– डॉ० घनश्याम बादल लिखना चाहता हूं ‘शिक्षक’ ‘शिखर’ लिख जाता है, खुद ब-खुद । ‘आचार्य’ लिखने की चाहत, और मनसपटल पर – लिखा पाता हूं ‘आचरण’ उसमें से भी पढ़ पाता हूं’ सिर्फ ‘चरण’ । मेरी मिट्टी से, चुन- चुन कर हर कंकर निकालने की तुम्हारी हर कोशिश को …
Read More »