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बिना चर्चा के सुरेश को प्रत्याशी बनाने से ममता और शरद पवार नाराज

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नई दिल्ली. 18वीं लोकसभा के पहले ही सत्र में इंडिया गठबंधन के भीतर फूट पड़ गई है. लोकसभा स्पीकर चुनाव में कांग्रेस के एकतरफा फैसले ने गठबंधन के दो बड़े दल एनसीपी और टीएमसी को नाराज कर दिया है. ममता बनर्जी की पार्टी ने तो नाराजगी का खुलकर इजहार भी किया है. टीएमसी ने लोकसभा स्पीकर पद के प्रत्याशी के.सुरेश को कांग्रेस का उम्मीदवार बता दिया है.

ममता बनर्जी की पार्टी का कहना है कि कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के भीतर स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को लेकर कोई चर्चा नहीं की है. टीएमसी की नाराजगी के बीच शरद पवार के एक बयान ने भी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है. मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए सीनियर पवार ने के.सुरेश की दावेदारी से खुद को अनभिज्ञ बता दिया है. पवार ने यहां तक कह दिया कि विपक्ष को स्पीकर पद के लिए चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. हमेशा से यह पद सत्ताधारी दल के पास ही रहा है.

बिरला के मुकाबले कांग्रेस ने सुरेश को उतारा

एनडीए की तरफ से लोकसभा स्पीकर पद के लिए कोटा से सांसद ओम बिरला को प्रत्याशी बनाया गया है. बिरला 17वीं लोकसभा के भी अध्यक्ष रहे हैं. बिरला के मुकाबले कांग्रेस ने मावेलीकड़ा से सांसद के. सुरेश को लोकसभा स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाया है. सुरेश मनमोहन सरकार में मंत्री रहे हैं और 17वीं लोकसभा के दौरान वे कांग्रेस पार्टी के सचेतक थे. के सुरेश की दावेदारी पर बोलते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा- सत्ता पक्ष से सहमति नहीं बनने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने विपक्ष के सभी दलों से बात की है. इसके बाद हमने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है.

संसद में बिगड़ जाएगा विपक्ष का नंबर गेम

इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में अभी 237 सीटें हैं. इनमें कांग्रेस की 98, सपा की 37, तृणमूल की 29, डीएमके की 22, शिवसेना की 9, एनसीपी की 8, आरजेडी-सीपीएम की 4-4, आप-जेएमएम-आईयूएमल की 3-3 सीटें शामिल हैं. इसके अलावा 9 छोटे दलों की 14 और 3 निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन इंडिया गठबंधन को प्राप्त है. एनडीए के पास 296 सांसद हैं. लोकसभा में अगर टीएमसी और एनसीपी समर्थन नहीं करती है तो इंडिया गठबंधन को सीधे तौर पर 36 सीटों का झटका लगेगा.

शरद पवार ने क्या कहा है-मुंबई में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीनियर पवार ने कहा है कि मैंने विपक्ष के लोगों से बात की है. मैंने उन्हें सुझाव दिया है कि आप स्पीकर का चुनाव निर्विरोध होन दें, क्योंकि हमेशा से यह पद सत्ताधारी दल के पास ही जाता रहा है. शरद पवार से जब पत्रकारों ने विपक्ष के उम्मीदवार के बारे में पूछा तो उनका जवाब था- अभी मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, दिल्ली जाकर मैं इसके बारे में जानकारी लूंगा फिर आप सबको बता पाऊंगा.

ममता बनर्जी ने क्या कहा है-ममता बनर्जी की तरफ से स्पीकर पद को लेकर कोई अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन उनकी पार्टी तृणमूल ने के.सुरेश को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया है. टीएमसी की तरफ से के.सुरेश के नामांकन पत्र पर भी हस्ताक्षर नहीं किया गया है. पार्टी का कहना है कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पद को लेकर कांग्रेस ने सहयोगी दलों से चर्चा नहीं की है. पार्टी का कहना है कि उसने अकेले ही के.सुरेश को मैदान में उतारने का फैसला कर लिया, जिसके कारण टीएमसी ने इस मामले से खुद को बाहर कर लिया है. संख्या बल के हिसाब से तृणमूल कांग्रेस इंडिया गठबंधन की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है.

ममता-पवार पहले भी ले चुके हैं यूटर्न

ममता बनर्जी 2022 में उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए उपचुनाव में यूटर्न ले चुकी हैं. इस चुनाव में बीजेपी ने जगदीप धनखड़ को मैदान में उतारा था, जबकि विपक्षी दलों ने मारग्रेट अल्वा को उम्मीदवार बनाया था. अल्वा कांग्रेस की कद्दावर नेता मानी जाती हैं. टीएमसी ने आखिर वक्त में अल्वा की उम्मीदवारी का विरोध कर दिया. पार्टी का तर्क था कि कांग्रेस ने अल्वा को उम्मीदवार घोषित करते वक्त उससे सहमति नहीं ली. टीएमसी के समर्थन वापस लेने से कांग्रेस बैकफुट पर आ गई. इस वजह से पार्टी उम्मीदवार अल्वा 200 के आंकड़ों को भी पार नहीं कर पाई.

इसी तरह का यूटर्न साल 2017 में शरद पवार भी ले चुके हैं. बीजेपी ने 2017 में रामनाथ कोविंद को जब राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया, तब शरद पवार कोविंद के समर्थन में चले गए. शरद के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने उन्हें मनाने की कवायद शुरू की. कांग्रेस की कोशिशों को देखते हुए सीनियर पवार ने खुलकर कोविंद का समर्थन नहीं किया, लेकिन उन पर अपने विधायकों और सांसदों से क्रॉस वोटिंग कराने का आरोप जरूर लगा.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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