सोमवार, नवंबर 25 2024 | 11:37:54 AM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / राहुल गांधी के भाषण से हटाया गया मोहन भागवत शब्द

राहुल गांधी के भाषण से हटाया गया मोहन भागवत शब्द

Follow us on:

नई दिल्ली. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से सांदन राहुल गांधी का संसद में सोमवार को दिया दूसरा भाषण भी विवादों में घिर गया। बजट चर्चा में हिस्सा लेने के दौरान राहुल गांधी एक बार फिर आक्रमक रुख अपनाते नजर आए। इससे पहले जब उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोला था, तब भी विवादों में घिर गए थे और उनके भाषण के कई अंश सदन की कार्यवाही से हटाए गए थे। भाषण में कट लगाए जाने पर राहुल गांधी ने स्पीकर को चिट्ठी लिखकर नाराजगी जताई थी। अब एक बार फिर लोकसभा में 29 जुलाई को दिए उनके भाषण के कुछ शब्दों को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है।

दूसरे भाषण में क्या बोल गए नेता प्रतिपक्ष?

राहुल गांधी के दूसरे भाषण से जिन शब्दों को हटाया गया है, उनमें मोहन भागवत, अजित डोभाल, अंबानी और अडानी है। राहुल गांधी ने अपने 45 मिनट के भाषण में इन चार नामों को लिया था, जिस पर स्पीकर ओम बिरला ने आपत्ति जताई थी। उनके भाषण के दौरान काफी हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष के सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद अब राहुल गांधी के भाषण पर कैंची चली है।

जब राहुल गांधी ने अपने भाषण में मोहन भागवत, अजित डोभाल, अंबानी और अडानी का नाम लिया तो इस पर स्पीकर ओम बिरला उन्हें टोकते हुए याद दिलाया कि जो शख्स इस सदन का सदस्य नहीं है, उसका नाम नहीं लिया जाए। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि अगर वो चाहते हैं कि वो अजित डोभाल, अडानी और अंबानी का नाम न लें तो वो नहीं लेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि देश की जनता को मोदी सरकार ने चक्रव्यूह में फंसा दिया है, इसमें किसान और युवा सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। राहुल गांधी के पहले भाषण के कई अंश हटाए जाने को लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सदन संचालन के नियम 380 का हवाला दिया था। जिस पर राहुल गांधी ने भी दावा दिया था कि हटाए गए अंश नियम 380 के दायरे में नहीं आते। ऐसे में आइए जानते हैं कि कि किस नियम के तहत संसदीय रिकॉर्ड हटाए जाते हैं?

क्या कहता है नियम?

दरअसल, लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 380 (निष्कासन) में कहा गया है कि अगर स्पीकर की राय है कि वाद-विवाद में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो अपमानजनक या अशिष्ट या असंसदीय या अशोभनीच है, तो वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए आदेश दे सकते हैं कि ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाए। कोई भी शब्द या टर्म ऐसा न हो जो संसद की गरिमा को भंग करता है। यही हवाला देते हुए सदन की कार्यवाही के दौरान कई बार सांसदों के भाषण से कुछ शब्द, वाक्य या बड़े हिस्से भी हटाए जाते रहे हैं। इस प्रक्रिया को एक्सपंक्शन कहते हैं।

एक्शन लेने की जिम्मेदारी किसकी?

लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 380 कहता है कि लोकसभा अध्यक्ष की ये जिम्मेदारी है कि वो अपने विवेक से किसी सांसद के बयान के कुछ हिस्सों या शब्दों को हटा सकते हैं। वहीं, दूसरा पक्ष भी एतराज उठाए और स्पीकर का ध्यान दिलाए तो भी ये एक्शन लिया जाता है। इसके अलावा रिपोर्टिंग सेक्शन भी ऐसे असंसदीय शब्दों या वाक्यों को लेकर अलर्ट रहता है। अगर कोई सदस्य ऐसा शब्द बोले जो किसी को परेशान करे, या सदन की मर्यादा को तोड़ता हो, तो रिपोर्टिंग सेक्शन उसे पीठासीन अधिकारी या स्पीकर को भेजता है। साथ में पूरा संदर्भ रखते हुए उस शब्द को हटाने की अपील करता है।

साभार : इंडिया टीवी

भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

सारांश कनौजिया की पुस्तकें

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों की 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान हुआ संपन्न

नई दिल्ली. महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ 4 राज्यों की 15 विधानसभा और …