नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली कांग्रेस के कैप्टन ने रिजाइन कर दिया है। लोकसभा चुनाव जैसे बड़े मैच से पहले कैप्टन के रिजाइन से पार्टी सकते में हैं। खबर है कैप्टन साहब टीम में अपनी अनदेखी से नाराज से थे। इसके साथ ही उन्होंने आम आदमी पार्टी से गठबंधन के आलाकमान के निर्णय पर भी सवाल उठाए हैं। खास बात है कि इस इस्तीफे से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन में टेंशन बढ़ गई है। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन को लेकर गतिरोध भी सामने आ गया है। अब सवाल है कि चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले यह कलेश पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाएगा।
कैसे मजबूत रह पाएगा गठबंधन?
बीजेपी से मुकाबला करने के लिए काफी लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तालमेल हुआ था। इस तालमेल से पहले कांग्रेस में लंबी चर्चा चली थी। कांग्रेस का एक धड़ा शुरू से ही आम आदमी पार्टी से गठबंधन किए जाने के विरोध में था। गठबंधन का विरोध करने वालों में अरविंद सिंह लवली के साथ ही दिल्ली के पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित जैसे नेता भी थे। पार्टी में एक धड़े का मानना था कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन करके कांग्रेस अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रही है। पार्टी के नेताओं का कहना था कि AAP ने ही दिल्ली में कांग्रेस के जनाधार को कम किया है। ऐसे में पार्टी उसी दल के साथ समझौता कर अपने वोटरों की नाराजगी मोल ले रही है। हालांकि, पार्टी आलाकमान ने स्थानीय स्तर के नेताओं की राय को दरकिनार करते हुए राष्ट्रीय स्तर का हवाला देते हुए तालमेल किया था। समझौते के तहत पार्टी ने दिल्ली की 7 में 3 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था।
चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान ने भले ही आम आदमी पार्टी के साथ हाथ मिला लिया है लेकिन जमीनी स्तर के कार्यकर्ता इस फैसले को पचा नहीं पा रहे हैं। अब चूंकि प्रदेश अध्यक्ष ने खुद ही इस गठबंधन पर सवाल उठाते हुए इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में पार्टी में दबी असंतोष की आवाजें एक बार फिर से उभर सकती हैं। ऐसे में पार्टी के तीनों लोकसभा उम्मीदवारों के चुनाव अभियान पर असर दिखना स्वाभाविक है। पार्टी में अब वे नेता लोकसभा चुनाव में उतरे उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। ऐसे में पार्टी के सामने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को समझाना काफी अहम होगा कि आप के साथ पार्टी का गठबंधन समय की जरूरत के अनुसार उठाया गया कदम है।
बाहरी नेताओं को लेकर पहले ही नाराजगी
कांग्रेस ने लंबे मंथन के बाद लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की थी। पार्टी में अरविंदर सिंह लवली, संदीप दीक्षित, अनिल चौधरी, अलका लांबा, राजकुमार चौहान जैसे कई पुराने कांग्रेसी और दिग्गज नेता टिकट की दौड़ में थे। इन सभी को दरकिनार करते हुए पार्टी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार, चांदनी चौक से जेपी अग्रवाल और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी से कांग्रेस में आए उदित राज को टिकट दिया। इन तीनों उम्मीदवारों में जेपी अग्रवाल पुराने कांग्रेसी है। हालांकि, कन्हैया कुमार और उदित राज को टिकट दिए जाने को लेकर दिल्ली कांग्रेस में साफ नाराजगी देखने को मिल रही है। दिल्ली कांग्रेस के नेता कन्हैया कुमार और उदित राज को बाहरी बता रहे हैं। उत्तर-पूर्वी दिल्ली से तो अरविंदर सिंह लवली खुद टिकट बड़े दावेदार थे। एक सभा के दौरान तो कन्हैया कुमार के सामने ही कांग्रेसी आपस में भिड़ गए थे।
बीजेपी को मिल गया मौका
बीजेपी पहले से ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर हमलावर रही है। पार्टी कई मौकों पर कह चुकी है कि दिल्ली में दोनों दलों का गठबंधन बेमेल है। ये लोग सिर्फ अपना अस्तित्व बचाने के लिए एक दूसरे के साथ आए हैं। बीजेपी लगातार कह रही है कि दोनों दल अपने ही कार्यकर्ताओं को गठबंधन को लेकर आश्वस्त करने में असफल रहे हैं। अब आप के साथ गठबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के इस्तीफे ने बीजेपी को इस गठबंधन पर हमला करने का एक और मौका दे दिया है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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