ई–कॉमर्स निर्यात केंद्र (ईसीईएच) पहल का उद्देश्य भारत से सीमा पार ई–कॉमर्स निर्यात को सरल बनाने के लिए समर्पित जोन की सुविधा उपलब्ध कराना है। इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स से जुड़ी लागत और समय को कम करके, नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके, और ई–कॉमर्स रिटर्न या दो अस्वीकृतियों के लिए दोबारा आयात को सरल बनाकर एसएमई, कारीगरों और छोटे व्यवसायों को सहयोग करना है। ईसीईएच एक ही जगह पर एकीकृत सेवाएं प्रदान करेंगे, जिसमें सीमा शुल्क निकासी, गुणवत्ता प्रमाणीकरण, पैकेजिंग और बंदरगाह से बाहर भंडारण शामिल हैं।
डीजीएफटी ने इन पायलट परियोजनाओं के लिए विस्तृत प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए दिनांक 22.08.2024 को ट्रेड नोटिस क्रमांक 14/2025 जारी की। कार्यान्वयन के लिए पांच ईसीईएच पायलट परियोजनाओं का प्रस्ताव है।
सरकार ने छोटे निर्यातकों, विशेष तौर पर ई–कॉमर्स निर्यात के संदर्भ में, सीमा शुल्क, रसद और अनुपालन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए कई कदम उठाए हैं:
• विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 के भाग 9 में डिजिटल इकोनॉमी में सीमा पार व्यापार को प्रोत्साहन देने का प्रावधान है।
• छोटे निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म (https://trade.gov.in) शुरू किया गया है। यह भारतीय मिशनों, निर्यात संवर्धन परिषदों और कमोडिटी बोर्ड्स से मिली जानकारी को इकट्ठा करता है। निर्यात बंधु कार्यक्रमों और ई-कॉमर्स निर्यात पर हैंडबुक के जरिए भी संपर्क किया गया है।
• सीबीआईसी ने दिनांक 31.03.2023 की अधिसूचना संख्या 23/2023-सीमा शुल्क के माध्यम से कूरियर निर्यात की मूल्य सीमा बढ़ाकर ₹10 लाख कर दी है। ड्यूटी ड्रॉबैक और आरओडीटीईपी जैसी निर्यात शुल्क छूटों को 12.09.2024 से कोरियर-आधारित निर्यात पर भी लागू किया गया है।
• डाक विभाग ने सीबीआईसी के साथ मिलकर, निर्यातकों को दस्तावेजीकरण, पैकेजिंग और नियामक अनुपालन में सहायता के लिए डाक घर निर्यात केंद्र (डीएनके) स्थापित किए हैं। कुल 1,013 डीएनके अधिसूचित किए गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय ट्रैक्ड पैकेट सेवा 41 देशों को कवर करती है, जिसमें छोटे निर्यातकों को लाभ पहुँचाने के लिए मात्रा-आधारित छूट दी जाती है।
इसके अतिरिक्त, भारतीय रिजर्व बैंक ने निर्यात डेटा प्रसंस्करण एवं निगरानी प्रणाली (ईडीपीएमएस) के अंतर्गत छोटे मूल्य वाले निर्यातकों के लिए प्रक्रियागत छूट का प्रस्ताव करते हुए एक मसौदा परिपत्र जारी किया है। यह परिपत्र प्राधिकृत डीलर (एडी) बैंकों को निर्यातकों द्वारा प्राप्तियों और मूल्य समायोजन की पुष्टि करने वाली तिमाही घोषणाओं के आधार पर ₹10 लाख तक के शिपिंग बिलों को बंद करने में सक्षम बनाएगा, जिससे अनुपालन का बोझ कम होगा और छोटी खेपों के लिए समाधान को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा।
प्रस्तावित कुछ ईसीईएच को लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं की ओर से सीधे लागू किया जाएगा ताकि वेयरहाउसिंग, पैकेजिंग और नियामक सुविधा की इकट्ठा डिलीवरी सुनिश्चित की जा सके। इसके अतिरिक्त, सरकार ने वैश्विक ई–कॉमर्स प्लेटफॉर्म और घरेलू लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं सहित प्रमुख हितधारकों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं और लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए हैं। ये साझेदारियां जागरूकता बढ़ाने, निर्यात की तैयारी बढ़ाने और विशेष रूप से एमएसएमई के बीच सीमा पार ई–कॉमर्स को प्रोत्साहन देने पर केंद्रित हैं। डीजीएफटी के क्षेत्रीय अधिकारियों ने एसएमई विक्रेताओं को शामिल करने और उन्हें निर्यात प्रक्रियाओं से परिचित कराने के लिए इन संस्थाओं के साथ मिलकर आउटरीच और क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी चलाए हैं।
यह जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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