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पाकिस्तान की जेल में 2 साल के अंदर 8 भारतीय मछुआरों की मौत

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इस्लामाबाद. पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय मछुआरे बाबू की गुरुवार को मौत हो गई। बाबू को 2022 में पाकिस्तानी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। बाबू की सजा पूरी होने के बावजूद पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसे रिहा नहीं किया। पिछले 2 सालों में 8 भारतीय मछुआरों की पाकिस्तान में मौत हो चुकी है। अपनी सजा पूरी कर चुके 180 भारतीय मछुआरे पाकिस्तानी जेल से रिहाई का इंतजार कर रहे हैं। भारत लगातार पाकिस्तान के साथ कैदियों की जल्द रिहाई का मुद्दा उठाता रहा है। कॉन्सुलर एक्सेस 2008 पर समझौते की धारा 5 के मुताबिक, दोनों देशों की सरकारों को राष्ट्रीय स्थिति की पुष्टि और सजा पूरी होने के एक महीने के अंदर कैदियों को रिहा करके उनके देश वापस भेजना होता है। लेकिन पाकिस्तान ने कई बार यह समझौता तोड़ा है।

अक्टूबर में भी पाकिस्तान की जेल में भारतीय मछुआरे की मौत हुई थी

इससे पहले 25 अक्टूबर 2024 को भारतीय मछुआरे हरिभाई सोसा (31 साल) की पाकिस्तान जेल में मौत हो गई थी। मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई। वह गुजरात के पोरबंदर का रहने वाला था। पाकिस्तान ने एक महीने बाद नवंबर में हरिभाई का शव भारत को सौंपा था। हरिभाई सोसा को 2021 की शुरुआत में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने अरब सागर में मछली पकड़ने के दौरान अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास पकड़ा था। इसके बाद उन्हें तीन साल से अधिक समय तक कराची में कैद रखा गया था। हरिभाई की सजा पूरी होने के बाद भी पाक अधिकारियों ने उन्हें भारत को नहीं सौंपा था।

क्या है कॉन्सुलर एक्सेस 2008

  • ये एग्रीमेंट 21 मई 2008 को साइन किया गया था। वियना संधि के अनुच्छेद 36 के मुताबिक, जब किसी विदेशी नागरिक को गिरफ्तार किया जाता है तो जांच और हिरासत में रखे जाने के दौरान कैदी को कॉन्सुलर एक्सेस देना जरूरी होता है।
  • इसके तहत कैदी जिस देश का है उस देश के राजनयिक या अधिकारी को जेल में बंद कैदी से मिलने की इजाजत दी जाती है। इस दौरान उन्हें पूछताछ का भी अधिकार होता है।
  • जेल में बंद कैदी से उस देश के राजनयिक या अधिकारी को पूछ सकते हैं कि वो क्यों गिरफ्तार हुआ या उसके साथ कैसा व्यवहार हो रहा है। कैदी के जवाब के आधार पर उसके देश की सरकार आगे की कार्रवाई करती है।
  • कॉन्सुलर एक्सेस का सिद्धांत 1950-60 के दशक में बना था। 1963 में कॉन्सुलर एक्सेस पर वियना कन्वेंशन (VCCR) हुई थी।

साभार : दैनिक भास्कर

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