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एप्पल भारत में नहीं देना चाहता हाई-एंड आईफोन बनाने वाली मशीनों के मालिकाना हक पर टैक्स

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नई दिल्ली: एप्पल कंपनी भारत में अपने कारोबार को बढ़ावा दे रही है। कंपनी के आईफोन अब भारत में बहुत तेजी से बन रहे हैं। कंपनी ने इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में ही 10 अरब डॉलर (करीब 88,730 करोड़ रुपये) के आईफोन का निर्यात किया है। यह एक रेकॉर्ड है। अब अमेरिका की यह कंपनी भारत सरकार से अनोखी मांग कर रही है। कंपनी की मांग से ऐसा लगता है कि इसकी लॉबी भारत सरकार पर हावी हो रही है।

एप्पल भारत सरकार से इनकम टैक्स कानून में बदलाव की मांग कर रहा है। रॉयटर्स के मुताबिक कंपनी चाहती है कि उसे अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को दिए जाने वाले हाई-एंड आईफोन बनाने वाली मशीनों के मालिकाना हक पर टैक्स न देना पड़े। सूत्रों का कहना है कि यह एक ऐसी समस्या है जो एप्पल के भारत में भविष्य के विस्तार में बाधा डाल सकती है। भारत एप्पल के अनुरोध की सावधानी से समीक्षा कर रहा है।

भारत में मौजूदगी बढ़ा रही कंपनी

यह मांग ऐसे समय में आई है जब एप्पल चीन से बाहर निकलकर भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक साल 2022 से भारत में आईफोन की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 8% हो गई है। जबकि दुनिया भर में आईफोन की कुल शिपमेंट में चीन का हिस्सा अभी भी 75% है, वहीं भारत का हिस्सा 2022 से चार गुना बढ़कर 25% हो गया है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल बाजार है।

क्या है एप्पल का प्लान?

एप्पल के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स फॉक्सकॉन और टाटा ने पांच प्लांट खोलने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया है। लेकिन इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा आईफोन असेंबली के लिए महंगी मशीनें खरीदने में चला जाता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर एप्पल अपनी व्यावसायिक प्रथाओं को बदले बिना नई दिल्ली को साल 1961 के उस कानून को बदलने के लिए राजी नहीं कर पाता जो भारत में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के विदेशी मालिकाना हक को कवर करता है, तो उसे अरबों डॉलर का अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है।

चीन में नहीं देना होता टैक्स

चीन में एप्पल आईफोन बनाने वाली मशीनें खरीदता है और उन्हें अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को देता है। भले ही वह उन मशीनों का मालिक हो, फिर भी उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है।

लेकिन भारत में ऐसा संभव नहीं है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और दो अन्य उद्योग सूत्रों ने बताया कि इनकम टैक्स एक्ट के तहत एप्पल के ऐसे मालिकाना हक को एक तथाकथित ‘व्यावसायिक संबंध’ माना जाएगा। इससे अमेरिकी कंपनी के आईफोन मुनाफे पर भारतीय टैक्स लग जाएगा।

एप्पल को होगा फायदा

सूत्रों ने बताया कि एप्पल के अधिकारियों ने हाल के महीनों में भारतीय अधिकारियों से इनकम टैक्स के इस कानून में बदलाव के लिए बातचीत की है। कंपनी को डर है कि मौजूदा कानून उसके भविष्य के विकास में बाधा डाल सकता है। एक सूत्र ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स एक हद से ज्यादा पैसा नहीं लगा सकते। उन्होंने कहा अगर पुराने कानून में बदलाव किया जाता है तो एप्पल के लिए विस्तार करना आसान हो जाएगा।

साभार : नवभारत टाइम्स  

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