बीजिंग. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदुओं के नरसंहार के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद बुरे दौर में पहुंच गए हैं. इस हमले के गुनहगार और साजिशकर्ता पाकिस्तान में बैठे हुए बताए जा रहे हैं. इस बीच भारत सरकार ने अपनी सेनाओं को एक्शन लेने के लिए खुली छूट दे दी है. ऐसे में पाकिस्तान पर भारत की ओर से हमले का खतरा बढ़ गया है. पाकिस्तान थर्राया हुआ है. वह चीन की शरण में चला गया है. चीन भी उसकी भरपूर सहायता कर रहा है.
पाकिस्तान को भारत द्वारा साइबर से लेकर समंदर तक हर तरफ से हमले का खतरा दिख रहा है. ऐसे में चीन भी उसका भरपूर सहयोग कर रहा है. पाकिस्तान चीन की सैटेलाइटों का उपयोग भारत पर नजर रखने और सैन्य संचार को मजबूत करने के लिए कर रहा है. तमाम रिपोर्ट्स में दावे किए गए हैं कि ये चीनी सैटेलाइट भारत की सैन्य गतिविधियों की निगरानी और पाकिस्तान की रणनीतिक क्षमताओं को बढ़ाने में मदद कर रही हैं.
पाकिस्तान-चीन के संबंध
पाकिस्तान और चीन के बीच संबंध बेहद मजबूत हैं. इसे ऑल-वेदर फ्रेंडशिप कहा जाता है. पाकिस्तान के पास स्वयं सैटेलाइट लॉन्च करने की सीमित क्षमता है, इसलिए वह चीन पर निर्भर है. पाकिस्तान इन सैटेलाइटों का उपयोग भारत की सीमाओं और सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कर रहा है.
सैटेलाइटों का उपयोग
पाकिस्तान चीन द्वारा प्रक्षेपित सैटेलाइटों जैसे PRSS-1 (2018) और PRSC-EO1 (2025) का उपयोग कर रहा है. ये दूरसंवेदी सैटेलाइट दिन-रात निगरानी करने में सक्षम हैं. ये बादल छाए होने की स्थिति में भी काम करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक इनका उपयोग भारत की सीमाओं और सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है. इसके अलावा PAKSAT MM1 (2024) जैसे संचार सैटेलाइट पाकिस्तान के सैन्य संचार को सुव्यवस्थित करने में मदद करते हैं.
भारत की क्षमता
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत दुनिया का एक सबसे अग्रणी देश है. भारत के पास 43 से अधिक सक्रिय सैटेलाइट हैं, जिनमें से कई सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं. जैसे- रडार इमेजिंग सैटेलाइट (RISAT) जो सभी मौसमों में निगरानी कर सकते हैं. 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक्स में भारत ने इन सैटेलाइटों का उपयोग किया था.
साभार : न्यूज18
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