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आईएनएस सिंधुध्वज 35 साल बाद हुआ सेवामुक्त

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नई दिल्ली (मा.स.स.). आईएनएस सिंधुध्वज ने 35 साल की शानदार अवधि तक अपनी सेवाएं देने के बाद भारतीय नौसेना को अलविदा कह दिया। इस समारोह में पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल बिस्वजीत दासगुप्ता मुख्य अतिथि थे। इस डीकमीशनिंग कार्यक्रम में कोमोडोर एसपी सिंह (सेवानिवृत) समेत 15 पूर्व कमांडिंग ऑफिसर्स, कमिशनिंग सीओ और 26 अनुभवी कमीशनिंग क्रू ने हिस्सा लिया।

इस पनडुब्बी के शिखर पर एक भूरे रंग की नर्स शार्क चित्रित है और इसके नाम का अर्थ है समुद्र में हमारी ध्वजवाहक। जिस प्रकार इसके नाम से पता चलता है, सिंधुध्वज स्वदेशीकरण की ध्वजवाहक थी और नौसेना में अपनी पूरी यात्रा के दौरान रूस निर्मित सिंधुघोष श्रेणी की पनडुब्बियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए भारतीय नौसेना के प्रयासों की ध्वजवाहक थी। इस पनडुब्बी को श्रेय जाता है कि कई चीजें इसने पहली बार कीं। जैसे, हमारे स्वदेशी सोनार यूएसएचयूएस, स्वदेशी उपग्रह संचार प्रणाली रुकमणी और एमएमएस, जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और स्वदेशी टॉरपीडो फायर कंट्रोल सिस्टम का परिचालन इस पर ही हुआ।

सिंधुध्वज ने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल के साथ मेटिंग और कार्मिक स्थानांतरण का काम भी सफलतापूर्वक किया, और ये इकलौती पनडुब्बी है जिसे प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा इनोवेशन के लिए सीएनएस रोलिंग ट्रॉफी से सम्मानित किया गया। इस पारंपरिक समारोह को सूर्यास्त के समय आयोजित किया गया। बादलों से घिरे आसमान ने इस आयोजन की गरिमा को और बढ़ा दिया जब डीकमिशनिंग ध्वज को उतारा गया और 35 साल की शानदार गश्त के बाद इस पनडुब्बी को सेवामुक्त कर दिया गया।

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