नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के बारामूला से सांसद इंजीनियर रशीद की आगामी संसद सत्र में भाग लेने के लिए अभिरक्षा पैरोल का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी. एडीशनल सेशन जज (Additional Sessions Judge) चंद्रजीत सिंह ने याचिका खारिज करते हुए नियमित जमानत याचिका पर फैसले के लिये 19 मार्च की तारीख तय की है. अभी इस बावत विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है.
याचिका में क्या लिखा था?
कोर्ट ने तीन मार्च को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) से याचिका पर जवाब देने को कहा था, जिसके बाद दलीलें सुन उसने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.रशीद की ओर से अधिवक्ता विख्यात ओबेरॉय द्वारा 27 फरवरी को अर्जी दी गई थी और राहत का अनुरोध करते हुए दलील दी कि उनका मुवक्किल एक सांसद हैं और उन्हें उनके सार्वजनिक दायित्व के निर्वहन के लिए आगामी सत्र में उपस्थित होना आवश्यक है. रशीद को 2017 के आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए ने 2019 में गिरफ्तार किया था. तब से वो तिहाड़ जेल में बंद हैं.
इंजीनियर राशिद के नाम से मशहूर शेख अब्दुल राशिद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराया था. राशिद की नियमित जमानत याचिका फिलहाल अदालत में लंबित है. संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च से शुरू होकर 4 अप्रैल को समाप्त होगा. न्यायाधीश ने 10 सितंबर को राशिद को अंतरिम जमानत दी थी ताकि वह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कर सकें. राशिद ने 27 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था. राशिद को 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से 2019 से तिहाड़ जेल में बंद हैं.
90 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक तीन चरणों में चुनाव हुए थे. 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए गए जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने 48 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया. दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 फरवरी को सत्र न्यायाधीश को मामले में राशिद की जमानत याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया था. उच्च न्यायालय ने 24 दिसंबर, 2024 के आदेश के मद्देनजर निर्देश पारित किए, जिसके तहत सत्र न्यायालय ने जिला जज से अनुरोध किया था कि वह मामले को सांसदों के मामलों की सुनवाई के लिए नामित अदालत में स्थानांतरित कर दें.
कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली की जांच के दौरान राशिद का नाम सामने आया था, जिसे NIA ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को कथित रूप से फंडिंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. एनआईए ने मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन सहित कई लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. मलिक को केस में दोषी ठहराए जाने के बाद 2022 में ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कैद की सजा सुनाई थी.
साभार : जी न्यूज
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