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कतर ने सजा माफी के बाद रिहा किये सभी 8 भारतीय

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दोहा. भारत को एक बड़ी जीत मिली है। कतर ने जिन आठ भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मचारियों को मौत की सजा सुनाई थी, उन्हें रिहा कर दिया गया है। ये सभी कर्मचारी जासूसी के आरापों का सामना कर रहे थे। इससे पहले, भारत के अनुरोध पर मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

आठ में सात लौटे भारत
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है। उन आठ में सात भारत लौट आए हैं। हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी को सक्षम करने के लिए कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।’

पीएम मोदी का किया धन्यवाद
भारत लौटे पूर्व नौसैनिक अधिकारियों में एक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बिना उनकी रिहाई संभव नहीं थी। उन्होंने दिल्ली हवाईअड्डे पर उतरने के बाद ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए। सभी पूर्व अधिकारियों ने पीएम मोदी और कतर के अमीर का भी धन्यवाद दिया।

यह है मामला
कतर की अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मचारियों को पिछले साल 27 अक्तूबर को मौत की सजा सुनाई थी। इस फैसले से भारत बेहद हैरान था। उसने इस निर्णय को चौंकाने वाला बताया था। हालांकि, भारत सरकार ने साफ कर दिया था कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है। हैरानी वाली बात ये थी कि कतर के साथ भारत के रिश्ते अच्छे माने जाते हैं। इसके बाद भी कतर ने आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी। अब सवाल उठता है कि आखिर ये आठ भारतीय कौन हैं और कतर में क्या कर रहे थे और कब से जेल में बंद थे?

कौन हैं ये आठ भारतीय?

कतर की अदालत ने जिन आठ लोगों को सजा सुनाई थी वो भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं।

  1. कमांडर पूर्णेंदु तिवारी
  2. कमांडर सुगुणाकर पकाला
  3. कमांडर अमित नागपाल
  4. कमांडर संजीव गुप्ता
  5. कैप्टन नवतेज सिंह गिल
  6. कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा
  7. कैप्टन सौरभ वशिष्ठ
  8. नाविक रागेश गोपाकुमार

सभी पूर्व अधिकारियों ने भारतीय नौसेना में 20 वर्षों तक अपनी शानदार सेवा दी है। इन लोगों ने प्रशिक्षकों सहित महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। साल 2019 में, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था, जो प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।

कतर में क्या कर रहे थे?

आठों भारतीय निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीस एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते थे। भारतीय नागरिक पिछले कुछ सालों से कतर के नौसैनिकों को प्रशिक्षण दे रहे थे। कतरी अधिकारियों के साथ मिलकर ये कंपनी नौसैनिकों को ट्रेनिंग देने का काम कर रही थी। कंपनी का स्वामित्व रॉयल ओमान वायु सेना के सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर खामिस अल-अजमी के पास है। अजमी को भी पिछले साल भारतीयों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर 2022 में रिहा कर दिया गया था। मई में, दाहरा ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) घर लौट आए थे।

कबसे बंद थे कतर की जेल में?

दरअसल, कतर की अदालत ने जिन आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी, वे सभी भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी रह चुके हैं। ये अधिकारी पिछले साल अगस्त से ही कतर की जेल में बंद थे। न तो भारत और न ही कतर के अधिकारियों ने उनके खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया। भारतीय नौसेना के आठ पूर्व सैनिकों के खिलाफ 25 मार्च को आरोप दर्ज किए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चल रहा था। उनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की जा चुकी थीं और कतर में कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस ने पिछली साल उनके खिलाफ फैसला सुनाया था।

बाद में फांसी की सजा हो गई थी माफ
हालांकि, हाल में ही भारत को एक कूटनीतिक कामयाबी मिली थी, जब कतर ने आठों अधिकारियों की मौत की सजा खत्म कर दी थी। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी थी। बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी के बीच दुबई में कॉप-28 सम्मेलन से इतर हुई मुलाकात के चार सप्ताह के अंदर सुनाया गया था। एक दिसंबर को हुई भेंट के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि उन्होंने कतर में रह रहे भारतीय समुदाय के बारे में अमीर से बात की थी। माना जाता है कि इसी दौरान नौसैनिकों का मुद्दा भी उठाया गया होगा। इसके बाद अब इन कर्मचारियों को रिहा कर दिया गया है।

भारत सरकार ने क्या कहा?

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कतर से भारतीयों की रिहाई पर खुशी जताई। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत सरकार दाहरा ग्लोब कंपनी में काम कर रहे भारतीयों की रिहाई का स्वागत करती है। इन्हें कतर में हिरासत में ले लिया गया था। रिहा हुए आठ में से सात लोग भारत लौट आए हैं। हम कतर के अमीर को इन भारतीयों की रिहाई के लिए धन्यवाद देते हैं।

साभार : अमर उजाला

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