इस्लामाबाद. कहावत है ‘घर में नहीं दाने और अम्मा चली भुनाने’. यही बात आजकल पाकिस्तान पर भी लागू होती है. भारत से बैर में पाकिस्तान इस कदर डूब गया है कि खुद की बर्बादी उसे दिखाई नहीं देती. उसका सिर्फ एक ही मकसद है कि कैसे भी करके भारत को नुकसान पहुंचाना. उसे न तो अपनी तरक्की से मतलब है कि और न ही देश को आगे बढ़ाने से. तभी तो अपने बजट का ज्यादातर हिस्सा वह सिर्फ हथियारों और सेना की मजबूती पर खर्च कर रहा है. अब उसने एक बार फिर अपने रक्षा बजट को 18 फीसदी बढ़ाने की सिफारिश भेजी है.
पाकिस्तान की गठबंधन सरकार ने भारत के साथ तनाव के कारण अगले बजट में रक्षा खर्च में 18 फीसदी की वृद्धि कर इसे 2,500 अरब रुपये यानी 2.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने की तैयारी शुरू कर दी है. पाकिस्तान मीडिया की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार एक जुलाई से शुरू होने वाले नए वित्तवर्ष से पहले जून के पहले सप्ताह में 2025-26 का बजट पेश करने की तैयारी में है. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है.
बजट बढ़ाने पर हो गई है चर्चा
समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को बजट मामलों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनकी आर्थिक टीम से मुलाकात की थी. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने प्रमुख सहयोगी पीपीपी के साथ लगभग 17,500 करोड़ रुपये के नए बजट ढांचे को साझा किया, जो रक्षा खर्च में 18 फीसदी की बढ़ोतरी है.
भारत से विरोध में बढ़ा दिया बजट
भारत के साथ हाल ही में बढ़े तनाव के कारण पीएमएल-एन और पीपीपी के बीच रक्षा बजट बढ़ाने पर सहमति बनी है. मौजूदा सुरक्षा खतरों के मद्देनजर पीपीपी ने रक्षा बजट को 18 फीसदी बढ़ाकर 2.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने के प्रस्ताव का समर्थन किया. चालू वित्तवर्ष (2024-25) में सरकार ने रक्षा खर्च के लिए 2.12 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए, जो कि पिछले वित्तवर्ष (2023-24) के लिए बजट में रखे गए 1.80 लाख करोड़ रुपये से 14.98 फीसदी अधिक है.
बजट का ज्यादा हिस्सा कर्ज में खर्च
पाकिस्तान अपने बजट का ज्यादातर हिस्सा कर्ज चुकाने में खर्च करता है. उसके साालाना खर्च को देखा जाए तो पहले नंबर पर कर्जा चुकाना ही आता है, जबकि दूसरे नंबर पर सेना का खर्च आता है. चालू वित्तवर्ष में पाकिस्तान को कर्ज भुगतान के लिए 9.70 लाख करोड़ रुपये खर्च करने हैं. यह पाकिस्तान के कुल बजट का करीब 50 फीसदी हिस्सा होता है. अगर पाकिस्तान के शिक्षा और स्वास्थ्य बजट की बात करें तो इसका सालाना खर्चा सेना के एक दिन के खर्च से भी कम है. उसके बजट से ही जाहिर होता है कि पाकिस्तान सरकार अपने देश को तरक्की की राह पर लाने के बजाय सिर्फ जंग में झोंकने पर आमादा है.
साभार : न्यूज18
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