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ज्ञानवापी पर निर्णय देने वाले जज को विदेश से मिल रही हैं धमकियाँ

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लखनऊ. बरेली में जज रवि कुमार दिवाकर को फोन पर जान से मारने की धमकी मिली है। उन्हें इंटरनेशनल नंबर से फोन कर धमकी दी गई। मामले में जज रवि दिवाकर ने बरेली के SSP को पत्र लिखा है। जज का कहना है कि उन्हें लगातार अंतरराष्ट्रीय नंबरों से फोन कर धमकी दी जा रही है। इससे पहले 2022 में इस्लामिक आगाज मूवमेंट के नाम से धमकी भरी चिट्‌ठी भेजी गई थी।

ज्ञानवापी में सर्वे से जुड़े फैसले के दौरान उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी। इस फैसले में उन्होंने ज्ञानवापी का सर्वे दोबारा करने का आदेश दिया था, जिसमें कहा था कि सर्वे चाहे ताला खुलवाकर हो या ताला तोड़कर हो, इसे रुकना नहीं चाहिए। इस फैसले में उन्होंने लिखा था- साधारण से मामले को असाधारण बनाकर डर का माहौल बना दिया गया है। डर इतना है कि मेरे परिवार को लगातार मेरी और मुझे परिवार की चिंता बनी रहती है। घर से बाहर होने पर बार-बार पत्नी मेरी सुरक्षा के लिए चिंतित रहती है।

15 अप्रैल को विदेशी नंबर से आई थी कॉल

बता दें कि बनारस में ज्ञानवापी मामले में फैसला सुनाने के बाद रवि दिवाकर का तबादला बरेली हो गया था। इसके बाद शासन की ओर से जज रवि दिवाकर और परिवार को सुरक्षा दी गई। जज रवि दिवाकर की ओर से SSP को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी गई है। पत्र में लिखा है कि 15 अप्रैल की शाम 8:42 बजे इंटरनेशनल नंबर से निजी नंबर पर कॉल आई। इस पर कोई उत्तर नहीं दिया गया है। इंटरनेशनल नंबर से 20-25 दिन में कई कॉल आ चुके हैं और धमकी मिल चुकी है। वर्तमान में जज की सुरक्षा में 2 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।पहले शाहजहांपुर के SSP अशोक कुमार मीणा ने न्यायमूर्ति दिवाकर के भाई, जो एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश भी हैं के आवास पर एक गनर तैनात किया गया था।

कब और कैसे चर्चा में आए रवि कुमार दिवाकर

जज रवि दिवाकर ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे और वजूखाने को सील करने का आदेश देने के बाद से चर्चा आए थे। ज्ञानवापी फैसले के बाद जज ने इसी तरह के खतरे की बात कही थी। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके और उनके परिवार के लिए वाई-श्रेणी की सुरक्षा का आदेश दिया था। जिसे बाद में घटाकर एक्स-श्रेणी में कर दिया गया।

बरेली में भी तौकीर रजा की खोली थी फाइल

जज रवि दिवाकर ने बरेली में साल 2010 में हुए दंगे के मामले को स्वतः संज्ञान लेकर दंगे के आरोप में मौलाना तौकीर रजा को मुख्य आरोपी माना था। हालांकि इस पूरे मामले में मौलाना तौकीर सुप्रीम कोर्ट चले गए, जहां से राहत मिल गई। साल 2010 में हुए दंगे में करोड़ों की संपत्ति जलकर खाक हो गई थी और 27 दिन तक बरेली में कर्फ्यू लगा रहा था। मौलाना तौकीर रजा के मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश रवि दिवाकर लगातार सुर्खियों में बने रहे।

2022 में भी मिल चुकी है धमकी

रवि दिवाकर को इससे पहले 2022 में भी धमकी मिल चुकी है। रवि दिवाकर के अनुसार, वह लखनऊ स्थित अपने घर से बीती 29 मई को वाराणसी आ रहे थे। रास्ते में उनके निजी मोबाइल नंबर पर कई बार अज्ञात नंबर से कॉल आई। रिसीव करने पर उधर से सलाम वाले कुम की आवाज आई और फिर फोन कट गया। इस संबंध में उन्होंने 30 मई को चिट्ठी लिखकर पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को जानकारी देकर उचित कार्रवाई के लिए कहा था।

साभार : दैनिक भास्कर

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