नई दिल्ली (मा.स.स.). “डर एक सार्वभौमिक भाषा है; हम सबको डर लगता है। हम जन्म से ही डरने लगते हैं, हमें हर चीज से डर लगता हैः मृत्यु, विकृति, प्रियजनों के खो जाने। हर उस चीज से जिससे मुझे डर लगता है, आप भी उससे डरते हैं; आप जिन चीजों …
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