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आरबीआई ने पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए

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मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक ने भुगतान सेवा प्रदान करने वाले पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस पहल का उद्देश्‍य ऑनलाइन भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं के संरक्षण को बढ़ावा देना और धोखाधड़ी से निपटना है। इन दिशानिर्देश में धनवापसी की स्पष्ट समयसीमा, उत्‍कृष्‍ट डेटा सुरक्षा और धोखाधड़ी से बचने के लिए रोकथाम प्रणालियों के साथ ही बोर्ड द्वारा अनुमोदित विवाद समाधान नीति को अनिवार्य किया गया है।

नए नियम के अनुसार विभिन्न वास्‍तविक या वर्चुअल चैनलों के माध्यम से ग्राहक भुगतान की सुविधा प्रदान करने वाले पेमेंट एग्रीगेटर्स को बोर्ड द्वारा अनुमोदित विवाद समाधान नीति को लागू करना आवश्‍यक होगा। अब रिफंड की प्रक्रिया के लिए समयसीमा को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा, जिससे भुगतान संबंधी शिकायतों का शीघ्र और पारदर्शी निवारण सुनिश्चित हो सकेगा।

रिजर्व बैंक ने डिजिटल अपराध के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए यह भी आदेश दिया है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स को धोखाधड़ी का पता लगाने और उनकी रोकथाम के उद्देश्‍य से प्रणालियों के साथ-साथ डेटा सुरक्षा बुनियादी ढांचे को भी समायोजित करना होगा। नए नियमों में बैंकों को पेमेंट एग्रीगेटर्स के रूप में कार्य करने के लिए अनुमति लेने से छूट दी गई है, जबकि गैर-बैंकिंग संस्थाओं को रिजर्व बैंक के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा। केन्‍द्रीय बैंक के परिपत्र में कहा गया है कि अन्य वित्तीय क्षेत्र नियामकों द्वारा विनियमित संस्थाओं को भी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के 45 दिनों के भीतर प्रस्तुत करना होगा।

नये दिशानिर्देश उन पेमेंट एग्रीगेटर्स को इन गतिविधियों में शामिल होने से रोकते हैं और केवल उन मंचों के लिए धन एकत्र करने तक सीमित करते हैं, जिनके साथ उनके संविदात्मक संबंध हैं। इसके अतिरिक्त, पेमेंट एग्रीगेटर्स को कार्ड-नॉट-प्रेजेंट लेनदेन के लिए प्रमाणीकरण कारक के रूप में एटीएम पिन की पेशकश करने से रोक दिया गया है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स को विशिष्ट भुगतान मोड पर लेनदेन राशि की सीमा नहीं लगानी चाहिए। यह भी कहा गया है कि ऐसी सीमाएं निर्धारित करने की जिम्मेदारी कार्ड जारी करने वाले बैंक की है, जो ग्राहक की क्रेडिट प्रोफाइल और उसके खर्च व्यवहार पर आधारित होती है।

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