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नमन मेरे भगवन् ….

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– डॉ० घनश्याम बादल

लिखना चाहता हूं ‘शिक्षक’

‘शिखर’ लिख जाता है,

 खुद ब-खुद ।

‘आचार्य’ लिखने की चाहत,

और मनसपटल पर –

लिखा पाता हूं ‘आचरण’

उसमें से भी पढ़ पाता हूं’

सिर्फ ‘चरण’ ।

मेरी मिट्टी से,

चुन- चुन कर हर कंकर

निकालने की तुम्हारी

हर कोशिश को ,

मै कैसे भूल जाऊं ।

तुम्हारी हर स्मृति,

झुका जाती है ,

खुद ब – खुद

मेरा सर , ए मेरे ‘सर’ ।

श्रद्धा , सम्मान और

कृतज्ञता से

नमन ,नमन, नमन,

मेरे भगवन् ,

तुम जहां भी हो ,

नमन नमन नमन ।

रचनाकार रुड़की के प्रसिद्ध कवि हैं.

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