नई दिल्ली (मा.स.स.). पीड़ा को कम करने और माता-पिता में दिव्यांग बच्चों के साथ व्यवहार करने के लिए विश्वास पैदा करने के लिए सेना अस्पताल (अनुसंधान और रेफरल) में एक मॉडल “प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र-प्रयास” स्थापित किया गया है। “प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र” एक व्यापक अति आधुनिक सुविधा है जो विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को समर्पित है। ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, नींद और हकलाना और अन्य विकलांगता से पीड़ित सशस्त्र बलों के कर्मियों के छह वर्ष तक के बच्चों को इस उद्यम से अत्यधिक लाभ होगा।
इस केंद्र का उद्घाटन अर्चना पांडे, अध्यक्ष, आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (एडब्ल्यूडब्ल्यूए) ने 12 सितंबर 2022 को आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की उपस्थिति में किया। इस कार्यक्रम में सर्जन वाइस एडमिरल रजत दत्ता, महानिदेशक सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (डीजीएएफएमएस) भी उपस्थित थे।
नव स्थापित केंद्र में श्रवण और दृश्य दोषों के लिए उन्नत स्क्रीनिंग, ऑटिज्म का पता लगाने, विभिन्न बीमारियों की नैदानिक पहचान और विशेष शिक्षा, संवेदी एकीकरण व्यावसायिक और फिजियोथेरेपी, व्यवहार संशोधन और पोषण मार्गदर्शन जैसी चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। यह बाल चिकित्सा सुपर स्पेशियलिटी विधा वात्सल्य के साथ एकीकृत है, जिसे बच्चों के अनुकूल वॉल्ट डिज़्नी थीम के साथ पुन: डिजाइन किया गया है। दिव्यांग बच्चों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न चिकित्सकों की विशेषज्ञता को मिलाकर एक बहु-विषयक दृष्टिकोण साथ काम करेगा।
सेना अस्पताल (आर एंड आर) तृतीयक देखभाल रेफरल सुविधाएं प्रदान करता है और विभिन्न उप-विशिष्टताओं में उत्कृष्टता केंद्र है। ईआईसी “प्रयास” को जोड़ने से अवसर की सर्वोत्तम विंडो के दौरान उन दिव्यांग बच्चों के लिए प्रारंभिक निदान और आवश्यक चिकित्सीय हस्तक्षेप करने में मदद मिलेगी, जिनकी आयु जन्म से 6 वर्ष के बीच है। यह केंद्र विकासात्मक देरी से बच्चों के चिकित्सीय परिणाम में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करेगा और इसका उद्देश्य देखभाल करने वाले की संतुष्टि में अत्यधिक सुधार हासिल करना है।
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