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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र प्रायोजित योजना पीएम श्री को दी मंजूरी

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नई दिल्ली (मा.स.स.). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज एक नई केंद्र प्रायोजित योजना- पीएम श्री (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) को मंजूरी दी। केंद्र सरकार/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार/स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित कुछ चयनित मौजूदा स्कूलों को मजबूत करके देश भर के 14500 से अधिक स्कूलों को पीएम स्कूलों के रूप में विकसित करने के लिए यह एक नई योजना होगी। पीएम स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी घटकों का प्रदर्शन करेंगे, अनुकरणीय स्कूलों के रूप में कार्य करेंगे और अपने आसपास के अन्य स्कूलों को सहायता व मार्गदर्शन भी प्रदान करेंगे।

पीएम श्री छात्रों के संज्ञानात्मक विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान करेंगे और 21 वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल से युक्त समग्र और पूर्ण-विकसित व्यक्तियों का निर्माण और उनका पोषण करने का प्रयास करेंगे। पीएम स्कूलों की योजना (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया–उभरते भारत के लिए पीएम स्कूल) को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जिसकी कुल परियोजना लागत 27360 करोड़ रुपये है। कुल परियोजना लागत में वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 18128 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है।

प्रमुख विशेषताएं:

  • पीएम स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करेंगे, समय के साथ अनुकरणीय स्कूलों के रूप में उभरेंगे और निकटवर्ती स्कूलों को मार्गदर्शन व नेतृत्व प्रदान करेंगे। वे अपने-अपने क्षेत्रों में एक समान, समावेशी और आनंदमय स्कूल वातावरण में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में नेतृत्व प्रदान करेंगे, जो विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी जरूरतों और बच्चों की विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ध्यान रखती है और एनईपी 2020 के विज़न के अनुरूप उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाती है।
  • पीएम स्कूल मार्गदर्शन प्रदान करके अपने संबंधित क्षेत्रों के अन्य स्कूलों को नेतृत्व प्रदान करेंगे।
  • सौर पैनल और एलईडी लाइट, प्राकृतिक खेती के साथ पोषण उद्यान, अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक मुक्त, जल संरक्षण और जल संचयन, पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित परंपराओं/ प्रथाओं का अध्ययन, जलवायु परिवर्तन से संबंधित हैकथॉन और जैविक जीवन शैली को अपनाने के लिए जागरूकता जैसे पर्यावरण-अनुकूल पहलुओं को शामिल करने वाले ग्रीन स्कूलों के रूप में पीएम स्कूलों को विकसित किया जाएगा।
  • इन स्कूलों में अपनाया गया शिक्षाशास्त्र अधिक अनुभवात्मक, समग्र, एकीकृत, खेल/खिलौना आधारित (विशेषकर, प्राथमिक वर्षों में) उत्सुकता आधारित, खोज-उन्मुख, शिक्षार्थी-केंद्रित, चर्चा-आधारित, लचीला और मनोरंजक होगा।
  • प्रत्येक कक्षा में प्रत्येक बच्चे के सीखने के परिणामों पर ध्यान दिया जाएगा। सभी स्तरों पर मूल्यांकन वैचारिक समझ, वास्तविक जीवन स्थितियों में ज्ञान के अनुप्रयोग और योग्यता पर आधारित होगा।
  • प्रत्येक क्षेत्र (डोमेन) के लिए उपलब्धता, पर्याप्तता, उपयुक्तता और उपयोग के संदर्भ में उपलब्ध संसाधनों और उनकी प्रभावशीलता एवं उनके प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का आकलन किया जाएगा और कमियों को व्यवस्थित व योजनाबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
  • रोजगार क्षमता बढ़ाने और बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए क्षेत्र कौशल परिषदों और स्थानीय उद्योग के साथ संपर्क।
  • परिणामों को मापने के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों को निर्दिष्ट करते हुए एक स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन फ्रेमवर्क (एसक्यूएएफ) भी विकसित किया गया है। अपेक्षित मानकों को सुनिश्चित करने के लिए नियमित अंतराल पर इन स्कूलों का गुणवत्ता मूल्यांकन किया जाएगा।

पीएम स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना की प्रमुख विशेषताएं हैं:

ए. गुणवत्ता और नवाचार (शिक्षा-प्राप्ति को बेहतर बनाने की योजना, समग्र प्रगति कार्ड, अभिनव शिक्षाशास्त्र, इनोवेटिव अध्यापन, बिना स्कूल बैग वाले दिन, स्थानीय कारीगरों के साथ इंटर्नशिप, क्षमता निर्माण आदि)

बी. आरटीई अधिनियम के तहत लाभार्थी उन्मुख पात्रता वाले शत-प्रतिशत पीएम स्कूलों को विज्ञान और गणित के किट मिलेंगे।

सी. वार्षिक स्कूल अनुदान (समग्र स्कूल अनुदान, पुस्तकालय अनुदान, खेल अनुदान)।

डी. बालवाटिका और मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता सहित प्रारंभिक बचपन की देखभाल व शिक्षा।

ई. लड़कियों और सीडब्ल्यूएसएन के लिए सुरक्षित एवं उपयुक्त बुनियादी ढांचे के प्रावधान सहित समानता और समावेश।

एफ. छात्रों के लिए प्रस्तावित विषयों के चुनाव में लचीले रुख को प्रोत्साहित करना।

 जी. शिक्षकों और छात्रों के बीच भाषा की बाधाओं को पाटने में मदद करने के लिए तकनीकी उपायों का उपयोग करते हुए मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रोत्साहित करना।

 एच. डिजिटल शिक्षाशास्त्र का उपयोग करने के लिए आईसीटी, स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल लाइब्रेरी। पीएम स्कूलों को शत-प्रतिशत आईसीटी, स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल पहल के तहत कवर किया जाएगा।

 ए. मौजूदा अवसंरचना को मजबूत करना

 जे. व्यावसायिक प्रयासों और विशेष रूप से स्थानीय उद्योग के साथ इंटर्नशिप/उद्यमिता के अवसरों को बढ़ाना। विकास परियोजनाओं/आस-पास के उद्योग के साथ कौशल का मानचित्रण और तदनुसार पाठ्यक्रम/पाठ्यचर्या विकसित करना।

के. इन विद्यालयों को सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित करने के लिए परिपूर्णता आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। सभी स्कूलों को विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय, आईसीटी सुविधा और वोकेशनल लैब आदि उपलब्ध कराए जाएंगे।

ग्रीन स्कूल पहल

इसके अलावा, इस योजना में स्कूल की अवसंरचना के उन्नयन और सुविधाओं के निर्माण के लिए मौजूदा योजनाओं/पंचायती राज संस्थाओं/शहरी स्थानीय निकायों और सामुदायिक भागीदारी के साथ समन्वय की परिकल्पना की गई है।

कार्यान्वयन की रणनीति

(a.) पीएम स्कूलों को समग्र शिक्षा, केवीएस और एनवीएस के लिए उपलब्ध मौजूदा प्रशासनिक ढांचे के माध्यम से लागू किया जाएगा। अन्य स्वायत्त निकायों को आवश्यकतानुसार विशिष्ट परियोजना के आधार पर शामिल किया जाएगा।

(b.) इन स्कूलों की प्रगति का आकलन करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए इनकी सख्ती से निगरानी की जाएगी।

चयन की प्रक्रिया:

पीएम स्कूलों का चयन चैलेंज मोड के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें विभिन्न स्कूल अनुकरणीय स्कूल बनने हेतु सहायता प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। स्कूलों को ऑनलाइन पोर्टल पर स्वयं आवेदन करना होगा। इस योजना के पहले दो वर्षों के दौरान, इस पोर्टल को वर्ष में चार बार, यानी प्रत्येक तिमाही में एक बार खोला जाएगा। ऐसे प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1-5/ 1-8) और माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 1-10/1-12/6-10/6-12) जिनका प्रबंधन केंद्र/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों/ यूडीआईएसई+ कोड वाली स्थानीय स्व-शासन द्वारा किया जाता है उनके चयन के लिए इस योजना के अंतर्गत विचार किया जाएगा। ये चयन निश्चित समय सीमा के अंदर तीन चरणों वाली प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा, जो कि इस प्रकार है: –

चरण-1: राज्य/केंद्र शासित प्रदेश समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे जिसमें वे एनईपी को संपूर्ण रूप से लागू करने पर सहमति व्यक्त करेंगे और केंद्र इन स्कूलों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्धताओं को तय करेगा ताकि पीएम स्कूलों के रूप में निर्दिष्ट गुणवत्ता का आश्वासन प्राप्त किया जा सके।

चरण-2: इस चरण में यूडीआईएसई+ डेटा के माध्यम से निर्धारित न्यूनतम बेंचमार्क के आधार पर उन स्कूलों के पूल की पहचान की जाएगाी जो पीएम स्कूलों के रूप में चुने जाने के योग्य हैं।

चरण-3: ये चरण कुछ मानदंडों को पूरा करने के लिए चुनौती पद्धति पर आधारित है। इसमें स्कूलों के उपरोक्त पात्र पूल में से ही विद्यालय, चुनौती की शर्तों को पूरा करने के लिए मुकाबला करेंगे। इन शर्तों की पूर्ति को राज्यों/केवीएस/जेएनवी द्वारा भौतिक निरीक्षण के जरिए प्रमाणित किया जाएगा।

स्कूलों के दावों का सत्यापन राज्य/केंद्र शासित प्रदेश/केवीएस/जेएनवी करेंगे और स्कूलों की सूची मंत्रालय को सुझाएंगे। पूरे भारत में कुल स्कूलों की संख्या की ऊपरी सीमा के साथ प्रति ब्लॉक/यूएलबी अधिकतम दो स्कूलों (एक प्राथमिक और एक माध्यमिक/उच्च माध्यमिक) का चयन किया जाएगा। पीएम स्कूलों के चयन और निगरानी के लिए स्कूलों की जियो-टैगिंग की जाएगी। जियो-टैगिंग और अन्य संबंधित कार्यों के लिए भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) की सेवाएं ली जाएंगी। स्कूलों के अंतिम चयन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा।

पीएम स्कूल का गुणवत्ता आश्वासन

  1. एनईपी 2020 का प्रदर्शन।
  2. नामांकन और सीखने की प्रक्रिया में प्रगति पर निगरानी के लिए स्टूडेंट रजिस्ट्री।
  • प्रत्येक बच्चे के सीखने के स्तर में सुधार करके राज्य और राष्ट्रीय औसत से ऊपर के स्तर को प्राप्त करना।
  1. मध्यम श्रेणी के प्रत्येक छात्र, अत्याधुनिक और 21वीं सदी के कौशल से अवगत/उन्मुख।
  2. माध्यमिक कक्षा का प्रत्येक छात्र कम से कम एक कौशल के साथ उत्तीर्ण होता है।
  3. हर बच्चे के लिए खेल, कला, आईसीटी।
  • सतत और हरित स्कूल।
  • सहायता व मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक विद्यालय उच्च शिक्षा संस्थानों से जुड़ा/जुड़ा हुआ है।
  1. प्रत्येक विद्यालय स्थानीय उद्यमशील इकोसिस्टम से जुड़ा/जुड़ा हुआ है।
  2. प्रत्येक बच्चे को मनोवैज्ञानिक कल्याण और करियर के लिए परामर्श दिया जाता है।
  3. छात्र भारत के ज्ञान और विरासत से जुड़े होंगे; सभ्यता के लोकाचार और भारत के मूल्यों पर गर्व करेंगे; दुनिया में भारत के योगदान के बारे में जागरूक होंगे; समाज, जीवों और प्रकृति के प्रति कर्तव्यों के लिए सजग रहेंगे; कुछ भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम होंगे; समावेशिता, समानता और अनेकता में एकता का सम्मान करेंगे; दूसरों की सेवा करने की प्रेरणा होगी और’एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के लिए काम करने की इच्छा रखेंगे।
  • चरित्र निर्माण, नागरिकता मूल्य, राष्ट्र निर्माण के प्रति मौलिक कर्तव्य और उत्तरदायित्व।

इन स्कूलों को बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए जीवंत स्कूलों के रूप में विकसित किया जाएगा।

लाभार्थी:

इस योजना से 18 लाख से अधिक छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है। इसके अलावा पीएम स्कूलों के आसपास के स्कूलों पर भी मार्गदर्शन और सहयोग के माध्यम से प्रभाव पड़ेगा।

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