरिए पोलियो से मुक्ति पा ली है। 13 जनवरी 2011 को पश्चिम बंगाल में संक्रमण का आखिरी केस रिपोर्ट किया गया था। इस रोग के प्रति प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए भारत सरकार 5 साल से कम उम्र के बच्चों को पोलियो की ओरल वैक्सीन मुफ्त देती है। 1970-90 के दशक में भारत में पोलिया का भयंकर प्रकोप रहा। 90 के दशक में भारत में पोलियो के मामले दुनिया के कुल केसों के 60% से अधिक था। हालांकि देश में 2 अक्तूबर 1994 को पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने के बाद इसमें काफी तेजी से सुधार आया।
साभार : अमर उजाला
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