नई दिल्ली (मा.स.स.). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना ने भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली और सबसे सम्मानित देशों की पंक्ति में ला खड़ा किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 16 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली के एक कार्यक्रम में यह कहा। उन्होंने जोर देते हुये कहा कि सरकार ‘नये भारत’ के सपने को पूरा करने के लिये कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रही है; यह ऐसे भारत की परिकल्पना है, जो अपनी जरूरतों और खासतौर से सुरक्षा सम्बंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये किसी अन्य देश पर आश्रित नहीं होगा।
रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को अर्जित करने के लिये रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाये गये कदमों का उल्लेख करते हुये राजनाथ सिंह ने कहा कि 310 वस्तुओं की तीन सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची का जारी होना तथा राष्ट्र की विकास गाथा में निजी सेक्टर को सम्मिलित होने के लिये प्रोत्साहित करना इस बात का प्रमाण है कि सरकार संकल्पित है कि सशस्त्र बलों को स्वदेश में विकसित उत्कृष्ट हथियार/प्लेटफार्म मिलें तथा उन्हें समस्त भावी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये लैस किया जा सके। उन्होंने कहा कि स्वदेशी उद्योगों के पास ऐसी क्षमता और योग्यता है कि वे अगले कुछ वर्षों के दौरान जल, थल, नभ और अंतरिक्ष में आधुनिक रक्षा प्लेटफार्मों का निर्माण कर सकते हैं। सरकार उन्हें आवश्यक माहौल उपलब्ध कराने के सभी प्रयास कर रही है।
सरकारी प्रयासों की बदौलत प्राप्त की गई प्रगति पर प्रकाश डालते हुये रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा निर्यात, जो कभी 1,900 करोड़ रुपये हुआ करता था, वह अब 13,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जायेगा, जिसमें 35,000 करोड़ रुपये का निर्यात भी शामिल है। राजनाथ सिंह ने देश के पहले स्वदेशी वायु यान वाहक पोत विक्रांत का विशेष उल्लेख किया, जिसमें 76 प्रतिशत स्वदेशी सामान लगा है तथा जिसे प्रधानमंत्री ने दो सितंबर, 2022 को कोच्चि में देश-सेवा में समर्पित किया था। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा का यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
बहरहाल राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि ‘आत्मनिर्भरता’ का अर्थ अलग-थलग हो जाना नहीं है। उन्होंने इसे परिभाषित करते हुये कहा कि ‘आत्मनिर्भता’ वास्तव में पूरी दुनिया को आशा और राहत देने का भारत का संकल्प है। बदलते परिदृश्य में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी निर्माण इकाइयों को विकेंद्रित करने के विकल्प तलाश रही हैं। भारत इस खोज को न सिर्फ पूरा करता है, बल्कि इस आशा का संचार भी करता है कि निर्माण इकाइयों को विकेंद्रित करने में इतनी क्षमता है कि उससे पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई मिल सकती है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक आशावाद का केंद्र है। हमारे यहां अनन्त अवसर हैं, विकल्पों की भरमार है और खुलेपन का एहसास है। राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ खुले दिमाग से नये द्वार खोलता है। हमारा लक्ष्य राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना, तथा इसके साथ ही अपने मित्र देशों को उनके लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करना है। परिकल्पना बिलकुल स्पष्ट हैः ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर दी वर्ल्ड।’
रक्षा मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुये कहा कि उनके नेतृत्व में आजादी के बाद एक बार फिर भारत ने मजबूत अर्थव्यवस्था की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किये थे। सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार उनकी ‘राष्ट्र प्रथम’ की परिकल्पना को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा, “अटल जी के नेतृत्व में ही देश अपने प्रगति पथ पर लौटा था। उन्होंने अवसंरचना विकास, गरीब कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया, महंगाई को नियंत्रित किया और अर्थव्यवस्था की विकास दर को आठ प्रतिशत के ऊपर पहुंचाया। अब हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को विश्व की सबसे बड़ी पांचवीं अर्थव्यवस्था बना दिया है। पिछले आठ वर्षों में प्रक्रिया सम्बंधी और संरचात्मक सुधार शुरू किये गये। पुराने कानूनों को बदला गया और देश में निवेश के लिये सहायक माहौल तैयार किया गया। देश में ‘व्यापार सुगमता’ पर ध्यान देते हुये ‘जीवन सुगमता’ को बढ़ाया गया, जिसके तहत हर नागरिक को बुनियादी सुविधायें प्रदान की जा रही हैं।”
राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सामयिक और निर्भीक निर्णय लेने का अभिनंदन करते हुये कहा कि इन निर्णयों ने भारत की छवि एक मूक दर्शक से बदलकर मजबूत इरादों वाले देश और योगदानकर्ता के रूप में बना दी है। सिंह ने कहा, “कोविड-19 महामारी के दौरान, हमने सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया। हमने न केवल अपने नागरिकों की रक्षा की, बल्कि अन्य देशों की भी मदद की। कोविड वैक्सीन, दवा और अन्य जरूरी सामानों को 100 से अधिक देशों तक पहुंचाया। रूस-उक्रेन टकराव के शुरुआती चरण के दौरान, हमारे प्रधानमंत्री ने अमेरिका, रूस और उक्रेन के राष्ट्रपतियों से बात की तथा ‘ऑप्रेशन गंगा’ के जरिये हम युद्ध क्षेत्र से लगभग 22,500 भारतीय नागरिकों को निकालने में सफल हुये। इससे भारत के राजनय, विश्वसनीयता और नेतृत्व की खूबियों का पता चलता है।”
मंत्री ने लोगों में एकता और देशभक्ति की भावना का उल्लेख करते हुये कहा कि देश जो तेज गति से विकास होता देख रहा है, उसके पीछे यही दो भावनायें हैं। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि अपने-अपने क्षेत्र में काम करते हुये वे राष्ट्र को हृदयंगम करें, क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है, जो देश को ऊंचाइयों पर ले जायेगा।
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