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दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्नाव रेप केस के दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा पर लगाई रोक

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लखनऊ. उन्नाव से चार बार विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर की दिल्ली हाईकोर्ट से सजा निलंबित होने के बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर है। आठ साल पहले देश विदेश तक में चर्चा बटोरने वाले माखी दुष्कर्म कांड ने राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया था, जिसके बाद से वह आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

खुद को नाबालिग बताने वाली माखी की 17 वर्षीय किशोरी ने आरोप लगाया था कि 4 जून 2017 को कुलदीप सिंह सेंगर ने उसे नौकरी दिलाने का झांसा देकर आवास बुलाया और दुष्कर्म किया। घटना के बाद वह स्वजन के साथ माखी थाना पहुंची पर विधायक के प्रभाव में पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।

जून 2017 से मार्च 2018 तक लगातार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। तीन अप्रैल को पीड़िता के पिता को पीटा गया और कुलदीप सेंगर के प्रभाव में पुलिस ने उल्टे ही पिता को जेल भेज दिया। आठ अप्रैल 2018 को किशोरी ने लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया।

आठ अप्रैल 2018 की रात पीड़िता के पिता की जेल में हालत बिगड़ गई थी। नौ अप्रैल को तड़के जिला अस्पताल में पिता ने दम तोड़ दिया था। इसी के बाद कुलदीप व उनके भाई अतुल समेत अन्य पर मुकदमा दर्ज हुआ। 13 अप्रैल 2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंप दी गई थी।

13 अप्रैल 2018 को सीबीआइ ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बुलाया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। 28 जुलाई 2019 को दुष्कर्म पीड़िता स्वजन के साथ रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलने कार से जा रही थी।

गुरुबख्शगंज के पास ट्रक ने पीड़िता की कार में टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में पीड़िता की चाची और मौसी की मौके पर मौत हो गई, जबकि पीड़िता और उसके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के 15 माह बाद अधिवक्ता की मौत हो गई थी। परिवार ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया था।

एक अगस्त 2019 को उच्चतम न्यायालय ने मामले का खुद संज्ञान लेकर पूरा मामला यूपी से हटाकर दिल्ली तीस हजारी न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया। पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा देने के निर्देश भी जारी किए गए। 20 दिसंबर 2019 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद कुलदीप सिंह सेंगर को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी करार दिया।

21 दिसंबर 2019 को न्यायालय ने कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई और 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसमें से 10 लाख रुपये पीड़िता को मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया।

मार्च 2020 को पीड़िता के पिता की मौत से जुड़े मामले में भी दिल्ली की अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर व सात अन्य को दोषी ठहराया और 10 साल की सजा व 10 लाख रुपये जुर्माना लगाया था।

एक अगस्त 2019 को दी गई थी सीआरपीएफ की सुरक्षा

एक अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता उनके स्वजन व दूसरे वकील को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी थी। साढ़े छह साल से अधिक समय तक यह सुरक्षा बरकरार रही। इसके बाद तीन अप्रैल 2025 को सीआरपीएफ की सुरक्षा हटा दी गई। महज पीड़िता को दिल्ली यूनिट से सुरक्षा बहाल रखी गई।

थानाध्यक्ष व हल्का दारोगा को भी हुई थी सजा

दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में कुलदीप सेंगर उसके भाई अतुल के अलावा अन्य पर मुकदमा दर्ज हुआ था।

वहीं माखी एसओ अशोक भदौरिया व हल्का प्रभारी दारोगा केपी सिंह समेत अन्य पर हत्या की साजिश रचने, आर्म्स एक्ट में पिता को फर्जी तरीके से जेल भेजने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। सीबीआइ ने थानाध्यक्ष व दारोगा केपी सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

न्याय पालिका के निर्णय का सम्मान है : संगीता सेंगर

सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित किए जाने की जानकारी पर जब उनकी पत्नी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संगीता सेंगर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमें दोपहर बाद इसकी जानकारी मिली है।

साभार : दैनिक जागरण

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