नई दिल्ली. दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को शुक्रवार (2 जून) को राहत दी. कोर्ट ने सिसोदिया को शनिवार (3 जून) की सुबह 10 से शाम 5 बजे तक की राहत देते हुए कहा कि वह इस दौरान पत्नी से मुलाकात कर सकते हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया.
हाई कोर्ट ने शर्त लगाते हुए कहा कि सिसोदिया इस दौरान मीडिया से बात नहीं करेंगे. उन्हें सिर्फ अपने परिवार से बात करने की इजाजत है. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि वो मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. अदालत ने सिसोदिया को पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट शनिवार शाम तक जमा करने को कहा है और साथ ही वो पुलिस हिरासत में उनसे मिल सकते हैं. दरअसल सिसोदिया ने पत्नी की सेहत का हवाला देते हुए जमानत की मांग की थी.
क्या आरोप है?
ईडी ने आप नेता मनीष सिसोदिया पर शराब नीति में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया है. ईडी का दावा है कि आबकारी नीति में बदलाव करते हुए गड़बड़ी की गई और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिए गए. इसमें सिसोदिया ने मुख्य भूमिका निभाई क्योंकि उनके पास ही आबकारी विभाग का प्रभार भी था.
क्या दलील दी गई थी?
दिल्ली हाई कोर्ट में मामले में गुरुवार (1 जून) को भी सुनवाई हुई थी. इस दौरान सिसोदिया के वकील ने बताया था कि यह नीति तब वापस ली गयी जब दिल्ली के उपराज्यपाल ने शराब की दुकानों को निषिद्ध क्षेत्रों में खोलने की अनुमति नहीं दी थी जिसके कारण नुकसान हुआ. उन्होंने दावा किया कि 10 साल के लिए लागू पहले की नीति के तहत ऐसे इलाकों में दुकानें खोली गयी थी. वहीं ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दावा किया कि आरोपियों के गलत कारनामों का खुलासा होने के कारण यह नीति वापस ली गयी.
साभार : एबीपी न्यूज़
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