लखनऊ. दादरी के चर्चित मोहम्मद अखलाक मॉब लिंचिंग मामले को अब खत्म करने की कोशिश की जा रही है. दस साल बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस केस में हत्या सहित सभी आरोप वापस लेने का प्रोसेस शुरू कर दिया है. 2015 में बीफ़ रखने की अफवाह पर अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.
सरकार ने एडीजीसी को लिखा लेटर
अतिरिक्त जिला सरकारी अधिवक्ता (ADGC) भग सिंह भाटी ने बताया कि उन्हें हाल ही में सरकार का पत्र मिला है, जिसके आधार पर उन्होंने सूरजपुर स्थित फास्ट-ट्रैक कोर्ट में आरोप वापस लेने की अर्जी दाखिल कर दी है. इस अर्जी पर सुनवाई 12 दिसंबर को होने की संभावना है.
अखलाक के वकील ने क्या कहा?
अखलाक परिवार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता यूसुफ सैफी ने कहा कि उन्होंने इस कार्रवाई की जानकारी सुनी है, लेकिन आधिकारिक पत्र नहीं देखने के कारण फिलहाल टिप्पणी नहीं कर सकते.
क्या है अखलाक मॉब लिंचिंग केस?
28 सितंबर 2015 को बिसहड़ा गांव में कथित रूप से मंदिर के लाउडस्पीकर से यह ऐलान किया गया कि अखलाक ने गाय की हत्या कर उसका मांस घर में रखा है. इसके बाद भीड़ ने 52 साल के अखलाक को घर पर धावा बोल दिया. उन्हें घसीटकर बाहर निकाला गया और पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. उनके बेटे 22 वर्षीय दानिश को भी भीड़ ने बुरी तरह घायल कर दिया था.
अखलाक की पत्नी ने की शिकायत
अखलाक की पत्नी इकरामन की शिकायत पर जारचा थाने में 10 नामजद और 4-5 अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई. अखलाक और दानिश को नोएडा के कैलाश अस्पताल ले जाया गया, जहां अखलाक को मृत घोषित कर दिया गया. गंभीर सिर की चोट के बाद दानिश को आर्मी R&R हॉस्पिटल, दिल्ली रेफर किया गया, जहां उसका इलाज हो सका.
पुलिस ने बाद में तीन नाबालिगों समेत कुल 18 लोगों को गिरफ्तार किया और 84 दिनों के भीतर 181 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की. एक आरोपी की न्यायिक हिरासत में ही मौत हो गई. 26 मार्च 2021 को 14 आरोपियों पर आरोप तय होने के बाद ट्रायल शुरू हुआ. मार्च 2021 से अब तक केस सबूतों के चरण में ही अटका है. जून 2022 में अखलाक की बेटी शाइस्ता का बयान दर्ज हुआ, लेकिन परिवार के बाकी सदस्यों के बयान अभी नहीं हो पाए.
सरकार के इस कदम से अखलाक के परिजन बेहद दुखी हैं. परिवार के एक सदस्य ने कहा है कि यह कोई मामूली घटना नहीं थी, बल्कि निर्मम हत्या थी. आरोप वापस लेने से लोगों का न्याय पर से भरोसा कमजोर होगा.
साभार : जी न्यूज
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