शिमला (मा.स.स.). केंद्रीय सूचना प्रसारण एवं खेल व युवा कार्यक्रम मंत्री अनुराग सिंह ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा हिमाचल प्रदेश में लगभग 2167.72 करोड़ रुपये की लागत से पांच बाढ़ सुरक्षा परियोजनाओं को मंजूरी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी व केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत जी का हार्दिक आभार प्रकट किया है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण एवं बहुउद्देशीय परियोजना सलाहकार समिति की 150वीं बैठक के बाद सुकेती खड्ड, स्वां नदी एवं सीर खड्ड में बाढ़ संरक्षण परियोजनाओं सहित फिना सिंह बहुउद्देशीय परियोजना तथा अन्य विभिन्न खड्डों के लिए बाढ़ संरक्षण परियोजना को मंजूरी दी गई है।
अनुराग ठाकुर ने कहा” आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हिमाचल प्रदेश को सदैव अपना दूसरा घर माना है और हिमाचल की आवश्यकतानुसार हर ज़रूरी परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में दैवीय आपदा के चलते हर बरसातों में बाढ़ आम बात है जिसके चलते हर साल काफ़ी जान-माल का नुक़सान होता है। इसको दृष्टिगत रखते हुए मैंने विगत दिनों केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत जी से मिलकर उनके समक्ष इस विषय को प्रमुखता से उठाते हुए हिमाचल में बाढ़ सुरक्षा परियोजनाओं की माँग प्रमुखता से रखी थी। अपार हर्ष का विषय है कि जल शक्ति मंत्री जी ने मेरी माँग को अपनी स्वीकृति देते हुए ₹2167.72 करोड़ की लागत से हिमाचल में पांच बाढ़ सुरक्षा परियोजनाओं को अपनी मंज़ूरी दे दी है। मैं इस मंज़ूरी के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी व केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत जी का आभार प्रकट करता हूँ”
आगे बोलते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा “जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की एक सलाहकार समिति ने आज हिमाचल प्रदेश में पांच महत्वपूर्ण बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं को मंजूरी दी है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण एवं बहुउद्देशीय परियोजना सलाहकार समिति की 150वीं बैठक के बाद सुकेती खड्ड, स्वां नदी एवं सीर खड्ड में बाढ़ संरक्षण परियोजनाओं सहित फिना सिंह बहुउद्देशीय परियोजना तथा अन्य विभिन्न खड्डों के लिए बाढ़ संरक्षण परियोजना को मंजूरी दी गई”
ठाकुर ने कहा “ जल शक्ति मंत्रालय द्वारा हिमाचल में पाँच में से तीन बाढ़ सुरक्षा परियोजनाएँ मेरे अपने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में मंज़ूर की गई हैं। फिना सिंह बहुउद्देशीय परियोजना 643.68 करोड़ रुपये की लागत से 1.88 मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगी। मण्डी जिले में ब्यास जलग्रहण क्षेत्र के अंतर्गत सुकेती खड्ड नदी के साथ-साथ उसकी सहायक नदियों पर बाढ़ सुरक्षा उपाय और नहर निर्माण परियोजना शुरू की जानी है। इस परियोजना से 41 हजार से अधिक लोगों को लाभ होगा और 881 हेक्टेयर क्षेत्र संरक्षित होगा। इस परियोजना पर कुल 485.23 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसी प्रकार, ऊना जिले की अम्ब तहसील में स्वां नदी और उसकी सहायक नदियों के लिए बाढ़ सुरक्षा उपाय प्रदान करने की परियोजना शुरू की जाएगी। इस परियोजना से 14 हजार से अधिक लोगों को लाभ होगा और 510 हेक्टेयर क्षेत्र संरक्षित होगा। परियोजनाओं पर 339.25 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। तीसरी परियोजना बाढ़ सुरक्षा और विभिन्न खड्डों के लिए कटाव रोकने के उपाय हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में किए जाएंगे तथा इससे 23 हजार से अधिक लोगों को लाभ होगा और 811 हेक्टेयर क्षेत्र संरक्षित होगा। इस परियोजना पर 504.07 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
अंत में, सीर खड्ड पर बाढ़ सुरक्षा कार्यों पर 195.49 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है और इसे बिलासपुर जिले के घुमारवीं तहसील के तलवारा गांव से बालघाट तक किया जाएगा। इस परियोजना से 14 हजार से अधिक लोगों को लाभ होगा और 179 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र संरक्षित होगा” अनुराग ठाकुर ने कहा “यह परियोजनाएँ राज्य में नदी की बाढ़ से जान-माल की क्षति को कम करने में एक लंबा सफर तय करेगी। मोदी सरकार हिमाचल प्रदेश के लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और यह उस दिशा में उठाए गए कई कदमों में से एक है।
पूर्व में जनमानस की माँग और क्षेत्र के विकास को देखते हुए साल 2000 में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल जी ने केंद्र में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से स्वां नदी के तटीयकरण के लिए के लिए 106 करोड़ रुपए आवंटित करा कर इस परियोजना की शुरूआत करी,जिसके अंतर्गत मुख्यतः स्वां नदी के साथ 77 सहायक नदियों के तटीयकरण करना इस परियोजना का उद्देश्य था,जिसमें केंद्र और राज्य की क्रमशः 90% और 10% ख़र्च की हिस्सेदारी थी। स्वां तटीयकरण से अब तक करीब 12000 हेक्टेयर भूमि ज़िला ऊना में कृषि योग्य बनाई गई है ,जिससे किसानों को राहत मिली है । अब यह मौजूदा माँग राज्य में नदी की बाढ़ से जान-माल की क्षति को कम करने में एक लंबा सफर तय करेगी”।
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