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पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन

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कोलकाता. उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद नौकरियां गंवाने वाले हजारों शिक्षकों ने शुक्रवार को साल्ट लेक के करुणामयी इलाके से पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भवन तक मार्च शुरू किया और वास्तविक उम्मीदवारों की पहचान के लिए ‘ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन’ (ओएमआर) शीट जारी करने की मांग की. विभिन्न नागरिक समाज संगठनों के सदस्य भी एकजुटता दिखाने के लिए प्रदर्शनकारियों के साथ मार्च में शामिल हुए. उन्होंने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं, जिनपर नौकरियां बहाल करने की मांग की गई थी. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “ पात्र शिक्षकों की पहचान करने में मदद के लिए एसएससी को ओएमआर शीट की प्रतियां जारी करनी चाहिए.”

उन्होंने दावा किया कि कस्बा में डीआई कार्यालय में पिछले विरोध प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों को लात मारने के आरोपी पुलिस अधिकारी को अब प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम ऐसी जांच से क्या उम्मीद कर सकते हैं? किसी भी सभ्य समाज में आरोपी पीड़ितों के मामले की जांच नहीं करता.” रैली को एसएससी भवन तक पहुंचने से रोकने के लिए ‘रैपिड एक्शन फोर्स’ के कर्मियों समेत एक बड़ी पुलिस टुकड़ी तैनात की गई. पिछले हफ्ते उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षण व गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार दिया था.

क्या है पूरा मामला

  • कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में गंगोपाध्याय ने नवंबर 2021 में भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
  • उन्होंने भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं पाए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की 25,000 से अधिक नौकरियों को समाप्त करने का भी आदेश दिया था.
  • इस आदेश को उच्च न्यायालय की खंडपीठ और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा.
  • उच्चतम न्यायालय ने तीन अप्रैल को कलकत्ता उच्च न्यायालय के वर्ष 2024 के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें 2016 में एसएससी द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्त किए गए 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद्द कर दिया गया था.
  • न्यायालय ने पूरी चयन प्रक्रिया को “दोषपूर्ण और भ्रष्ट” करार दिया था.
  • नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों का कहना है कि उनकी इस स्थिति के लिए आयोग जिम्मेदार है, क्योंकि उसने यह फर्क नहीं किया कि किस अभ्यर्थी ने फर्जी तरीके से नौकरी हासिल की और किसने नहीं.
  • केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है, जो भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं के समय राज्य के एसएससी में जिम्मेदार पदों पर कार्यरत थे.

साभार : एनडीटीवी

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