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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 1507 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कोटा-बूंदी (राजस्थान) में ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा विकसित करने को मंजूरी दी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आज एक हजार पांच सौ सात करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कोटा-बूंदी (राजस्थान) में ग्रीन फील्ड (नया) हवाई अड्डा विकसित करने के भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

चंबल नदी के तट पर स्थित कोटा, राजस्थान की औद्योगिक राजधानी मानी जाती है। इसके अतिरिक्त, कोटा भारत के शैक्षिक कोचिंग केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध है।

राजस्थान सरकार ने ए-321 श्रेणी के विमानों के संचालन के लिए उपयुक्त ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा विकसित करने हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को 440.06 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की है। इस परियोजना में 20,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में एक टर्मिनल भवन का निर्माण किया जाएगा, जो व्यस्त समय के दौरान 1000 यात्रियों (पीएचपी) को संभालने में सक्षम होगा और जिसकी प्रति वर्ष यात्री वहन क्षमता बीस लाख (एमपीपीए) होगी। इसमें 3200 मीटर x 45 मीटर आकार का 11/29* रनवे (हवाई पट्टी), ए-321 प्रकार के विमानों के लिए 07 पार्किंग बे (विमान पार्किंग क्षेत्र) के साथ एक एप्रन (विमान में ईंधन भरने और उनके रखरखाव का स्थान), दो लिंक टैक्सीवे, एटीसी (हवाई यातायात नियंत्रक) सह तकनीकी ब्लॉक, अग्निशमन केंद्र, कार पार्क और संबंधित कार्य स्थल शामिल हैं।

*(11/29 रनवे के चुंबकीय दिशा कोण हैं। इसका मतलब है कि जब कोई विमान रनवे पर उतरता है या टेक ऑफ करता है, तो वह 110 डिग्री या 290 डिग्री की दिशा में जा रहा होता है)

शैक्षिक और औद्योगिक क्षेत्रों की प्रमुखता के कारण कोटा में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में अनुमानित यातायात वृद्धि का समाधान करना है।

कोटा में अभी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के स्वामित्व वाला हवाई अड्डा मौजूद है, जहां 1220 मीटर x 38 मीटर आकार का एक रनवे (08/26) है, जो कोड ‘बी’ विमानों (जैसे डीओ-228) के लिए उपयुक्त है। इसके अतिरिक्त मौजूदा एप्रन ऐसे दो विमानों के लिए उपयुक्त है। वर्तमान टर्मिनल भवन 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है, जिसकी व्यस्त समय में 50 यात्रियों को संभालने की क्षमता है। मौजूदा हवाई अड्डे को अपर्याप्त भूमि उपलब्धता और हवाई अड्डे के आसपास बढ़ते शहरीकरण के कारण वाणिज्यिक संचालन के लिए विकसित नहीं किया जा सकता।

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