गुवाहाटी (मा.स.स.). “पूर्वोत्तर राज्यों में लैंड गवर्नेंस” विषय पर संपन्न हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय राज्यों में प्रादेशिक और स्वायत्त जिला परिषदों ने भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण को विकास के लिए अति आवश्यक बताया है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी और भूमि संसाधन विभाग द्वारा असम सरकार के राजस्व विभाग के सहयोग से किया गया था। भूमि संसाधन विभाग के सचिव अजय तिर्की ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की।
भूमि संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव सोनमोनी बोरा, असम सरकार राजस्व विभाग के प्रधान सचिव, ज्ञानेंद्र देव त्रिपाठी, मसूरी की लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी की उप निदेशक, सुआनंदी, भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अपर महासर्वेक्षक,पी.वी. राजशेखर, विश्व बैंक की वरिष्ठ सामाजिक विकास विशेषज्ञ सुमृदुला सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त जिला परिषद, दीमा हसाओ स्वायत्त जिला परिषद (सभी असम में) के प्रतिनिधि, त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त परिषद, त्रिपुरा, लाइ स्वायत्त जिला परिषद, मिजोरम, खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद, गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद, जयंतिया हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (सभी मेघालय में) ने राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया।
यह इस प्रकार का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन था जिसमें वर्तमान समय में चल रही राज्य प्रथाओं और भूमि अभिलेखों के आधुनिकीकरण ,भूमि प्रशासन आकलन ढांचे, प्रथागत और स्वदेशी कानूनों, वर्तमान प्रथाओं और नई पहलों और भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण में भारतीय सर्वेक्षण की भूमिका पर सत्र शामिल थे। हांलांकि असम के बाकी हिस्सों में भूमि अभिलेखों और नक्शों के कम्प्यूटरीकरण और डिजिटलीकरण की पहल ने अच्छी प्रगति दिखाई है, पर यह देखा गया कि बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त जिला परिषद और दीमा हसाओ स्वायत्त जिला परिषद के तहत आने वाले क्षेत्रों में बहुत अंतर हैं। बोडोलैंड भूमि की नीति तैयार की जा रही है और शीघ्र ही इसे अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।
कार्बी आंगलोंग क्षेत्रों में अभी सर्वेक्षण और निपटान नहीं किया गया है जबकि दीमा हसाओ स्वायत्त जिला परिषद ने असम भूमि विनियमन अधिनियम को अपनाया है, भूमि के बड़े हिस्से में गैर-कैडस्ट्राल क्षेत्र है और इन क्षेत्रों के सर्वेक्षण की जरूरत महसूस की गई। त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त परिषद में आठ जिले हैं और लगभग 10,000 वर्ग किमी का क्षेत्र है जो छठी अनुसूची और 10 प्रथागत कानूनों के तहत आते हैं। छठी अनुसूची के तहत लाई स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्र में सर्वेक्षण/पुनः सर्वेक्षण की आवश्यकता महसूस की गई। मेघालय के खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्रों में भूमि का अधिकांश हिस्सा खासी समुदाय के अधीन है। गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद में जिला परिषद द्वारा वार्षिक पट्टा जारी करने की व्यवस्था है जबकि जयंतिया हिल्स स्वायत्त जिला परिषद, मेघालय मेघालय भूमि सर्वेक्षण और रिकार्ड प्रिपरेशन एक्ट 1980 का पालन करता है।
भूमि संसाधन विभाग सचिव,अजय तिर्की, ने सम्मेलन के आयोजन में एलबीएसएनएए उप निदेशक सुआनंदी के प्रयासों की सराहना की और स्पष्ट किया कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में विभिन्न स्वायत्त जिला परिषदों को डिजिटाइज़ करने और उनके भूमि अभिलेखों का आधुनिकीकरण करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है किंतु अभी इसमें देरी है, पर संवैधानिक ढांचे और स्थापित कानूनों के भीतर परिषदों का समर्थन करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए, बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल ने भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण के लिए एक प्रस्ताव रखा और भूमि संसाधन विभाग ने उसे विधिवत मंजूरी दे दी।
विभाग के सचिव ने उत्तर-पूर्वी राज्यों में आवश्यक कार्य की मात्रा को देखते हुए सूचित किया कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में लैंड गवर्नेंसके लिए उचित प्रक्रिया के बाद विभिन्न स्वायत्त जिला परिषदों के साथ मिलकर सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के साथ एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। संयुक्त सचिव सोनमोनी बोरा ने विभिन्न स्वायत्त जिला परिषदों से डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के तहत भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण के लिए अपने प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया और एलबीएसएनएए की उप निदेशक और असम सरकार राजस्व की प्रधान सचिव सुआनंदी को असम के राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं