गुरुवार, दिसंबर 11 2025 | 05:04:25 AM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

Follow us on:

नई दिल्ली. क्या जनकल्याण के लिए किसी की निजी संपत्ति ली जा सकती है? इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं कह सकते। सार्वजनिक हित में निजी संपत्ति की समीक्षा हो। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बहुमत से पिछले आदेश को पलट दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया?

चीफ जस्टिस ने बहुमत के फैसले में तय किया है कि हर निजी संपति को सामुदायिक भौतिक संसाधन (community resources) नहीं माना जा सकता। कुछ खास संसाधनों को ही सरकार सामुदायिक संसाधन मानकर इनका इस्तेमाल सार्वजनिक हित के लिए कर सकती है, सभी संसाधनों का नहीं। पीठ ने बहुमत से जस्टिस कृष्ण अय्यर के पिछले फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1960 और 70 के दशक में समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर झुकाव था। लेकिन 1990 के दशक से बाजार उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान केंद्रित किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा किसी विशेष प्रकार की अर्थव्यवस्था से अलग है। बल्कि इसका उद्देश्य विकासशील देश की उभरती चुनौतियों का सामना करना है। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले 30 सालों में गतिशील आर्थिक नीति अपनाने से भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जस्टिस अय्यर के इस फिलॉसफी से सहमत नहीं है कि निजी व्यक्तियों की संपत्ति सहित हर संपत्ति को सामुदायिक संसाधन कहा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया

ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा ,जस्टिस राजेश बिंदल , जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया है।

साभार : इंडिया टीवी

भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

सारांश कनौजिया की पुस्तकें

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

दीपावली को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया

भारत में व्यापक रूप से मनाई जाने वाली जीवंत परंपराओं में से एक दीपावली को …