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“हिमीकृत मछली और मत्स्य उत्पादों को बढ़ावा” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ

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नई दिल्ली (मा.स.स.). मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले मत्स्यपालन विभाग ने वर्तमान में चल रहे आजादी का अमृत महोत्सव के भाग के रूप में “हिमीकृत मछली और मत्स्य उत्पादों को बढ़ावा” विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। जतीन्द्र नाथ स्वैन, सचिव, मत्स्यपालन विभाग भारत सरकार ने इस वेबिनार की अध्यक्षता की और इसमें उद्यमियों, मत्स्य संघों, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार के अधिकारियों, विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्यपालन अधिकारियों, राज्य कृषि, पशु चिकित्सा और मत्स्य विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्यों, मत्स्य अनुसंधान संस्थानों, मत्स्य सहकारी अधिकारियों, वैज्ञानिकों, छात्रों और पूरे देश के मत्स्यपालन हितधारकों ने हिस्सा लिया।

वेबिनार की शुरुआत सागर मेहरा, संयुक्त सचिव अंतर्देशीय मात्स्यिकी विभाग के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने देश में मात्स्यिकी क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, डीओएफ की प्रमुख योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और हाशिए पर रहनेवाले समुदायों के लिए पोषण संबंधी आवश्यकता सुनिश्चित करने और घरेलू स्तर पर मछली व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए घरेलू मछली की खपत में वृद्धि का महत्व जैसे विषयों पर संक्षेप रूप में चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक मत्स्य बाजारों में अनिश्चितता होने पर सुनिश्चित क्षेत्रीय विकास के लिए घरेलू मछली खपत को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक जोखिम शमन योजना होनी चाहिए।

अपने मुख्य भाषण में, जतीन्द्र नाथ स्वैन, सचिव, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने उपभोक्ता आधार को व्यापक बनाने के लिए हिमीकृत मछली और मत्स्य उत्पादों को सुलभ बनाने और महत्वपूर्ण रूप से हिमीकृत मछली और मत्स्य उत्पादों को बेचने के लिए उपभोक्ताओं में विश्वास कायम करने की दिशा में काम करने पर प्रकाश डाला। उपभोक्ताओं के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए, उन्होंने सलाह दिया कि चूंकि वर्तमान निर्यातक कठोर गुणवत्ता मांग का पालन करते हैं इसलिए समान गुणवत्ता वाले हिमीकृत मछली और मत्स्य उत्पादों का आवश्यक मार्क और प्रमाणन के साथ घरेलू बाजार में विस्तार किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने शहरी, अर्ध-शहरी और आंतरिक क्षेत्रों में उपभोक्ताओं तक इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए अन्य उत्पादों की मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला का उपयोग करने पर भी बल दिया।

तकनीकी सत्र में, उद्योग विशेषज्ञ जी. एस. रथ (वरिष्ठ महाप्रबंधक, बिक्री और विपणन, फाल्कन मरीन एक्सपोर्ट्स लिमिटेड), ए जे थारकन (अध्यक्ष, अमलगम ग्रुप ऑफ कंपनीज), और मैथ्यू जोसेफ (सीओओ और सह-संस्थापक, फ्रेश टू होम) को बाजार के रुझानों, उपभोक्ताओं की अंतर्दृष्टि और हिमीकृत मछली और मत्स्य उत्पादों के प्रसंस्करण में उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकियों पर अपना विचार रखने के लिए आमंत्रित किया गया। वर्तमान समय के बाजार परिदृश्य और इसमें शामिल प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करते हुए, वक्ताओं ने उपभोक्ताओं में ताजी मछली की तुलना में हिमीकृत मछली की कम प्राथमिकता, खंडित आपूर्ति श्रृंखला, उपभोक्ता बाजार में हिमीकृच मछली और मत्स्य उत्पादों की कमी, उत्पाद उपलब्धता में कमी आदि से संबंधित जमीनी स्तर की चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला।

इसके अलावा, वक्ताओं ने अवसर वाले क्षेत्रों पर भी जोर दिया और आगे बढ़ने वाली रणनीतियों अपनाने की बात की। इसमें हिमीकृत मछली और मत्स्य उत्पादों के लिए जागरूकता अभियानों के माध्यम से उपभोक्ताओं में जागरूकता उत्पन्न करना और व्यवहार परिवर्तन करना, बाजार विकसित करना, लेन-देन की लागत में कमी लाने के लिए प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना, रेडी-टू-ईट (आरटीई) और रेडी-टू-कुक (आरटीसी) उपभोक्ता आधार तैयार करना और मछली बाजारों के आसपास नीतियों का विकास करना शामिल है जिसके माध्यम से कीमतों में पारदर्शिता, गुणवत्ता हेतु सुव्यवस्थित प्रक्रियाएं और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस आदि प्राप्त किया जा सकता है।

विशेषज्ञों द्वारा औद्योगिक प्रथाओं पर दिखाए गए वीडियो और खुले मंच से उठाए गए प्रश्नों ने इस सत्र को आकर्षक और उपयोगी बना दिया। क्षेत्रीय रणनीतियों और कार्य योजनाओं को और ज्यादा विकसित करने के लिए व्यावहारिक चर्चाओं से फॉलो-अप कार्य योजनाएं भी उभर कर सामने आयी। इस वेबिनार का समापन डॉ. एस. के. द्विवेदी, सहायक आयुक्त (मत्स्य), डीओएफ ने अध्यक्ष, प्रतिनिधियों, अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव देकर किया।

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