भोपाल. बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार में बांग्लादेश से आई एक युवती पहुंची। उसने विनती करते हुए कहा कि मुझे सनातन धर्म स्वीकार करना है। युवती ने धीरेंद्र शास्त्री को बताया कि वह कई महीनों से यूट्यूब पर उनका कार्यक्रम देख रही है। उसे राम नाम का जाप करने से सुकून मिलता है। धीरेंद्र शास्त्री ने युवती से पूछा कि किसी के दबाव में आकर तो ये कार्य नहीं कर रही है, इस पर युवती ने कहा कि वह अपनी मर्जी से वीजा के साथ भारत आई है। किसी का दबाव नहीं है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि आप अपने मजहब में रहकर भी सनातन धर्म को स्वीकार कर सकते हैं। तो युवती ने सनातनी बनने की इच्छा जताई।
बालाघाट के परसवाड़ा के भादुकोटा में दो दिवसीय वनवासी रामकथा का आयोजन हुआ। इसमें दो दिन यानी 23 और 24 मई को पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने दिव्य दरबार लगाया। 24 मई को बांग्लादेश से आई युवती भी शामिल हुई। 24 मई को पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार में पहली अर्जी पिता के घर परसवाड़ा आई महिला नेहा और पुरूष में पहली अर्जी केवलारी के बगलई निवासी देवेंद्र और शिवम की लगी।
हम मजहब के खिलाफ नहीं: पं. शास्त्री
बांग्लादेश से आई युवती स्वागत करते हुए पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हम पर आरोप लगते हैं कि हम उपद्रव करवाते हैं, लेकिन हम किसी मजहब के खिलाफ नहीं है। ना ही धर्मांतरण पर भरोसा करते हैं, हमारी कोई भूमिका नहीं है, बस हमारी राम नाम की भूमिका है, लेकिन हमें घर वापसी पर भरोसा है। पं. धीरेंद्र शास्त्री ने वनवासी रामकथा के बाद युवती से मिलने का वादा करते हुए आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे को युवती से मिलाने की बात कही। ताकि उन्हें सनातन धर्म में स्वीकार किया जा सके। युवती ने धीरेंद्र शास्त्री से कहा कि मेरे सनातन धर्म स्वीकारने से परिवार को परेशानी उठानी पड़ सकती है, लेकिन मैं आपके भजनों से प्रेरित होकर यह कदम उठा रही हूं। सनातन धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
साभार : दैनिक भास्कर
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं