जयपुर. उदयपुर के राजमहल में बुधवार को लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का गद्दी उत्सव संपन्न हुआ। समारोह में उनके कुलगुरु गोस्वामी वागीश कुमार ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उनका तिलक कर गद्दी पर विराजमान कराया।
समारोह की शुरुआत रॉय आंगन में हुई, जहां हवन-यज्ञ संपन्न किया गया। इससे पहले लक्ष्यराज सिंह के पुत्र हरित राज सिंह ने कुलगुरु को दंडवत प्रणाम कर आशीर्वाद लिया। जैसे ही लक्ष्यराज सिंह आंगन में आए, उन्होंने भी कुलगुरु से आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद विधि-विधान से पूजा अर्चना और यज्ञ हवन के बाद पूर्णाहुति और स्वस्ति वाचन किया गया, जिसमें विद्वान पंडितों ने उन्हें मंगलकामनाएं दीं। गद्दी उत्सव के उपरांत लक्ष्यराज सिंह ने स्वयं अपने हाथों से पंडितों को भोजन परोसा, जो मेवाड़ की परंपरा का अहम हिस्सा है।
इसके पश्चात दोपहर 3:15 बजे अश्व पूजन हुआ, जो राजघराने की वर्षों पुरानी परंपरा का प्रतीक है। राजमहल के शंभू निवास मे अश्व पूजन के बाद लक्ष्यराज सिंह एकलिंग जी के दर्शन के लिए रवाना हुआ, जहां 4.30 बजे उन्होंने एकलिंग जी के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। यह गद्दी उत्सव मेवाड़ राजघराने की परंपराओं का जीवंत उदाहरण रहा, जिसमें श्रद्धा, सम्मान और गौरव की झलक देखने को मिली। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य स्वर्गीय अरविंद सिंह मेवाड़ के पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का उदयपुर सिटी पैलेस में राज्याभिषेक हुआ। राज्याभिषेक के बाद लक्ष्यराज सिंह आज से मेवाड़ के 77वें महाराज के रूप में जाने जाएंगे।
साभार : अमर उजाला
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं
Matribhumisamachar


