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रुद्रपुर में बैठक के दौरान आपस में भिड़े कांग्रेसी नेता

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देहरादून. कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान में कार्यकर्ताओं के बीच हुई सिर फुटौव्वल से पार्टी की किरकिरी हो रही है। सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ मोर्चा लेने के लिए मजबूत संगठन तैयार करने आए पर्यवेक्षक के सामने ही कार्यकर्ता बेकाबू हो गए। ढाई साल से रुद्रपुर में कांग्रेस और उसके समानांतर चलाए जा रहे संगठन के बीच रार ने शर्मनाक स्थिति पैदा कर दी। दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर हमलावर हैं। अनुशासन को दरकिनार करने वाले लोग खुद को पार्टी का मजबूत सिपाही होने का दावा कर रहे हैं।

कांग्रेस में 30 मार्च 2023 को जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद ही रुद्रपुर में पार्टी दो धड़ों में बदल गई थी। एक गुट में जिलाध्यक्ष हिमांशु गाबा, महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा और दूसरे गुट में किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ के समर्थक कार्यकर्ता शामिल थे। दोनों गुटों के नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई में एक दूसरे पर खूब आरोप-प्रत्यारोपों व चुनौतियां तक दी गई। आलम यह रहा कि पूरे जिले में सिर्फ रुद्रपुर में ही संगठन गाबा कांग्रेस और बेहड़ कांग्रेस में बंटकर रह गया। जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के कार्यक्रमों में बेहड़ गुट ने दूरी बनाई तो इस गुट के कार्यक्रम से दूसरा गुट दूर रहा। इसका खामियाजा पार्टी को चुनावों में उठाना पड़ा।

एक दूसरे के खिलाफ नेताओं ने राज्य से लेकर केंद्रीय हाईकमान तक शिकायतें की। हाईकमान भी दोनों गुटों पर शिकंजा कसने के बजाए नसीहत देने तक ही सीमित रहा। इसका परिणाम रहा कि दोनों गुटों के बीच खिंची लकीर लंबी होती चली गई। विधायक बेहड़ ने कई बार जिला व महानगर संगठन को लेकर कड़ी नाराजगी दर्ज कराई और पार्टी खत्म करने का जिम्मेदार भी ठहराया। जिलाध्यक्ष गाबा और महानगर अध्यक्ष शर्मा ने कई बार बेहड़ को पार्टी को धीमा जहर देने तक आरोप लगा डाले थे। इसका खामियाजा यह रहा कि दो गुटों में बंटी कांग्रेस की सियासी जमीन ऐसी खिसकी की कि उसे बचाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। पर्यवेक्षक नरेश कुमार ने भी माना कि रुद्रपुर में कांग्रेस लगातार हार रही है और मजबूत नेतृत्व की तलाश के लिए यह अभियान चल रहा है।

आका और रिमोट कंट्रोल जैसे शब्दों का वार

किच्छा विधायक बेहड़ ने जिलाध्यक्ष का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधा। कहा कि मारपीट करने वालों के आका के वहां बैठकर सारा षडयंत्र रचा गया। वे आधा घंटा पहले वहां से चले गए। उनको पर्यवेक्षक को छोड़कर वहां से नहीं जाना चाहिए थे। इधर संदीप चीमा ने बिना नाम लिए बेहड़ पर निशाना साधते हुए कहा कि हंगामा और हाथापाई करने वाले किसके रिमोट से संचालित हो रहे, यह किसी से छिपा नहीं हैं।

साभार : अमर उजाला

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