अपने पूर्वजों के किये पापों का फल जब उसके वंश में किसी एक जातक को भोगना पड़ता है तो उसे पितृदोष कहा जाता है। महाराज दशरथ ने श्रवण को तीर मारने पर श्रवण के माता-पिता ने शाप दे दिया, ‘‘जैसे हम पुत्र-वियोग में मर रहे हैं, वैसे आप भी पुत्र वियोग में मरेंगे।’’ महाराज दशरथ पुत्र वियोग में मरे। उनका अपना दोष था, लेकिन राम का तो कोई दोष न था। उन्हें वन के कष्ट सहने पड़े पिता के दोष के कारण।
पितृदोष की पहचान – नौवा घर और बुध से पितृदोष –
1. लग्न या आठवें घर में बुध और नौवें घर में बृहस्पति हो। 2. दूसरे या सातवें घर में बुध और नौवें घर में शुक्र हो। 3. तीसरे घर में बुध और नौवें घर में राहु हो। 4. चौथे घर में बुध और नौवें घर में चन्द्र हो। 5. पाँचवें घर में बुध और नौवें घर में राहु हो। 6. छठे घर में बुध और नौवें घर में केतु हो। 7. दसवें घर या ग्यारहवें घर में बुध और नौवें घर में शनि हो। 8. बारहवें घर में बुध और नौवें घर में बृहस्पति हो।
बृहस्पति से पितृदोष –
1. बृहस्पति केन्द्र में और शनि दूसरे, तीसरे या छठे घर में हो या शुक्र तीसरे, पाँचवे, छठें घर में हो या बुध नौवें घर मे हो या राहु बारहवें घर में हो।
अन्य ग्रहों से पितृदोष –
1. राहु, केतु या शुक्र पाँचवे घर मे हो, सूर्य पहले या ग्यारहवें घर में न हो। 2. बुध, शुक्र या शनि चौथे घर में हो, चन्द्रमा चौथे घर के अतिरिक्त कहीं भी हो। 3. बुध और केतु पहले या आठवें घर में हो, मंगल सातवें घर में न हो। 4. चन्द्रमा तीसरे या छठे घर में हो, बुध दूसरे और बारहवें घर में न हो। 5. सूर्य, चन्द्र, राहु दूसरे व सातवें घर में हों, शुक्र पहले या आठवें घर में न हो। 6. सूर्य, चन्द्र, मंगल दसवें या नौवें में हों, शनि तीसरे या चौथे घर में न हो। 7. राहु छठे घर के अतिरिक्त कहीं भी हो और सूर्य, शुक्र तथा मंगल बारहवें घर में हों। 8. केतु दूसरे घर के अतिरिक्त कहीं भी हो, चन्द्र और मंगल छठें घर में हों।
उपर्युक्त पितृदोष के अतिरिक्त स्व-ऋण दोष, मातृ ऋण दोष, स्त्री ऋण दोष, सम्बन्धी ऋण दोष, बहन-बेटी का ऋण, निर्दयी ऋण, अज्ञात का ऋण, दैवी ऋण आदि दोष पाये जाते है। जिनकी पहचान और निवारण करने हेतु विभिन्न ग्रहों के अलग-अलग प्रकार के उपाय किये जाते है।
साभार : ज्योतिषी श्याम जी शुक्ल, मो.: 8808797111