पटना. केंद्रीय मंत्रिमंडल से पशुपति कुमार पारस का इस्तीफा मंजूर होने के साथ ही यह तय हो गया है कि वह अपनी हाजीपुर की जिद पर रहेंगे। महागठबंधन से उनकी पक्की बात अबतक नहीं हुई है, लेकिन चूंकि हाजीपुर की जिद पर ही उन्होंने केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ा है तो लड़ना तय है। ऐसे में इस सीट पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रत्याशी के रूप में चिराग पासवान का नाम भी पक्का है। चाचा पारस से हाजीपुर में संभावित टक्कर पर बुधवार को चिराग पासवान ने दिल्ली में मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि वह चुनौतियों के लिए तैयार रहते हैं। ऐसी चुनौतियों का सामना करते हुए ही यहां तक पहुंचे हैं।
बैठक के बाद हम बिहार के लिए रवाना होंगे
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि केंद्रीय संसदीय बोर्ड (पार्टी की) की बैठक के बाद, हम बिहार के लिए रवाना होंगे। आने वाले दिनों में हमलोग बड़े रण की ओर अग्रेसर हो रहे हैं। हमलोगों का 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य है। पीएम मोदी के नेतृत्व में हम जीतेंगे यह हमारा विश्वास है। उम्मीदवारों के सवाल पर चिराग पासवान ने कहा कि प्रत्याशियों ने नामों पर चर्चा चल रही है। कुछ नामों के सुझाव हमारे संसदीय बोर्ड द्वारा आया है इस पर आ चर्चा हुई है। अगले चार से पांच दिन के अंदर पांचों सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी।
हाजीपुर सीट से मैं खुद चुनाव लड़ने जा रहा हूं
हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ने के सवाल पर चिराग पासवान ने कहा कि यह सहमति जरूर हुई है। आज भी संसदीय बोर्ड की बैठक में हाजीपुर सीट पर औपचारिक मुहर लगा दी गई है। हाजीपुर मेरे पिता की कर्मभूमि रही है। वहां से एनडीए प्रत्याशी के रूप में लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मैं खुद चुनाव लड़ने जा रहा हूं। वहीं पशुपति कुमार पारस के हाजीपुर से चुनाव लड़ने के बयान के बारे में पूछे जाने पर चिराग पासवान ने कहा कि इसमें कहीं कोई समस्या ही नहीं है। मैं चुनौतियों से कभी नहीं डरा। मैंने हमेशा चुनौतियों का बहादुरी से सामना किया है। इसलिए आज मैं यहां खड़ा हूं। मेरे नेता (रामविलास पासवान) के जाने के बाद मुझे ख़त्म करने की कोशिश की गई, लेकिन मैं झुका नहीं। अब मैं हर चुनौती के लिए तैयार हूं। जनता मेरे साथ है। चाचा जी हमेशा कहते रहे हैं कि राजनीति में अंतिम सांस तक वह पीएम मोदी के साथ रहेंगे और एनडीए में रहेंगे। ऐसे में पीएम मोदी के 400 सीटों के लक्ष्य के राह में वह स्वयं रोड़ा बनेंगे? यह फैसला उनको लेना है। परिवार से अलग होने का फैसला उन्हीं (पशुपति पारस) का था। आज भी वह साथ आएंगे तो फैसला उन्हीं का रहेगा।
साभार : अमर उजाला
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं