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चीन भारत सीमा के पास बना रहा है सैन्य अड्डा, खतरनाक हैं मंसूबे

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नई दिल्ली. चीन के साथ सीमा विवाद के बीच एलएसी पर ड्रैगन की बदमाशी कम होने का नाम नहीं ले रही है। अमेरिकी रक्षा विभाग की तरफ से चीन को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है। पेंटागन के अनुसार, चीन ने भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपने बड़े पैमाने पर अतिरिक्त सैन्य तैनाती को कम नहीं किया है। इसके साथ ही अंडरग्राउंड स्टोरेज फैसिलिटी , सड़कों, गांवों, हवाई क्षेत्रों और हेलीपैड जैसे सीमा बुनियादी ढांचे का विकास जारी रखा है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन की समग्र सैन्य शक्ति पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। ऐसे में सवाल है कि क्या अमेरिका की यह रिपोर्ट भारत के लिए खतरे की घंटी है। हालांकि, भारत पहले से ही ड्रैगन की चुनौती को लेकर सजग है। भारत ने मौके पर चीन को उसी की भाषा में जवाब भी दिया है। विदेश मंत्री भी इस संबंध में चीन की कारगुजारियों को सार्वजनिक रूप से कई मंचों से कह चुके हैं।

सड़क, पुल से लेकर हैलीपेड निर्माण

चीन के सैन्य सीमा बुनियादी ढांचे के विकास पर, पेंटागन ने कहा कि डोकलाम के पास अंडरग्राउंड स्टोरेज फैसिलिटी, एलएसी के सभी तीन क्षेत्रों में नई सड़कें, पड़ोसी भूटान में विवादित क्षेत्रों में नए गांव, पैंगोंग झील पर एक दूसरा पुल, एक सड़क का दोहरीकरण शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रीय क्षेत्र के पास एयरपोर्ट और कई हेलीपैड शामिल हैं। पेंटागन ने कहा कि चीन ने पिछले साल एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख) में रिजर्व में चार संयुक्त-हथियार ब्रिगेड (सीएबी) के साथ झिंजियांग और तिब्बत सैन्य जिलों के दो डिवीजनों के सपोर्ट वाली एक सीमा रेजिमेंट तैनात की थी। प्रत्येक सीएबी में आमतौर पर टैंक, तोपखाने, वायु रक्षा मिसाइलों और अन्य हथियार प्रणालियों के साथ लगभग 4,500 सैनिक होते हैं। चीन ने अपने अन्य थिएटर कमांडों से पूर्वी क्षेत्र (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) में तीन हल्के से मध्यम सीएबी भी तैनात किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है हल्के सीएबी के कुछ कंपनी पीछे हट गए, तैनात बलों का अधिकांश हिस्सा एलएसी पर यथावत बना हुआ है।

भारत-चीन में बातचीत में सहमति नहीं

भारत-चीन सीमा पर सेक्शन में, पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर चीनी वेस्टर्न थिएटर कमांड की तैनाती ‘संभवतः 2023 के अंत तक भी जारी रहेगी। यह भारत में मूल्यांकन से मेल खाता है। पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव अब लगातार चौथी सर्दियों में प्रवेश करने के लिए तैयार है। दोनों देशों के बीच 9-10 अक्टूबर को कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के 20 वें दौर में दो प्रमुख आमने-सामने की वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली। डेपसांग मैदान और डेमचोक में चार्डिंग निंगलुंग नाला (सीएनएन) ट्रैक जंक्शन को लेकर दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बन सकी है। पेंटागन ने कहा कि चीन पारंपरिक भूमि, वायु और समुद्र सहित युद्ध के सभी क्षेत्रों में क्षमताओं को बढ़ाकर अपनी सेना का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है। इसमें परमाणु, अंतरिक्ष, काउंटर-स्पेस, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और साइबरस्पेस भी शामिल है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लक्ष्य के अनुरूप, चीन ‘युद्ध लड़ने और जीतने’ की अपनी क्षमता को मजबूत कर रहा है।चीन विश्व स्तर पर शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। इसमें कहा गया है कि 2049 तक चीन के पास एक ‘वर्ल्ड क्लास’ सेना होगी।

किसके पास कितने परमाणु हथियार

अमेरिकी रक्षा विभाग ने यह भी कहा कि बीजिंग के पास अब 500 से अधिक परिचालन परमाणु हथियार हैं। यह पिछले अनुमानों से अधिक है। खास बात है कि साल 2030 तक इनकी संख्या 1,000 से अधिक पहुंच जाएगी। इसके साथ ही ड्रैगन लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का जखीरा भी तैयार कर रहा है। रिपोर्ट अमेरिका के पास 3,750 एक्टिव परमाणु हथियार हैं। अमेरिका के परमाणु हथियारों की कुल संख्या 5,244 है। वहीं, रूस के पास 5,889 परमाणु हथियार हैं। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की तरफ से पहले बताए गए अन्य आकलन के अनुसार, भारत के पास 164 और पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

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