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उ.प्र. में सरकारी स्कूलों में सबसे अधिक छात्रों का नामांकन हुआ

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नई दिल्ली (मा.स.स.). शिक्षा मंत्रालय ने भारत की स्कूली शिक्षा पर एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (यूडाइस+) 2021-22 की विस्तृत रिपोर्ट जारी कर दी है। स्कूलों से यूडाइस+ नामक ऑनलाइन डाटा संकलन प्रणाली को वर्ष 2018-19 में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने विकसित किया था, ताकि आंकड़ों के कागजी कार्रवाई आधारित दस्ती संकलन के पुराने ढर्रे से पैदा होने वाली झंझटों से मुक्ति मिल सके। यूडाइस+ प्रणाली के जरिये खासतौर से डाटा संकलन, डाटा आकलन और डाटा प्रमाणीकरण सम्बंधी कामों में सुधार आया है।

यूडाइस+ 2021-22 में महत्त्वपूर्ण संकेतकों के अतिरिक्त आंकड़े, जैसे डिजिटल पुस्तकालय, सहपाठियों से सीखने, कठिन चीजों की पहचान, स्कूल के पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या, आदि के बारे में आंकड़े जमा किया जाते हैं, ताकि नई शिक्षा नीति की पहलों के साथ उनका सामंजस्य बिठाया जा सके।

स्कूल शिक्षा में छात्र और शिक्षकः

वर्ष 2021-22 में प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक तक स्कूलों में कुल 25.57 करोड़ छात्रों का नामांकन हुआ, जबकि वर्ष 2020-21 में 25.38 करोड़ छात्रों ने नामांकन कराया था। इस तरह नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या में 19.36 लाख की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वर्ष 2021-22 में अनुसूचित जाति के छात्रों के नामांकन में 4.82 करोड़ का इजाफा हुआ, जबकि वर्ष 2020-21 में 4.78 करोड़ नामांकन ही हुये थे। इसी तरह अनुसूचित जनजाति के छात्रों का नामांकन वर्ष 2021-22 में 2.51 करोड़ था, जबकि वर्ष 2020-21 में 2.49 था। अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग के छात्रों का नामांकन वर्ष 2021-22 में 11.48 करोड़ हुआ, जबकि वर्ष 2020-21 में 11.35 करोड़ था।

सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) शिक्षा में प्रवेश का सामान्य स्तर बताता है। वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तरीय स्कूल शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात में सुधार देखा गया। उल्लेखनीय है कि उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में वर्ष 2020-21 के 53.8 प्रतिशत जीईआर में सुधार दर्ज किया गया तथा वह वर्ष 2021-22 में 57.6 प्रतिशत हो गया। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्लूएसएन) का नामांकन 2021-22 में 22.67 लाख दर्ज हुआ, जबकि 2020-21 में यह 21.91 लाख था। इस तरह 2020-21 की तुलना में इसमें 3.45 प्रतिशत का सुधार देखा गया।

वर्ष 2021-22 के दौरान स्कूली शिक्षा में 95.07 लाख शिक्षक संलग्न रहे, जिनमें से 51 प्रतिशत से अधिक संख्या शिक्षिकाओं की थी। साथ ही, वर्ष 2021-22 में शिष्य-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) प्राथमिक में 26, उच्च प्राथमिक में 19, माध्यमिक में 18 और उच्चतर माध्यमिक में 27 रहा। इस तरह वर्ष 2018-19 से इसमें लगातार सुधार आ रहा है। प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक में वर्ष 2018-19 के दौरान पीटीआर क्रमशः 28, 19, 21 और 30 था। वर्ष 2021-22 में 12.29 करोड़ से अधिक छात्राओं ने प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक तक नामांकन कराया था। इस तरह 2020-21 में लड़कियों के नामांकन की तुलना में 8.19 लाख का इजाफा देखा गया। जीईआर का लिंग समानता सूचकांक (जीपीआई) दर्शाता है कि समान आयुवर्ग की लड़कियों की आबादी को देखते हुये स्कूल शिक्षा में लड़कियों का प्रतिनिधित्व उचित स्तर पर है। सभी स्कूल शिक्षा के स्तर पर जीपीआई मूल्य स्कूल शिक्षा में लड़कियों की भागीदारी की जानकारी देता है।

वर्ष 2021-22 में प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक तक अनुसूचित जाति के छात्रों का नामांकन वर्ष 2020-21 के 4.78 करोड़ नामांकन की तुलना में बढ़कर 4.83 करोड़ हो गया। इसी तरह अनुसूचित जनजाति के छात्रों का नामांकन 2020-21 के 2.49 से बढ़कर 2021-22 में 2.51 करोड़ तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों का नामांकन 2020-21 के 11.35 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 11.49 करोड़ हो गया। वर्ष 2021-22 के 14.89 लाख स्कूल रहे, जबकि वर्ष 2020-21 में स्कूलों की संख्या 15.09 लाख थी। स्कूलों की संख्या में यह कमी मुख्यतः इसलिये हुई, क्योंकि निजी स्कूल तथा अन्य प्रबंधन वाले स्कूल बंद हो गये तथा विभिन्न राज्यों द्वारा स्कूलों के समूह/क्लस्टर बना दिये गये।

स्कूल अवसंरचनाः समग्र शिक्षा योजना का प्रभावः

वर्ष 2021-22 के आधार पर स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की उपलब्धता इस प्रकार हैः

  • बिजली कनेक्शन: 89.3%
  • पेयजल: 98.2%
  • लड़कियों के लिये शौचालय: 97.5%
  • सीडब्लूएसएन शौचालय: 27%
  • हाथ धोने की सुविधाः6%
  • खेल का मैदानः77%
  • सीडब्लूएसएन के लिये रेलिंग वाला रैम्पः7%
  • पुस्तकालय/पढ़ने का कक्ष/पढ़ने का स्थानः3%

स्कूलों के लिये सतत पर्यावरण पहलें:

  • किचन गार्डनः7%
  • वर्षा जल संचयनः21%
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